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DU: हिंदी विभाग के प्रमुख की नियुक्ति न किए जाने के खिलाफ न्याय मार्च महारैली

दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद की नियुक्ति को लेकर हंगामा मचा हुआ है. जिसके बाद फोरम ऑफ अकादमिक और सोशल जस्टिस ने न्याय मार्च निकाला और जल्द से जल्द प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को अध्यक्ष बनाने की मांग की. मामले में राष्ट्रपति को एक पत्र भी लिखा गया है.

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Published : Oct 8, 2019, 3:14 AM IST

न्याय मार्च महारैली

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर दलित प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन की नियुक्ति के संबंध में निर्देश जारी न किए जाने को लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा गया है. यह पत्र फोरम ऑफ एकेडमिक फॉर सोशल जस्टिस ने लिखा, साथ ही एक न्याय मार्च भी निकाला है.

न्याय मार्च महारैली

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर जातीय भेदभाव का आरोप लगा है. इस फोरम ने डीयू के वाइस चांसलर को अपना ज्ञापन सौंपा है जिसमें यह सवाल उठाया है कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने, पद के योग्य होने और वरिष्ठता सूची के नियम के अंतर्गत आने के बावजूद प्रोफेसर बेचैन को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही.

ज्ञापन सौंप की कार्यभार देने की मांग
साथ ही इस ज्ञापन के जरिए मांग की है वरिष्ठता सूची क्रम में प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को अविलंब विभाग अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा जाए. बता दें कि इस न्याय मार्च रैली का नेतृत्व डॉक्टर के पी सिंह सहित कई वरिष्ठ शिक्षकों ने किया. आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों का साझा मंच फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों के साथ हुए भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाता रहा है. इसी कड़ी में इस फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी अध्यक्ष के पद पर दलित शिक्षक की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा जिसमें उन्हें इस पूरे मामले को लेकर अवगत कराया. जिसमें लिखा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पिछले 3 सप्ताह से अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है.

पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद से खाली पड़े इस पद पर वरिष्ठता सूची के आधार पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी तय हुई थी. ऐसे में प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन का नाम सबसे ऊपर है. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें बुलाकर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी अभी तक उन्हें कार्यभार संभालने संबंधी निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. साथ ही वीसी को सौंपे गए ज्ञापन में फोरम ने यह सवाल उठाया कि सभी योग्यताओं से लैस होने और वरिष्ठता सूची के आधार पर नामांकित होने के बाद भी प्रोफेसर बेचैन को नियुक्ति के निर्देश क्यों नहीं दिए जा रहे हैं.

प्रोफेसर बेचैन को मिल चुका है हिंदी अकादमी पुरस्कार
वहीं फोरम ने शंका जताई है कि नियुक्ति में हो रही देरी के पीछे कहीं प्रोफेसर बेचैन का दलित होना कारण तो नहीं. वीसी को सौंपे इस ज्ञापन में प्रोफेसर बेचैन की उपलब्धियों को गिनाते हुए लिखा गया है कि प्रोफेसर बेचैन को हाल ही में हिंदी अकादमी पुरस्कार मिल चुका है. साथ ही वह एक प्रतिष्ठित लेखक भी हैं जिनकी आत्म कथाएं व कविताएं हिंदी पाठ्यक्रमों में अनेक विश्वविद्यालय में पढ़ाई जा रही हैं. साथ ही प्रशासन से जवाब मांगा है कि सामान्य वर्ग के शिक्षकों से ज्यादा योग्यता होने के बाबत उन्हें हिंदी विभाग का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया जा रहा.

तत्कालीन रूप से अध्यक्ष बनाने की मांग
वहीं फोरम ने अपने ज्ञापन में हिंदी विभाग में अध्यक्ष ना होने से छात्रों के पढ़ाई में हो रहे नुकसान का हवाला दिया और कहा कि एमफिल, पीएचडी में दाखिला लेने वाले और पीएचडी शोधार्थियों के आलेख, पाठ आदि का काम अध्यक्ष की अनुपस्थिति से रुका हुआ है. साथ ही फोरम का आरोप है कि विभाग में ऐसे कुछ शिक्षक है जो नहीं चाहते कि अध्यक्ष पद पर किसी दलित प्रोफेसर की नियुक्ति हो. ऐसे में कॉलेज के इन शिक्षकों के दबाव के चलते अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर रहा है या जातिवाद फैलाने का संदेश दे रहा है.

ऐसे में फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से पूरे मामले की जांच करने की मांग की है और कहा कि हिंदी विभाग के वरिष्ठता सूची के आधार पर प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को तत्कालीन रूप से अध्यक्ष बनाया जाए जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित समाज के व्यक्तियों को वास्तविक सामाजिक न्याय मिल सके.

