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दंगा पीड़ितों की मदद को मिले पैसे का हिसाब दे वक्फ बोर्ड, उठने लगे सवाल

दिल्ली में हुए दंगों के पीड़ितों की मदद के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा ली गई डोनेशन का हिसाब मांगे जाने का सिलसिला तेज हो गया है. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने इस पर सवाल उठाते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड से डोनेशन के नाम पर आने वाले पैसे का हिसाब मांगा है.

Delhi waqf board
दिल्ली वक्फ बोर्ड
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Published : Aug 3, 2020, 5:48 PM IST

नई दिल्ली: अभी दिल्ली दंगों के पीड़ितों की मदद का काम ठीक ढंग से शुरू भी नहीं हुआ था कि तकनीकी कारणों से बोर्ड चेयरमैन को उनके पद से हटा दिया गया और बोर्ड ने जो काम भी दंगा प्रभावित जगहों पर शुरू किया था सब रुक गया. हालत यह हो गई कि बोर्ड से काम कराने के लिए लोग इधर उधर भटकने को मजबूर हैं.

पैसों की हिसाब दे वक्फ बोर्ड

लोगों की परेशानी और खराब हालात को देखते हुए जमीयत उलेमा हिंद दंगा पीड़ितों के लिए मददगार बनकर सामने आया और जमीयत ने कुछ जगहों पर काम शुरू करा दिया. लेकिन इस सब के बावजूद मुस्तफाबाद स्थित ईदगाह में ठहरे प्रभावितों को कोरोना की वजह से हटा हटा दिया गया और दिल्ली वक्फ बोर्ड उनके लिए कोई ठोस काम नहीं कर सका. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अचानक से हाथ खींच लेने की वजह से दंगा प्रभावित परेशान हो गए हैं.

जनता को सवाल पूछने का हक

समाजसेवी डॉ.फहीम बेग ने कहा कि यह लोकतांत्रिक देश है यहां चपरासी से लेकर पीएम तक जवाबदेह होते हैं. देश की जनता को किसी से भी सवाल पूछने का हक है. अगर यह सब अवाम (जनता) से जुड़ा हो तो जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है. और अगर वक्फ बोर्ड ने दंगा प्रभावितों की मदद के लिए लोगों से डोनेशन की अपील की थी और चेयरमैन द्वारा जारी किए गए खाते में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी पैसा भेज गया तो फिर आखिर उस रकम का हिसाब सामने आना ही चाहिए कि आखिर कितना पैसा उस खाते में आया और कितना वक्फ बोर्ड ने खर्च किया. गौरतलब है कि दिल्ली में हुए दंगों के दौरान ही दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने लोगों से पीड़ितों की सहायता के लिए जारी किए एकाउंट नंबर पर डोनेट करने की अपील की थी.

पैसों की हिसाब दे वक्फ बोर्ड

जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे वहां लोग बोर्ड ने कोई काम नहीं किया. बल्कि उन पैसों की बल पर खुद चेयरमैन ने वो काम कराए थे जो कि उनके हटने के बाद घर में रुक गया. अब चुके लोग परेशान होकर लगातार जमीयत उलेमा हिंद के पास पहुंच रहे थे तो ऐसे में जमीयत ने उनके काम को अंजाम देने का बीड़ा उठाया अब अगर वर्क बोर्ड के पास पैसा आया था तो उसका हिसाब होना ही चाहिए.

नई दिल्ली: अभी दिल्ली दंगों के पीड़ितों की मदद का काम ठीक ढंग से शुरू भी नहीं हुआ था कि तकनीकी कारणों से बोर्ड चेयरमैन को उनके पद से हटा दिया गया और बोर्ड ने जो काम भी दंगा प्रभावित जगहों पर शुरू किया था सब रुक गया. हालत यह हो गई कि बोर्ड से काम कराने के लिए लोग इधर उधर भटकने को मजबूर हैं.

पैसों की हिसाब दे वक्फ बोर्ड

लोगों की परेशानी और खराब हालात को देखते हुए जमीयत उलेमा हिंद दंगा पीड़ितों के लिए मददगार बनकर सामने आया और जमीयत ने कुछ जगहों पर काम शुरू करा दिया. लेकिन इस सब के बावजूद मुस्तफाबाद स्थित ईदगाह में ठहरे प्रभावितों को कोरोना की वजह से हटा हटा दिया गया और दिल्ली वक्फ बोर्ड उनके लिए कोई ठोस काम नहीं कर सका. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अचानक से हाथ खींच लेने की वजह से दंगा प्रभावित परेशान हो गए हैं.

जनता को सवाल पूछने का हक

समाजसेवी डॉ.फहीम बेग ने कहा कि यह लोकतांत्रिक देश है यहां चपरासी से लेकर पीएम तक जवाबदेह होते हैं. देश की जनता को किसी से भी सवाल पूछने का हक है. अगर यह सब अवाम (जनता) से जुड़ा हो तो जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है. और अगर वक्फ बोर्ड ने दंगा प्रभावितों की मदद के लिए लोगों से डोनेशन की अपील की थी और चेयरमैन द्वारा जारी किए गए खाते में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी पैसा भेज गया तो फिर आखिर उस रकम का हिसाब सामने आना ही चाहिए कि आखिर कितना पैसा उस खाते में आया और कितना वक्फ बोर्ड ने खर्च किया. गौरतलब है कि दिल्ली में हुए दंगों के दौरान ही दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने लोगों से पीड़ितों की सहायता के लिए जारी किए एकाउंट नंबर पर डोनेट करने की अपील की थी.

पैसों की हिसाब दे वक्फ बोर्ड

जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे वहां लोग बोर्ड ने कोई काम नहीं किया. बल्कि उन पैसों की बल पर खुद चेयरमैन ने वो काम कराए थे जो कि उनके हटने के बाद घर में रुक गया. अब चुके लोग परेशान होकर लगातार जमीयत उलेमा हिंद के पास पहुंच रहे थे तो ऐसे में जमीयत ने उनके काम को अंजाम देने का बीड़ा उठाया अब अगर वर्क बोर्ड के पास पैसा आया था तो उसका हिसाब होना ही चाहिए.

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