नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को 1 साल पूरा हो चुका है. इन दंगों से स्थानीय लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. आगजनी, पथराव में कई महिलाओं का सुहाग उजड़ गया तो कई लोग बेघर हो गए. मंजर ऐसा था कि पीड़ित लोग आज भी उस घटना को याद करके सिहर उठते हैं. शिव विहार इलाके के पाल डेयरी का बहुत नुकसान हुआ था.
दंगाइयों ने पाल डेयरी के एक कर्मचारी दिलबर नेगी की हत्या कर दी थी. जो उत्तराखंड का रहने वाला था, साथ ही डेरी, दुकान और गोदाम में आग लगा दी थी. इतना ही नहीं आक्रोशित भीड़ ने डीआरपी कॉन्वेंट स्कूल को भी नहीं बख्शा था. स्कूल के हर कमरे को आग के हवाले कर दिया था. ईटीवी भारत की टीम ने डेयरी संचालक अमित और डीआरपी स्कूल के मैनेजर पंकज शर्मा से बात की.
डेयरी संचालक अमित बताते हैं कि 24 फरवरी की दोपहर दंगाइयों की भीड़ आती है और उनकी डेयरी, दुकान और गोदाम में लूटपाट और तोड़फोड़ करती है, उसके बाद आग के हवाले कर दिया जाता है. मेरा कर्मचारी दिलबर नेगी भी आगजनी का शिकार हो गया था. दो दिन बाद उसका शव कमरे से बरामद हुआ था.
वहीं DRP कॉन्वेंट स्कूल के मैनेजर पंकज शर्मा कहते हैं कि भीड़ ने तीन मंजिला स्कूल के किसी भी कमरे को नहीं छोड़ा था, सभी कमरों को आग के हवाले कर दिया था.
सरकार से मिले मुआवजे के सवाल पर अमित और पंकज की एक राय है, वो कहते हैं कि दंगों में हुए नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता, लेकिन दिल्ली सरकार ने जो मुआवजा दिया, वो ऊंट के मुंह में जीरे के सामान है.
अमित ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दंगों में क्षतिग्रस्त हुए मकान मालिकों को 5 लाख आर्थिक मदद देने का ऐलान किया था, लेकिन उतनी आर्थिक मदद उन्हें अब तक नहीं मिली है. स्कूल के मैनेजर पंकज शर्मा बताते हैं कि एक अनुमान के मुताबिक उनका 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, मुआवजे के तौर पर केवल 10 लाख रुपये मिले थे.