नई दिल्लीः जमीयत उलेमा हिंद ने मुसलमानों से अपील की है कि ईद-उल-अजहा का त्यौहार दंगा प्रभावितों के साथ मनाएं, ताकि उन्हें यह अहसास ना होने पाए कि वह इस बार कुर्बानी नहीं कर पा रहे हैं. दरअसल उत्तर पूर्वी दिल्ली पर लॉकडाउन का दोगुना असर पड़ा है, जिसका नतीजा यह रहा कि यहां के त्यौहारों की रौनक भी कम हो गई है.
जमीयत उलेमा हिंद दिल्ली प्रदेश के महासचिव मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने कहा कि ईद-उल-अजहा के मौके पर होने वाली कुर्बानी एक धार्मिक फरीजा है और साहिबे निसाब पर कुर्बानी वाजिब है.
फरीजे को अंजाम देने के साथ-साथ लोग अपने गुजर चुके अपनों के अलावा भी कुर्बानी करते हैं. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि इस बार कुर्बानी को दंगा प्रभावितों के बीच जाकर करें, ताकि उन्हें कुर्बानी न किए जाने का अहसास न हो.
'दिखावे के लिए ना हो कुर्बानी'
मौलाना जावेद ने कहा कि कुर्बानी के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि कुर्बानी किसी को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि पूरी शिद्दत और इखलास के साथ अल्लाह के सामने पेश करनी होती है. इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हमारे धार्मिक आयोजन से किसी दूसरे को कोई तकलीफ ना होने पाए, इसलिए गली में, सड़क पर या फिर खुले में कुर्बानी की रस्म को अंजाम न दें.
'भीड़-भाड़ न होने पाए, रखें खास ख्याल'
ईद-उल-अजहा में क्योंकि अब चंद दिन ही बचे हैं, ऐसे में हमें इस बात का भी पूरा ख्याल रखना है कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जाए. एक दूसरे से फासला बनाकर रखें. साथ ही मास्क लगाकर रखें. बकरा आदि किसी ऐसी जगहों पर ही खड़ा करें, जहां से किसी राहगीर को भी कोई तकलीफ न होने पाए और यातायात भी सुचारू रहे. इसके साथ ही हमें प्रशासन के साथ भी पूरा सहयोग बनाकर रखना है, क्योंकि महामारी से बचने के लिए सावधानी रखनी बेहद जरूरी है.