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NSUI ने किया एमएचआरडी के सामने प्रदर्शन, रखी DU की परीक्षा रद्द करने की मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय ओपन बुक परीक्षा को लेकर विरोध लगातार जारी है. ऐसे में बुधवार को परिक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर एनएसयूआई ने शास्त्री भवन स्थित एमएचआरडी पर विरोध प्रदर्शन किया.

NSUI protested at MHRD to postpone du obe exam at shastri park
ऑनलाइन ऑपन बुक एग्जाम के विरोध NSUI ने किया प्रदर्शन
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Published : Jul 1, 2020, 9:24 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा (OBE) आयोजित करने के फैसले के विरोध में एनएसयूआई ने शास्त्री भवन स्थित मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने एमएचआरडी से विश्वविद्यालय की परीक्षा रद्द करने की मांग की है. साथ ही मांग रखी कि छात्रों को उनकी पूर्व परीक्षा के आधार पर पास कर दिया जाए और उनकी फीस भी माफ की जाए.

ऑनलाइन ऑपन बुक एग्जाम के विरोध NSUI ने किया प्रदर्शन

पुलिस ने की रोकने की कोशिश

बता दें कि एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन की अगुवाई में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने एमएचआरडी तक कूच कर घेराव किया. प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय परीक्षा रद्द किए जाए के नारे लगा रहे थे. वहीं इस प्रदर्शन को लेकर एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि उनका प्रदर्शन केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया था. उस पर भी पुलिस द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश की गई.

पूर्व परीक्षा के आधार पर पास करने की मांग

वहीं नीरज कुंदन ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान विश्वविद्यालय में छात्रों की परीक्षा आयोजित कराना छात्र हित में नहीं है. इसलिए परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि वह एमएचआरडी से यह अपील करना चाहते हैं कि छात्रों को उनकी पूर्व परीक्षाओं के आधार पर नंबर दिए जाएं जिसमें मूल्यांकन के दौरान उनके पिछले प्रदर्शन के अंकों के अतिरिक्त 10 फीसदी अंक और भी दिए जाएं जिससे कमजोर छात्र भी परीक्षा पास कर सकें और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सके.


समान नीति अपनाने पर दिया जोर

उन्होंने कहा कि इस समय जरूरी है कि एक सार्वभौमिक प्रणाली अपनाई जाए, जिससे प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक स्तर के छात्र को परीक्षा में लाभ मिल सके. इसके अलावा उन्होंने मांग की है कि छात्रों की पदोन्नति के साथ-साथ उनकी फीस भी माफ की जाए क्योंकि कोरोना वायरस के चलते कई छात्रों के परिवारों पर आर्थिक संकट आ गया है. ऐसे में जरूरी है कि विश्वविद्यालयों में समान नीति को अपनाया जाए. वहीं उन्होंने कहा कि ऐसे में विश्वविद्यालय को उन विश्वविद्यालयों से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने छात्रों को पूर्व परीक्षा के आधार पर पास कर दिया है या पास करने की योजना बना चुके हैं.

वहीं एनएसयूआई के राष्ट्रीय महासचिव नागेश करिअप्पा ने कहा छात्रों और युवाओं के हितों में जिन्होंने कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों का सामना किया है वह सबसे अधिक हैं और उन्हें किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा (OBE) आयोजित करने के फैसले के विरोध में एनएसयूआई ने शास्त्री भवन स्थित मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने एमएचआरडी से विश्वविद्यालय की परीक्षा रद्द करने की मांग की है. साथ ही मांग रखी कि छात्रों को उनकी पूर्व परीक्षा के आधार पर पास कर दिया जाए और उनकी फीस भी माफ की जाए.

ऑनलाइन ऑपन बुक एग्जाम के विरोध NSUI ने किया प्रदर्शन

पुलिस ने की रोकने की कोशिश

बता दें कि एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन की अगुवाई में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने एमएचआरडी तक कूच कर घेराव किया. प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय परीक्षा रद्द किए जाए के नारे लगा रहे थे. वहीं इस प्रदर्शन को लेकर एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि उनका प्रदर्शन केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया था. उस पर भी पुलिस द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश की गई.

पूर्व परीक्षा के आधार पर पास करने की मांग

वहीं नीरज कुंदन ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान विश्वविद्यालय में छात्रों की परीक्षा आयोजित कराना छात्र हित में नहीं है. इसलिए परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि वह एमएचआरडी से यह अपील करना चाहते हैं कि छात्रों को उनकी पूर्व परीक्षाओं के आधार पर नंबर दिए जाएं जिसमें मूल्यांकन के दौरान उनके पिछले प्रदर्शन के अंकों के अतिरिक्त 10 फीसदी अंक और भी दिए जाएं जिससे कमजोर छात्र भी परीक्षा पास कर सकें और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सके.


समान नीति अपनाने पर दिया जोर

उन्होंने कहा कि इस समय जरूरी है कि एक सार्वभौमिक प्रणाली अपनाई जाए, जिससे प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक स्तर के छात्र को परीक्षा में लाभ मिल सके. इसके अलावा उन्होंने मांग की है कि छात्रों की पदोन्नति के साथ-साथ उनकी फीस भी माफ की जाए क्योंकि कोरोना वायरस के चलते कई छात्रों के परिवारों पर आर्थिक संकट आ गया है. ऐसे में जरूरी है कि विश्वविद्यालयों में समान नीति को अपनाया जाए. वहीं उन्होंने कहा कि ऐसे में विश्वविद्यालय को उन विश्वविद्यालयों से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने छात्रों को पूर्व परीक्षा के आधार पर पास कर दिया है या पास करने की योजना बना चुके हैं.

वहीं एनएसयूआई के राष्ट्रीय महासचिव नागेश करिअप्पा ने कहा छात्रों और युवाओं के हितों में जिन्होंने कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों का सामना किया है वह सबसे अधिक हैं और उन्हें किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए.

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