नई दिल्ली: पूर्वांचल व बिहार में छठ पूजा कृषि सभ्यता का महापर्व माना जाता है. इस समय खेतों में लहलहाते धान की फसल होती है. सूर्य ऊर्जा का अच्छा श्रोत माना है और इस पर्व में सूर्य देवता की पूजा होती है. छठ पर्व आने के महीनों पहले लोग नहरों, तालाबों की साफ़-सफाई में जुट जाते हैं. पूजा के दिन घाट के किनारे घंटों बैठकर पूजा अर्चना कर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. ये पूजा विभिन्न घाटों पर सामूहिक रूप से होती हैं. यहाँ ऊँच-नीच, छोटे-बड़े का भेदभाव मिट जाता है.
दिल्ली के संगम विहार में रहने वाली रेणु देवी बीते 26 साल से छठी मइया की पूजा करती आ रही हैं. बताती हैं कि इससे हर संकट से मुक्ति मिलती है. घर में खुशहाली और समृद्धि आती है. इनकी ही तरह देश की लाखों महिलाओं की आस्था का महापर्व छठ बिहार, यूपी, झारखंड समेत पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. शुक्रवार से नहाय-खाय के साथ यह चार दिवसीय पर्व शुरू होने जा रहा है. रेणु देवी बिहार समस्तीपुर की रहने वाली हैं, पिछले कई वर्षों से दिल्ली में अपने बेटे-बहु के साथ रहती हैं. छठ मइया के गीत गाने के दौरान वह बोलीं कि हम लोग कहीं भी रहें परंतु छठ पर हमारा पूरा परिवार एक साथ रहता है. हम जब गाँव में रहते थे तो महीनों पहले घाटों की सफाई शुरू कर देते थे. रंगाई-पुताई करके अच्छे से सब अपना-अपना पूजा का स्थल सजाते थे. दिल्ली में इतना संभव नहीं हो पाता है.
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डॉ सिंह बताते हैं कि आज पूरी दुनिया में जल और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है. बिहार ने सदियों पूर्व इसके महत्व को समझा और यही कारण है कि छठ पर्व पर नदी घाटों और जलाशयों की सफाई की जाती है तथा जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. सूर्य की छाया पानी में साफ-साफ दिखाई पड़नी चाहिए. संदेश साफ है कि जल को इतना निर्मल और स्वच्छ बनाइए कि उसमें सूर्य की किरणें भी प्रतिबिंबित हो उठे. मौजूदा दौर में जल प्रदूषण प्राणियों के जीवन के लिए एक बड़ा खतरा माना जा रहा है. छठ सूर्य की पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर उसके हानिकारक प्रभावों से बचाती है. वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को धरती की सतह पर सूर्य की हानिकारक पराबैगनी किरणें मानक से अधिक मात्रा में टकराती हैं. लोग जल में खड़े होकर जब सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो वे किरणें अवशोषित होकर आक्सीजन में परिणत हो जाती हैं, जिससे लोग उन किरणों के कुप्रभावों से बचते हैं.
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