नई दिल्ली: बैंक से लोन निकालने के फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले दो आरोपियों को दिल्ली की केएन काटजू मार्ग पुलिस ने गिरफ्तार किया है. लोन पर खरीदे वाहनों को शराब तस्करों को बेचकर लूट का झूठा मुकदमा दर्ज कराते थे. आरोपियों ने बैंक से 42 लाख रुपये का पर्सनल लोन भी लिया था. अपने घर से कार लूट की वारदात का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था.
बदमाशों ने युवक के साथ की लूटपाट
केएन काटजू मार्ग पुलिस ने फर्जी कागजों पर लोन लेने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में से एक ने डीयू से बीकॉम किया है. इनके कब्जे से पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड एवं डीएल बनाने की सामग्री और बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए. रोहिणी सेक्टर-16 निवासी सुनील ने सात जुलाई को दिल्ली के केएन काटजू मार्ग थाना पुलिस को एक लूट की शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित ने बताया कि युवकों ने बंदूक की नोंक पर बंधक बना कर उससे कार, पचास हजार रुपये और दो मोबाइल फोन लूट लिया. पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर एसएचओ बलिहर सिंह के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई .
व्यवसाय की जानकारी होने पर खुला राज
पीड़ित सुनील स्थानीय स्पा सेंटर में मसाज का काम करता था और उसने 17 लाख रुपये की कार खरीदी थी. जब जांच की गई तो मालूम हुआ कि सुनील का असली नाम सुमित है. उसने फर्जी दस्तावेज दिखा कर वाहन लोन लिया था. फिर पुलिस ने जब पूछताछ शुरू की तो सारा मामला खुलकर सामने आ गया.
फर्जी दस्तावेजों से खरीदी 5 गाड़ियां
पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि सुमित अपने साथी राजकुमार और गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज बनाकर पहले लोन पर गाड़ी खरीद लेता और उसके बाद उस गाड़ी को ही कुछ दिन चलाकर शराब तस्करों को भेज दिया करता था. साथ ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर के लूट की फर्जी वारदात को अंजाम देकर एक मनगढ़ंत कहानी के तहत पुलिस में शिकायत भी करता था, लेकिन जब पुलिस ने शक होने पर सख्ती से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हो गया. पूछताछ के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि इस तरीके से 5 से ज्यादा गाड़ियां खरीदकर उसके फर्जी दस्तावेज पर लोन लेकर करीब 42 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा कर चुका था, जोकि अब सलाखों के पीछे है.
गिरोह के सरगना की कोरोना से मौत
जांच में मालूम हुआ कि गिरोह का सरगना मनोज शास्त्री नाम का शख्श था. जिसकी 22 जून को कोरोना से मौत हो चुकी है. मनोज पर ठगी के 6 मामले दर्ज थे. मनोज के संपर्क में आने पर सुमित उर्फ सुनील और राजकुमार भी इस गिरोह के सदस्य बन गए.