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कड़ाके की ठंड में भी नहीं टूटे किसानों के हौंसले, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट - ठंड के बीच किसान आंदोलन

सिंघु बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड के बीच भी किसानों के हौसले नहीं डगमगाए हैं. किसान ठंड में भी कहीं तंबू कहीं टेंट तो कहीं ट्रैक्टर ट्रॉली में रात बिताते नजर आ रहे हैं. किसानों ने कहा कि वे हर मौसम झेलने को तैयार हैं, लेकिन बिना मांगे मनवाए सिंघु बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे.

Farmers not broken even in cold winter
कड़ाके की ठंड में भी नहीं टूटे किसानों के हौंसले
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Published : Dec 16, 2020, 1:48 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पिछले 20 दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान कड़ाके की ठंड में भी साधारण जिंदगी जी रहे हैं. समय के साथ-साथ दिल्ली की सर्दी भी बढ़ती जा रही है, लेकिन इस बढ़ती हुई सर्दी में भी किसानों के हौसले डगमगाए नहीं. ईटीवी भारत की टीम ने भी ग्राउंड जीरो पर पूरी रात किसानों के बीच रह कर उनसे बात की. किसान दिल्ली के कड़कड़ाती ठंड में भी अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और उन्होंने साफ कर दिया कि चाहे ठंड हो या बारिश अब यहां से अपनी मांगों को मनवा कर ही वापस जाएंगे.

कड़ाके की ठंड में भी नहीं टूटे किसानों के हौंसले

आसपास के लोग भी कर रहे हैं किसानों की मदद

इस ठंड से बचने के लिए आसपास के लोग भी किसानों की पूरी सहायता कर रहे हैं. सेवादार यहां कंबल, गद्दे और टेंट का सामान पहुंचा कर जाते हैं. किसानों ने बताया कि हरियाणा और दिल्ली में कई ऐसे लोग हैं जो किसानों की सहायता करते हैं और हर रोज यहां पर भारी मात्रा में कंबल और गद्दे लेकर आते हैं.

इन्हीं गद्दा और कंबल के जरिए किसान इस कड़ाके की ठंड में भी अपने आप को सुरक्षित रख पा रहे हैं .सोते समय मच्छरों की वजह से होने वाली बीमारियों का खतरा भी इन किसानों को बना हुआ है, क्योंकि खुले आसमान के नीचे सोने की वजह से किसान मच्छरों से बचने का कोई उपाय नहीं कर पाते और इन दिनों कई ऐसी बीमारियां हैं जो मच्छरों से ही फैलती है, लेकिन इन सबके बीच में किसान किसी भी हाल में वापस जाने को तैयार नहीं है.

अस्सी साल के किसान भी सर्द रातों में सिंघु बॉर्डर पर डटे

दिल्ली की सर्दी यूं तो अच्छे अच्छों के हौसले पस्त कर देती है, लेकिन सिंघु बॉर्डर पर पिछले 20 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान ना तो शुरुआती दौर में डगमगाए और ना ही पिछले 4 दिनों में कड़कड़ाती ठंड किसानों के हौसलों को हिला पाई .ईटीवी भारत की टीम पूरी रात सिंघु बॉर्डर पर रही और ग्राउंड जीरो से सिंघु बॉर्डर का जायजा लिया. जहां देखा गया कि बुजुर्ग किसान भी बिना मांगों को बनवाए वापस जाने को तैयार नहीं है.

पूरी रात किसान टेंट, तंबू या फिर ट्रॉली में बिताते हैं और सुबह होते ही लंगर की तैयारी में लग जाते हैं. सिंघु बॉर्डर पर 70 से 80 साल के किसान भी पिछले 20 दिनों से डटे हुए हैं और उनका कहना है कि या तो वह यहां कुर्बानी देकर जाएंगे या फिर अपनी मांगों को मनवा कर ,चाहे सर्दी हो या बारिश किसी भी मौसम का उन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पिछले 20 दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान कड़ाके की ठंड में भी साधारण जिंदगी जी रहे हैं. समय के साथ-साथ दिल्ली की सर्दी भी बढ़ती जा रही है, लेकिन इस बढ़ती हुई सर्दी में भी किसानों के हौसले डगमगाए नहीं. ईटीवी भारत की टीम ने भी ग्राउंड जीरो पर पूरी रात किसानों के बीच रह कर उनसे बात की. किसान दिल्ली के कड़कड़ाती ठंड में भी अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और उन्होंने साफ कर दिया कि चाहे ठंड हो या बारिश अब यहां से अपनी मांगों को मनवा कर ही वापस जाएंगे.

कड़ाके की ठंड में भी नहीं टूटे किसानों के हौंसले

आसपास के लोग भी कर रहे हैं किसानों की मदद

इस ठंड से बचने के लिए आसपास के लोग भी किसानों की पूरी सहायता कर रहे हैं. सेवादार यहां कंबल, गद्दे और टेंट का सामान पहुंचा कर जाते हैं. किसानों ने बताया कि हरियाणा और दिल्ली में कई ऐसे लोग हैं जो किसानों की सहायता करते हैं और हर रोज यहां पर भारी मात्रा में कंबल और गद्दे लेकर आते हैं.

इन्हीं गद्दा और कंबल के जरिए किसान इस कड़ाके की ठंड में भी अपने आप को सुरक्षित रख पा रहे हैं .सोते समय मच्छरों की वजह से होने वाली बीमारियों का खतरा भी इन किसानों को बना हुआ है, क्योंकि खुले आसमान के नीचे सोने की वजह से किसान मच्छरों से बचने का कोई उपाय नहीं कर पाते और इन दिनों कई ऐसी बीमारियां हैं जो मच्छरों से ही फैलती है, लेकिन इन सबके बीच में किसान किसी भी हाल में वापस जाने को तैयार नहीं है.

अस्सी साल के किसान भी सर्द रातों में सिंघु बॉर्डर पर डटे

दिल्ली की सर्दी यूं तो अच्छे अच्छों के हौसले पस्त कर देती है, लेकिन सिंघु बॉर्डर पर पिछले 20 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान ना तो शुरुआती दौर में डगमगाए और ना ही पिछले 4 दिनों में कड़कड़ाती ठंड किसानों के हौसलों को हिला पाई .ईटीवी भारत की टीम पूरी रात सिंघु बॉर्डर पर रही और ग्राउंड जीरो से सिंघु बॉर्डर का जायजा लिया. जहां देखा गया कि बुजुर्ग किसान भी बिना मांगों को बनवाए वापस जाने को तैयार नहीं है.

पूरी रात किसान टेंट, तंबू या फिर ट्रॉली में बिताते हैं और सुबह होते ही लंगर की तैयारी में लग जाते हैं. सिंघु बॉर्डर पर 70 से 80 साल के किसान भी पिछले 20 दिनों से डटे हुए हैं और उनका कहना है कि या तो वह यहां कुर्बानी देकर जाएंगे या फिर अपनी मांगों को मनवा कर ,चाहे सर्दी हो या बारिश किसी भी मौसम का उन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.

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