शिक्षक और शोधार्थियों ने निकाला विशाल न्याय मार्च
बता दें कि फोरम के नेतृत्व में कई सामाजिक संगठनों और शिक्षकों शोधार्थियों छात्रों ने विशाल न्याय मार्च महारैली में फोरम का समर्थन किया. इस रैली में दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया, इग्नू, आईपी यूनिवर्सिटी, अंबेडकर यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों और शिक्षकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पूरा समर्थन दिया. यह न्याय मार्च डीयू के आर्ट फैकल्टी से चलकर कॉलेज के विभिन्न विभागों से होते हुए वाइस चांसलर के ऑफिस तक पहुंचा जहां उन्होंने अपना ज्ञापन वाइस चांसलर को सौंपा और प्रोफेसर बेचैन को तुरंत विभाग अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर दलित प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन की नियुक्ति के संबंध में निर्देश जारी न किए जाने को लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा गया है. यह पत्र फोरम ऑफ एकेडमिक फॉर सोशल जस्टिस ने लिखा, साथ ही एक न्याय मार्च भी निकाला है.

न्याय मार्च महारैली

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर जातीय भेदभाव का आरोप लगा है. इस फोरम ने डीयू के वाइस चांसलर को अपना ज्ञापन सौंपा है जिसमें यह सवाल उठाया है कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने, पद के योग्य होने और वरिष्ठता सूची के नियम के अंतर्गत आने के बावजूद प्रोफेसर बेचैन को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही.

ज्ञापन सौंप की कार्यभार देने की मांग
साथ ही इस ज्ञापन के जरिए मांग की है वरिष्ठता सूची क्रम में प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को अविलंब विभाग अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा जाए. बता दें कि इस न्याय मार्च रैली का नेतृत्व डॉक्टर के पी सिंह सहित कई वरिष्ठ शिक्षकों ने किया. आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों का साझा मंच फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों के साथ हुए भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाता रहा है. इसी कड़ी में इस फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी अध्यक्ष के पद पर दलित शिक्षक की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा जिसमें उन्हें इस पूरे मामले को लेकर अवगत कराया. जिसमें लिखा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पिछले 3 सप्ताह से अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है.

पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद से खाली पड़े इस पद पर वरिष्ठता सूची के आधार पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी तय हुई थी. ऐसे में प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन का नाम सबसे ऊपर है. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें बुलाकर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी अभी तक उन्हें कार्यभार संभालने संबंधी निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. साथ ही वीसी को सौंपे गए ज्ञापन में फोरम ने यह सवाल उठाया कि सभी योग्यताओं से लैस होने और वरिष्ठता सूची के आधार पर नामांकित होने के बाद भी प्रोफेसर बेचैन को नियुक्ति के निर्देश क्यों नहीं दिए जा रहे हैं.

प्रोफेसर बेचैन को मिल चुका है हिंदी अकादमी पुरस्कार
वहीं फोरम ने शंका जताई है कि नियुक्ति में हो रही देरी के पीछे कहीं प्रोफेसर बेचैन का दलित होना कारण तो नहीं. वीसी को सौंपे इस ज्ञापन में प्रोफेसर बेचैन की उपलब्धियों को गिनाते हुए लिखा गया है कि प्रोफेसर बेचैन को हाल ही में हिंदी अकादमी पुरस्कार मिल चुका है. साथ ही वह एक प्रतिष्ठित लेखक भी हैं जिनकी आत्म कथाएं व कविताएं हिंदी पाठ्यक्रमों में अनेक विश्वविद्यालय में पढ़ाई जा रही हैं. साथ ही प्रशासन से जवाब मांगा है कि सामान्य वर्ग के शिक्षकों से ज्यादा योग्यता होने के बाबत उन्हें हिंदी विभाग का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया जा रहा.

तत्कालीन रूप से अध्यक्ष बनाने की मांग
वहीं फोरम ने अपने ज्ञापन में हिंदी विभाग में अध्यक्ष ना होने से छात्रों के पढ़ाई में हो रहे नुकसान का हवाला दिया और कहा कि एमफिल, पीएचडी में दाखिला लेने वाले और पीएचडी शोधार्थियों के आलेख, पाठ आदि का काम अध्यक्ष की अनुपस्थिति से रुका हुआ है. साथ ही फोरम का आरोप है कि विभाग में ऐसे कुछ शिक्षक है जो नहीं चाहते कि अध्यक्ष पद पर किसी दलित प्रोफेसर की नियुक्ति हो. ऐसे में कॉलेज के इन शिक्षकों के दबाव के चलते अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर रहा है या जातिवाद फैलाने का संदेश दे रहा है.

ऐसे में फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से पूरे मामले की जांच करने की मांग की है और कहा कि हिंदी विभाग के वरिष्ठता सूची के आधार पर प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को तत्कालीन रूप से अध्यक्ष बनाया जाए जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित समाज के व्यक्तियों को वास्तविक सामाजिक न्याय मिल सके.

शिक्षक और शोधार्थियों ने निकाला विशाल न्याय मार्च
बता दें कि फोरम के नेतृत्व में कई सामाजिक संगठनों और शिक्षकों शोधार्थियों छात्रों ने विशाल न्याय मार्च महारैली में फोरम का समर्थन किया. इस रैली में दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया, इग्नू, आईपी यूनिवर्सिटी, अंबेडकर यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों और शिक्षकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पूरा समर्थन दिया. यह न्याय मार्च डीयू के आर्ट फैकल्टी से चलकर कॉलेज के विभिन्न विभागों से होते हुए वाइस चांसलर के ऑफिस तक पहुंचा जहां उन्होंने अपना ज्ञापन वाइस चांसलर को सौंपा और प्रोफेसर बेचैन को तुरंत विभाग अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की.

