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निचली अदालतों में जगह और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, दिल्ली सरकार सहयोग नहीं कर रहीः हाईकोर्ट - जिला अदालत में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

Lack of space and infrastructure in lower courts: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निचली अदालतों में जगह और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर सरकार पर सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने साफ कहा कि देखकर लग रहा है कि दिल्ली सरकार सहयोग नहीं कर रही है. अगली सुनवाई में दिल्ली सरकार के विधि सचिव को भी बुलाइए.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 1, 2023, 8:51 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली की जिला अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर और जगह की कमी के मामले पर दिल्ली सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के विधि सचिव को अगली सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2024 को होगी.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि न तो फंड दिए जा रहे हैं और न ही अदालतों की स्थिति में सुधार करने के लिए जूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी जा रही है. दिल्ली सरकार का असहयोग चरम पर है. हम आदेश देने से खुद को रोक रहे हैं, लेकिन असहयोग समाधान नहीं है. आखिर ये सब कुछ नागरिकों के लिए है.

कोर्ट ने कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट में एक कोर्ट रूम को तीन-तीन जज शेयर करते हैं. कुछ जज तो केवल साक्ष्यों को रिकॉर्ड करने के लिए कोर्ट रूम में आ पाते हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वो विधि सचिव से बात करें और विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. हाईकोर्ट ने 21 नवंबर को सुनवाई करते हुए दिल्ली में अदालतों के लिए जगह की कमी पर चिंता जताई थी.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में 83 और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को एलजी ने दी 24 घंटे खोलने की अनुमति, नाइट लाइफ को मिलेगा बढ़ावा

कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार इस समस्या से निपटने के लिए फंड उपलब्ध नहीं करा रही है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि अगले साल तक सौ नए मजिस्ट्रेट होंगे, लेकिन उनके लिए किसी भी जिले की अदालत में स्थान नहीं है. हमारे पास कोई फंड या स्थान नहीं है ताकि हम नए कोर्ट रूम स्थापित कर सकें. जिला अदालतों में एक ईंच जगह नहीं है. दिल्ली सरकार न तो जगह उपलब्ध करवा रही है और न फंड. कोर्ट की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली सरकार फंड रिलीज नहीं कर रही है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार कहती है कि उसके पास फंड नहीं है. कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होते. न तो पटियाला हाउस कोर्ट में जगह है और न ही राऊज एवेन्यू कोर्ट में. ये एक गंभीर स्थिति है. अगर राज्य सरकार धन देती तो हम बिल्डिंग का निर्माण करवाते. सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा था कि वे हाल ही में एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट गए थे, जिसमें एक मजिस्ट्रेट की टेबल पर फाइलों का अंबार लगा था, क्योंकि उसे रखने की जगह नहीं थी.

यह भी पढ़ेंः ऑनलाइन स्कैम या साइबर क्राइम के हो गए हैं शिकार? तो समय रहते करिए शिकायत

दरअसल, हाईकोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें लोकल कमिश्नर द्वारा बयान दर्ज करने के लिए स्थान देने की मांग की गई है. याचिका अचला धवन ने दायर किया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट और विभिन्न निचली अदालतों की ओर से दाखिल हलफनामे का जिक्र किया, जिसमें जगह की कमी की बातें कही गई हैं. हालांकि कुछ कोर्ट ने कुछ व्यवस्था करने की बात कही है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली की जिला अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर और जगह की कमी के मामले पर दिल्ली सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के विधि सचिव को अगली सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2024 को होगी.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि न तो फंड दिए जा रहे हैं और न ही अदालतों की स्थिति में सुधार करने के लिए जूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी जा रही है. दिल्ली सरकार का असहयोग चरम पर है. हम आदेश देने से खुद को रोक रहे हैं, लेकिन असहयोग समाधान नहीं है. आखिर ये सब कुछ नागरिकों के लिए है.

कोर्ट ने कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट में एक कोर्ट रूम को तीन-तीन जज शेयर करते हैं. कुछ जज तो केवल साक्ष्यों को रिकॉर्ड करने के लिए कोर्ट रूम में आ पाते हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वो विधि सचिव से बात करें और विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. हाईकोर्ट ने 21 नवंबर को सुनवाई करते हुए दिल्ली में अदालतों के लिए जगह की कमी पर चिंता जताई थी.

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कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार इस समस्या से निपटने के लिए फंड उपलब्ध नहीं करा रही है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि अगले साल तक सौ नए मजिस्ट्रेट होंगे, लेकिन उनके लिए किसी भी जिले की अदालत में स्थान नहीं है. हमारे पास कोई फंड या स्थान नहीं है ताकि हम नए कोर्ट रूम स्थापित कर सकें. जिला अदालतों में एक ईंच जगह नहीं है. दिल्ली सरकार न तो जगह उपलब्ध करवा रही है और न फंड. कोर्ट की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली सरकार फंड रिलीज नहीं कर रही है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार कहती है कि उसके पास फंड नहीं है. कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होते. न तो पटियाला हाउस कोर्ट में जगह है और न ही राऊज एवेन्यू कोर्ट में. ये एक गंभीर स्थिति है. अगर राज्य सरकार धन देती तो हम बिल्डिंग का निर्माण करवाते. सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा था कि वे हाल ही में एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट गए थे, जिसमें एक मजिस्ट्रेट की टेबल पर फाइलों का अंबार लगा था, क्योंकि उसे रखने की जगह नहीं थी.

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दरअसल, हाईकोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें लोकल कमिश्नर द्वारा बयान दर्ज करने के लिए स्थान देने की मांग की गई है. याचिका अचला धवन ने दायर किया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट और विभिन्न निचली अदालतों की ओर से दाखिल हलफनामे का जिक्र किया, जिसमें जगह की कमी की बातें कही गई हैं. हालांकि कुछ कोर्ट ने कुछ व्यवस्था करने की बात कही है.

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