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लॉकडाउन: पिछले 50 दिनों से कार में रह रहा है एक शख्स, सरकार ने मांगी मदद

शाहनवाज की मजबूरी कहेंगे या उसकी लॉकडाउन का पालन करने को लेकर जिम्मेदारी. शादी-विवाह में स्कोर्पियो गाड़ी चलाने वाला शाहनवाज पिछले करीब 50 दिनों से कार में ही रहकर लॉकडाउन का पालन कर रहा है. अब शाहनवाज को अपने बूढ़े पिता अब्दुल जब्बार और मां की याद भी सताने लगी है. उसका कहना है कि सरकार लॉकडाउन खोले तो वो अपने बूढ़े माता-पिता के पास जाकर ईद मना सकता है.

man living in car during lockdown in seelampur area
लॉकडाउन में कार में बीता रहा है राते
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Published : May 15, 2020, 7:44 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के कारण सीलमपुर इलाके में एक शख्स लगभग पिछले 50 दिनों से कार में ही घर बना कर रह रहा है. बिजनौर का रहने वाला शाहनवाज नाम का ये शख्स कार चलाने का काम करता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण दिल्ली में फंस गया है. शाहनवाज ने सरकार से ईद तक मां-बाप के पास घर पहुंचाने के लिए मदद की गुहार लगाई है.

लॉकडाउन में कार में बीता रहा है राते

जीजा ने अनबन के कारण घर से निकाला

इसे शाहनवाज की मजबूरी कहेंगे या उसकी लॉकडाउन का पालन करने को लेकर जिम्मेदारी. शादी-विवाह में स्कोर्पियो गाड़ी चलाने वाला शाहनवाज पिछले करीब 50 दिनों से कार में ही रहकर लॉकडाउन का पालन कर रहा है. दरअसल शाहनवाज अपनी बहन-जीजा के पास सीलमपुर इलाके में रहता था. जीजा से अनबन हुई तो जीजा ने उसे घर से निकाल दिया. कोरोना की वजह से बाकी रिश्तेदारों ने भी उसे साथ रखने से मना कर दिया. ऐसे में शाहनवाज ने सीलमपुर सर्विस रोड पर अपनी गाड़ी खड़ी और वो उसी में रहने लगा.


कार में ही इफ्तार और शहरी करने को मजबूर शख्स

लॉकडाउन के दौरान ही रोजे शुरू हो गए. कार में सोने के अलावा वो इफ्तार, सहरी और खाने पीने का इंतजाम कर लेता है. आस-पड़ोस के लोग उसे खाने-पीने को दे देते हैं. शाहनवाज का कहना है कि लॉकडाउन खुलते ही वो अपने घर चला जाएगा. मूलरूप से गांव सहसपुर, बिजनौर, यूपी का रहने वाला शाहनवाज पिछले कई सालों से सीलमपुर स्थित चौहान बांगर में अपनी बहन और जीजा के पास रहता था. शाहनवाज शादी-विवाह में गाड़ी चलाने का काम करता है, उसके जीजा का भी यही काम है. लॉकडाउन के पहले दिन उसके जीजा ने किसी बात पर उससे झगड़ा किया और उसे घर से निकाल दिया.

'कोरोना के डर से रिश्तेदारों ने छोड़ा साथ'

शाहनवाज ने अपना बैग लिया और गाड़ी में रखकर सीलमपुर सर्विस रोड पर आ गया. यहां आने के बाद उसने कई रिश्तेदारों को कॉल कर बातचीत की, लेकिन किसी ने उसे रखने से मना कर दिया. सभी का कहना था कि कोरोना का खतरा है, वो उसे अपने घर पर नहीं रख सकते हैं. दिल्ली में फंसे शाहनवाज को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उसने अपनी गाड़ी में ही रहने का फैसला किया. आसपास के लोगों को जब शाहनवाज का पता चला तो उन लोगों ने उसे खाना-पीना देना शुरू कर दिया. नहाने और शौचालय के लिए वो वेलकम इलाके के सार्वजनिक बाथरूम का इस्तेमाल कर रहा है.

