नई दिल्लीः कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है, लेकिन ऑनलाइन टीचिंग की भी अपनी सीमाएं हैं. वहीं जिनके पास इंटरनेट आदि की सुविधा नहीं है, वह छात्र अभी भी पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. खास तौर पर ऐसे प्रदेशों में रहने वाले छात्र, जिनके पास स्मार्टफोन जैसी सुविधाओं का भी अभाव है.
इन्हीं सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सहित कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों के टीचिंग फैकल्टी ने मिलकर ऑनलाइन टीचिंग वीडियो तैयार किया है, जिसका प्रसारण शिक्षा मंत्रालय के स्वयंप्रभा चैनल पर किया जाएगा. इसको इसको लेकर जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. बीएस बालाजी ने बताया कि मैसिव ऑनलाइन कोर्स पर वह और कई अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षक काम कर रहें हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापक स्तर पर छात्रों को ऐसे माध्यम से शिक्षित करना है जो सबको सुलभ हो.
दूर-दराज के छात्रों को भी मिलेगा लाभ
इस योजना पर काम कर रहे जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. बीएस बालाजी ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण को देखते हुए शैक्षिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में छात्रों की ऑनलाइन क्लास भले ही लग रही हो, लेकिन अभी भी कई ऐसे छात्र हैं जो दूर-दराज के गांव में रहते हैं जहां एंड्रॉइड फोन और इंटरनेट सहित अन्य संसाधनों का अभाव है और उन तक शिक्षण सामग्री नहीं पहुंच पा रही है.
इसके अलावा सभी छात्रों के पढ़ने का स्तर भी अलग-अलग होता है तो सबके लिए नोट्स को समझ पाना भी कई बार मुश्किल हो जाता है. इन्हीं तमाम मुद्दों को संज्ञान में लेते हुए जेएनयू फैकल्टी सहित कई केंद्रीय विश्वविद्यालय के टीचिंग फैकल्टी ने पहल की है कि सभी छात्रों में व्यापक तौर पर शिक्षा देने के लिए मैसिव ऑनलाइन टीचिंग को बढ़ावा दिया जाए.
क्रैश कोर्स की तर्ज पर तैयार किए गए लेक्चर
डॉ. बालाजी ने बताया कि क्रैश कोर्स की तर्ज पर यूजी और पीजी कोर्स के 50 से 60 घंटे के लेक्चर को 15 से 20 घंटों में ही समेट कर छात्रों के लिए रिकॉर्ड किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस रिकॉर्डिंग की भाषा इतनी सहज रखी गई है और समझाने के तरीके को इतना सरल रखा गया है कि हर वर्ग और हर स्तर के छात्र को यह आसानी से समझ में आ सके. उन्होंने बताया कि शहर से लेकर गांव तक हर तबके के छात्रों के पास यह उपलब्ध हो सके, इस को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए स्वयंप्रभा चैनल पर इसका प्रसारण किया जाना तय हुआ है.
जल्द ही कई भाषाओं में उपलब्ध होंगे लेक्चर्स
साथ ही उन्होंने बताया कि फिलहाल अंग्रेजी भाषा में ही सभी लेक्चर तैयार किए गए हैं, लेकिन आगे कोशिश जारी है कि इनका अलग-अलग भाषाओं में भी अनुवाद किया जा सके, जिससे छात्र अपनी सहज भाषा में इसे समझ सके और सीख सकें. डॉ. बीएस बालाजी ने बताया कि शिक्षकों ने अपने घर पर ही बैठकर यह ऑनलाइन टीचिंग सामग्री तैयार की है, जिसका गुरुवार से स्वयंप्रभा चैनल पर प्रसारण किया जाएगा.