Intro:दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर मचा हंगामा, जातिवाद को लेकर फोरम ऑफ अकादमिक और सोशल जस्टिस ने निकाली न्याय मार्च महारैली

नई दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर दलित प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन की नियुक्ति के संबंध में निर्देश जारी न किए जाने को लेकर फोरम ऑफ एकेडमिक फॉर सोशल जस्टिस ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा. साथ ही एक न्याय मार्च भी निकाला है जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाया है. इस फोरम ने डीयू के वाइस चांसलर को अपना ज्ञापन सौंपा है जिसमें यह सवाल उठाया है कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने, पद के योग्य होने और वरिष्ठता सूची के नियम के अंतर्गत आने के बावजूद प्रोफेसर बेचैन को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है. साथ ही इस ज्ञापन के जरिए मांग की है वरिष्ठता सूची क्रम में प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को अविलंब विभाग अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा जाए. बता दें कि इस न्याय मार्च रैली का नेतृत्व डॉक्टर के पी सिंह सहित कई वरिष्ठ शिक्षकों ने किया.

Body:आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों का साझा मंच फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों के साथ हुए भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाता रहा है. इसी कड़ी में इस फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी अध्यक्ष के पद पर दलित शिक्षक की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा जिसमें उन्हें इस पूरे मामले को लेकर अवगत कराया. जिसमें लिखा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पिछले 3 सप्ताह से अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है. पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद से खाली पड़े इस पद पर वरिष्ठता सूची के आधार पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी तय हुई थी. ऐसे में प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन का नाम सबसे ऊपर है. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें बुलाकर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी अभी तक उन्हें कार्यभार संभालने संबंधी निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. साथ ही वीसी को सौंपे गए ज्ञापन में फोरम ने यह सवाल उठाया कि सभी योग्यताओं से लैस होने और वरिष्ठता सूची के आधार पर नामांकित होने के बाद भी प्रोफेसर बेचैन को नियुक्ति के निर्देश क्यों नहीं दिए जा रहे हैं. वहीं फोरम ने शंका जताई है कि नियुक्ति में हो रही देरी के पीछे कहीं प्रोफेसर बेचैन का दलित होना कारण तो नहीं. वीसी को सौंपे इस ज्ञापन में प्रोफेसर बेचैन की उपलब्धियों को गिनाते हुए लिखा गया है कि प्रोफेसर बेचैन को हाल ही में हिंदी अकादमी पुरस्कार मिल चुका है. साथ ही वह एक प्रतिष्ठित लेखक भी हैं जिनकी आत्म कथाएं व कविताएं हिंदी पाठ्यक्रमों में अनेक विश्वविद्यालय में पढ़ाई जा रही हैं. साथ ही प्रशासन से जवाब मांगा है कि सामान्य वर्ग के शिक्षकों से ज्यादा योग्यता होने के बाबत उन्हें हिंदी विभाग का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया जा रहा.

वहीं फोरम ने अपने ज्ञापन में हिंदी विभाग में अध्यक्ष ना होने से छात्रों के पढ़ाई में हो रहे नुकसान का हवाला दिया और कहा कि एमफिल, पीएचडी में दाखिला लेने वाले और पीएचडी शोधार्थियों के आलेख, पाठ आदि का काम अध्यक्ष की अनुपस्थिति से रुका हुआ है. साथ ही फोरम का आरोप है कि विभाग में ऐसे कुछ शिक्षक है जो नहीं चाहते कि अध्यक्ष पद पर किसी दलित प्रोफेसर की नियुक्ति हो. ऐसे में कॉलेज के इन शिक्षकों के दबाव के चलते अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर रहा है या जातिवाद फैलाने का संदेश दे रहा है. ऐसे में फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से पूरे मामले की जांच करने की मांग की है और कहा कि हिंदी विभाग के वरिष्ठता सूची के आधार पर प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन को तत्कालीन रूप से अध्यक्ष बनाया जाए जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित समाज के व्यक्तियों को वास्तविक सामाजिक न्याय मिल सके.

Conclusion:बता दें कि फोरम के नेतृत्व में कई सामाजिक संगठनों और शिक्षकों शोधार्थियों छात्रों ने विशाल न्याय मार्च महारैली में फोरम का समर्थन किया. इस रैली में दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया, इग्नू, आईपी यूनिवर्सिटी, अंबेडकर यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों और शिक्षकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पूरा समर्थन दिया. यह न्याय मार्च डीयू के आर्ट फैकल्टी से चलकर कॉलेज के विभिन्न विभागों से होते हुए वाइस चांसलर के ऑफिस तक पहुंचा जहां उन्होंने अपना ज्ञापन वाइस चांसलर को सौंपा और प्रोफेसर बेचैन को तुरंत विभाग अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की.
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