नई दिल्ली: तीस हजारी कोर्ट (Tis hazari Court) ने दुष्कर्म के एक मामले में व्हाट्सएप पर देर रात की गई चैट और एक साथ ली गई तस्वीरों को आधार बनाते हुए आरोपी युवक को गिरफ्तारी से राहत दे दी. कोर्ट ने माना कि दोनों व्यक्ति दो से अधिक वर्षों से परिचित थे और सहमति से एक दूसरे के साथ रहते हैं. ऐसे में जांच पूरी होने तक आरोपी को गिरफ्तार करना और जेल में रखना जरूरी नहीं है. तीस हजारी कोर्ट के अवकाश कालीन न्यायाधीश धीरज मोर ने आरोपी युवक सुमित राणा को 25000 रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी.
सुमित राणा की तरफ से कोर्ट में पेश अधिवक्ता अंकित मान ने बताया कि नवंबर में युवती ने सुमित पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था. इस दौरान लगातार सुमित जांच अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर थाने में मौजूद हुआ, जिसके चलते उसे गिरफ्तार नहीं किया गया था. सुमित की तरफ से उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट उनकी दलील पर सहमत हुआ कि पीड़िता द्वारा बताया गया पहली घटना करीब 2 वर्षों से भी अधिक समय से पहले की है. ऐसे में मामले में जानबूझकर देरी की गई है. साथ ही शिकायतकर्ता के कई बयान बदले गए. इसके अलावा व्हाट्सएप पर मौजूद फोटोग्राफ्स और देर रात तक की गई बातचीत को कोर्ट ने आधार माना.
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कोर्ट इस बात से सहमत था कि दोनों ही लंबे समय से परिचित थे और अंतरंग संबंध में थे. जिसके बाद न्यायाधीश ने 25000 रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही कीमत की एक गारंटी के साथ आरोपी युवक को जमानत दे दी. साथ ही आरोपी को निर्देशित किया है कि वह लगातार जांच में शामिल होगा और किसी भी साक्ष्य को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा.