नई दिल्ली/गाजियाबादः भगवान शिव का प्रिय महीना सावन इस बार कुछ खास होगा. इस वर्ष इसमें 59 दिन होंगे, यानी यह अंग्रेजी कैलेंडर से एक नहीं, बल्कि दो महीने का होने जा रहा है. अभी तक चार या पांच सोमवार ही होते थे, जिस दिन शिव भक्त उपवास रखकर व्रत करते थे, मगर इस बार सावन में 8 सोमवार होंगे. सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व बताया गया है. महादेव को समर्पित इस पूरे महीने में धर्म-कर्म के कार्य किए जाते हैं. इसको लेकर शिव भक्तों में उत्साह है. साथ ही शिव मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं.
दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्राचीन श्री गौरी शंकर मंदिर के मैनेजर तेज प्रकाश ने सावन को लेकर मंदिर की तैयारियों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार अधिक मास पड़ रहा है. इसका अर्थ हुआ कि इस बार साल में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने होंगे. एक अधिक मास सावन का है. ऐसे में बाबा भोलेनाथ की कृपा पाने का अवसर भक्तों को अधिक मिल जाएगा. 19 साल बाद 10 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक सावन का पवित्र महीना होगा. इसके पहले 2004 में ऐसा संयोग पड़ा था.
इस तारीख से शुरू होगा सावनः श्री गौरी शंकर मंदिर के मैनेजर तेजप्रकाश ने बताया कि इस वर्ष सावन 4 जुलाई से शुरू होगा, जो 31 अगस्त तक रहेगा. सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई 2023 को पड़ रहा है. इसके साथ ही आठवां और अंतिम सोमवार 28 अगस्त को पड़ेगा.
सावन सोमवार 2023 की तिथियां
- पहला सोमवार- 10 जुलाई
- दूसरा सोमवार -17 जुलाई
- तीसरा सोमवार - 24 जुलाई
- चौथा सोमवार - 31 जुलाई
- पांचवां सोमवार -07 अगस्त
- छठा सोमवार - 14 अगस्त
- सातवां सोमवार- 21 अगस्त
- आठवां सोमवार- 28 अगस्त
तेज प्रकाश ने बताया कि अधिक मास के कारण इस साल सावन के बाद के सारे पर्व-त्योहार भी सामान्य से कुछ दिन बाद पड़ेंगे. जैसे रक्षाबंधन 31 अगस्त को पड़ेगा, जबकि आमतौर पर यह 10 से 15 अगस्त के आसपास पड़ता है. इसके अलावा सावन महीना मणिकांचन योग में शुरू होगा, जिसे बेहद शुभ माना गया है. सावन के महीने के दौरान रोजाना शिवलिंग पर जलाभिषेक करना भोलेनाथ की अपार कृपा दिलाता है. इस पवित्र माह में भोलेनाथ पर चढ़ाया गया एक लोटा जल से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं.
सावन में सोमवार का महत्वः माना जाता है इस माह में भगवान शिव संपूर्ण सृष्टि का संचार करते हैं. तेज प्रकाश के अनुसार सावन मास में भोलेनाथ अपने भक्तों की प्रार्थना को सरलता से सुन लेते हैं. इसके साथ ही सावन के दौरान कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. सावन के महीने में कांवड़ियां उछलते कूदते कांवड़ यात्रा करते हैं. कांवड़ियों के इस व्यवहार को भोलेनाथ और मां गंगा से जोड़ कर देखा जाता है.
पूजा की विधिः जानकारों के अनुसार शिव भक्त पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग चढ़ाते हैं. साथ ही दूध सहित कई पवित्र द्रव्यों से अभिषेक भी करते हैं. सनातन धर्म के मुताबिक खुली और रोशनी वाली जगह पर ही शिवलिंग को स्थापित किया जाता है. कभी भी पूजा करते समय उत्तर दिशा में नहीं बैठें. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिशा में भगवान शिव का बांया अंग होता है, जो कि देवी गौरी हैं.
गौरी शंकर मंदिर में तैयारियांः चांदनी चौक में गौरी शंकर मंदिर में इस बार सावन को लेकर खास इंतज़ाम किये जा रहे हैं. मंदिर की मैनेजिंग कमेटी "दि मैनेजिंग कमेटी शिवाला आपा गंगाधर" के मैनेजर ने बताया कि इस बार मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए सुंदर वातावरण तैयार किया जाएगा. पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा. साथ ही भोलेनाथ का शृंगार मेवे से भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सावन में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं. इसलिए मंदिर कमेटी कुछ ऐसी मशीनों का इंतज़ाम कर रही है, जिससे श्रद्धालु बाहर से ही भोलेनाथ पर जल चढ़ा सकें. इस बात सावन मास में भव्य भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा.
गौरी शंकर मंदिर का इतिहासः श्री गौरी शंकर मंदिर, दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यह काफी विख्यात है. यहां शिवजी का अर्धनारीश्वर रूप देखने को मिलता है. मान्यता है कि मंदिर में कोई भी भक्त अगर अपनी मुराद लेकर आता है तो शिव जी के कृपा से वह जरूर पूर्ण होती है. यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है. 1761 में मराठा सैनिक आपा गंगाधर ने इसके भवन का निर्माण करवाया था.
इसके ऊपर एक पिरामिड बना हुआ है, जिसके नीचे मंदिर का नाम लिखा हुआ है. इसके बनने के कई दशकों बाद सेठ जयपुर के द्वारा 1959 में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया. उन्होंने इस मंदिर में पूजा की थी. शिव जी की प्रतिमा के साथ-साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय की भी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं.
आसानी से पहुंच सकते हैं श्री गौरी शंकर मंदिरः अगर आपेबस से चांदनी चौक स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर जाना चाहते है, तो बड़ा आसान है. रूट 159, 166, 78, 901 समेत अनेक बसें आती हैं. गूगल मैप के जरिए बसों की जानकारी ले सकते हैं. मेट्रो से पहुंचना भी आसान है. लालकिला मेट्रो स्टेशन से कुछ कदम की दूरी पर यह मंदिर है.
वहीं, चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन से भी लोग आराम से वहां पहुंच सकते हैं. अगर ट्रेन से यात्रा करते हुए दिल्ली आ रहे हैं और श्री गौरी शंकर मंदिर जाना चाहते हैं, तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन पुरानी दिल्ली है, जो कि मंदिर से सिर्फ 1.2 किलोमीटर दूर है.
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