नई दिल्ली: बिहार के मिथिला की संस्कृति की एक झलक दिल्ली में देखने को मिली. जी हां दिल्ली में मिथिला में मनाए जाने वाला सामा चकेवा पर्व को मिथिलांचल वासियों ने धूमधाम से मनाया. मिथिला में पुराणकाल से सामा चकेवा का पर्व मनाया जाता है. उसी तर्ज पर दिल्ली के किराड़ी इलाके में भी इस पर्व का आयोजन किया गया. बहनों ने सामा चकेवा की मिट्टी की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाकर पानी में प्रवाहित की. छठ के आठवें दिन मनाए जाने वाला यह पर्व भाई-बहन के प्यार का पर्व है.
दिल्ली के किराड़ी इलाके में बिहार की संस्कृति को जीवित रखते हुए सामा-चकेवा का पर्व सभी ने हर्षोल्लास से मनाया. बिहार के मिथिला में पौराणिक काल से सामा-चकेवा का पर्व मनाया जा रहा है. यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्यार के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. दिल्ली में इस पर्व को मनाने की शुरुआत प्रेम नगर किराड़ी से की गई है. दिल्ली का यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर इस पर्व को मनाया जा रहा है और बिहार की मिथिला के संस्कृति को यहां पर जीवित रखा गया है.
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लोग भारी संख्या में इस पर्व में पहुंचकर हिस्सा लेते हुए दिखाई दिए. सभी बहनों के हाथ में एक टोकरी थी जिसमें सामा-चकेवा की मिट्टी की छोटी मूर्ति और साथ ही चुगला के प्रतीक जो कि लकड़ी से बनाए गए थे वह भी दिखाई दिए. छठ के आठवें दिन इस पर्व को मनाया जाता है और छठ के अगले दिन से ही बहनें सामा-चकेवा की प्रतिमा बनाकर उनके गीत गाती हैं. साथ ही चुगला को भला बुरा कहते हुए उसे हर रोज जलाया जाता है. आज चुगला को पूर्ण रूप से जलाकर सामा-चकेवा को पानी में प्रवाहित किया जाता है. सामा और चकेवा की कहानी पौराणिक काल की है. चुगला ने भाई बहन के प्यार को बदनाम करने की कोशिश की जिसके चलते चुगला को जलाया जाता है और आज के दिन इस पर्व को मनाया जाता है.
आयोजकों का कहना है कि आने वाले सालों में इस पर्व को न सिर्फ किराड़ी प्रेम नगर, बल्कि दिल्ली के अंदर कई जगहों पर भी मनाने की शुरुआत की जाएगी, जिससे मिथिला के इस पर्व को पूरी दिल्ली में हर्षोल्लास से मिलजुल कर बनाया जा सके.
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