स्थानीय लोगों ने बढ़ाया मदद का हाथ

स्थानीय लोग उसे सहरी और इफ्तार भिजवा देते हैं. कई बार जब खाने-पीने को नहीं आता है तो वो भूखे ही सो जाता है. यहां तक के वो नमाज भी अपनी गाड़ी में पढ़ रहा है. अब शाहनवाज को अपने बूढ़े पिता अब्दुल जब्बार और मां की याद भी सताने लगी है. उसका कहना है कि सरकार लॉकडाउन खोले तो वो अपने बूढ़े माता-पिता के पास जाकर ईद मना सकता है. अगर लॉकडाउन में छूट नहीं मिली तो उसे ईद भी सड़क पर अपनी गाड़ी में ही मनानी पड़ेगी.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के कारण सीलमपुर इलाके में एक शख्स लगभग पिछले 50 दिनों से कार में ही घर बना कर रह रहा है. बिजनौर का रहने वाला शाहनवाज नाम का ये शख्स कार चलाने का काम करता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण दिल्ली में फंस गया है. शाहनवाज ने सरकार से ईद तक मां-बाप के पास घर पहुंचाने के लिए मदद की गुहार लगाई है.

लॉकडाउन में कार में बीता रहा है राते

जीजा ने अनबन के कारण घर से निकाला

इसे शाहनवाज की मजबूरी कहेंगे या उसकी लॉकडाउन का पालन करने को लेकर जिम्मेदारी. शादी-विवाह में स्कोर्पियो गाड़ी चलाने वाला शाहनवाज पिछले करीब 50 दिनों से कार में ही रहकर लॉकडाउन का पालन कर रहा है. दरअसल शाहनवाज अपनी बहन-जीजा के पास सीलमपुर इलाके में रहता था. जीजा से अनबन हुई तो जीजा ने उसे घर से निकाल दिया. कोरोना की वजह से बाकी रिश्तेदारों ने भी उसे साथ रखने से मना कर दिया. ऐसे में शाहनवाज ने सीलमपुर सर्विस रोड पर अपनी गाड़ी खड़ी और वो उसी में रहने लगा.


कार में ही इफ्तार और शहरी करने को मजबूर शख्स

लॉकडाउन के दौरान ही रोजे शुरू हो गए. कार में सोने के अलावा वो इफ्तार, सहरी और खाने पीने का इंतजाम कर लेता है. आस-पड़ोस के लोग उसे खाने-पीने को दे देते हैं. शाहनवाज का कहना है कि लॉकडाउन खुलते ही वो अपने घर चला जाएगा. मूलरूप से गांव सहसपुर, बिजनौर, यूपी का रहने वाला शाहनवाज पिछले कई सालों से सीलमपुर स्थित चौहान बांगर में अपनी बहन और जीजा के पास रहता था. शाहनवाज शादी-विवाह में गाड़ी चलाने का काम करता है, उसके जीजा का भी यही काम है. लॉकडाउन के पहले दिन उसके जीजा ने किसी बात पर उससे झगड़ा किया और उसे घर से निकाल दिया.

'कोरोना के डर से रिश्तेदारों ने छोड़ा साथ'

शाहनवाज ने अपना बैग लिया और गाड़ी में रखकर सीलमपुर सर्विस रोड पर आ गया. यहां आने के बाद उसने कई रिश्तेदारों को कॉल कर बातचीत की, लेकिन किसी ने उसे रखने से मना कर दिया. सभी का कहना था कि कोरोना का खतरा है, वो उसे अपने घर पर नहीं रख सकते हैं. दिल्ली में फंसे शाहनवाज को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उसने अपनी गाड़ी में ही रहने का फैसला किया. आसपास के लोगों को जब शाहनवाज का पता चला तो उन लोगों ने उसे खाना-पीना देना शुरू कर दिया. नहाने और शौचालय के लिए वो वेलकम इलाके के सार्वजनिक बाथरूम का इस्तेमाल कर रहा है.

स्थानीय लोगों ने बढ़ाया मदद का हाथ

स्थानीय लोग उसे सहरी और इफ्तार भिजवा देते हैं. कई बार जब खाने-पीने को नहीं आता है तो वो भूखे ही सो जाता है. यहां तक के वो नमाज भी अपनी गाड़ी में पढ़ रहा है. अब शाहनवाज को अपने बूढ़े पिता अब्दुल जब्बार और मां की याद भी सताने लगी है. उसका कहना है कि सरकार लॉकडाउन खोले तो वो अपने बूढ़े माता-पिता के पास जाकर ईद मना सकता है. अगर लॉकडाउन में छूट नहीं मिली तो उसे ईद भी सड़क पर अपनी गाड़ी में ही मनानी पड़ेगी.

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