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90 वर्षीय बुजुर्ग की हत्या के बाद करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने वाले को ईओडब्ल्यू ने किया गिरफ्तार - दिल्ली में मालिक की हत्या

दिल्ली में मालिक की हत्या कर करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने के आरोपी घरेलू सहायक को शुक्रवार को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया है. मामला 2017 का है.

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Published : Aug 11, 2023, 6:32 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 90 वर्षीय बुजुर्ग की करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने वाले घरेलू सहायक को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी पीड़ित के घर में नौकर था. आरोपी की पहचान रोहित चौधरी के रूप में हुई है. डीसीपी ईओडब्ल्यू सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि बिंदु शर्मा ने एफआईआर दर्ज करवाई थी कि उनके अंकल कृष्ण गोपाल दुआ की 2017 में साजिश के तहत हत्या कर दी गई थी. रोहित चौधरी ने इसके बाद उनकी संपत्ति हड़पने की साजिश की और इसमें उसके साथ सुनील चौधरी और प्रिंस चौधरी भी शामिल थे.

बिंदु शर्मा ने बताया कि 2017 में अंकल ने प्रिंस चौधरी को घरेलू सहायक के रूप में काम पर रखा था. उन्हें एक ड्राइवर की जरूरत थी. प्रिंस ने रोहित से मिलवाया और कहा कि वह ड्राइवर का काम कर सकता है. उसने बताया कि रोहित चौधरी उसका भाई है. कृष्ण गोपाल दुआ बहुत बीमार थे और वह चल फिर नहीं पाते थे इसलिए उन्होंने रोहित को काम पर रख लिया. अंकल की मौत के बाद प्रिंस चौधरी ने एक जीपीए प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह प्रॉपर्टी उसने कृष्ण गोपाल दुआ से खरीदी थी. उसने बताया कि उसने इसकी रजिस्ट्री हौज खास सब रजिस्टार ऑफिस में करवाई थी. इसमें प्रॉपर्टी की कीमत एक करोड़ 10 लाख रुपए बताई गई थी.

यह भी पढ़ेंः Delhi Murder: 11 साल के बच्चे की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, मां ने जताया पति की गर्लफ्रेंड पर शक

बैंक में फर्जी तरीके से खुलवाया अकाउंटः पीड़िता ने बताया कि फर्जीवाड़ा करने के लिए तीन आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक में एक जॉइंट अकाउंट खुलवाया था. पीड़िता की शिकायत के बाद ग्रेटर कैलाश थाना पुलिस हत्या के मामले की जांच कर रही है. वहीं, ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि आरोपियों ने पीड़ित बुजुर्ग की प्रॉपर्टी का फर्जी जीपीए बनवाया और बुजुर्ग की फर्जी वसीयत बनवाई.

आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक मोदीनगर में बुजुर्ग के फर्जी हस्ताक्षर करके एक जॉइंट बैंक अकाउंट खुलवाया. इसके बाद उन्होंने प्रॉपर्टी को अपने पिता रविन्द्र कुमार और एक परिचित सुनील चौधरी के नाम पर ट्रांसफर कर लिया, लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की और दस्तावेजों का मिलान किया तो यह सब फर्जी पाया गया. ईओडब्ल्यू यह भी जांच कर रही है कि सब रजिस्ट्रार ऑफिस से कोई अधिकारी और कर्मचारी तो इस मामले में शामिल नहीं है.

यह भी पढ़ेंः खुद को योग और आयुर्वेद का आचार्य बताकर लोगों को ठगने वाला स्वघोषित बाबा गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 90 वर्षीय बुजुर्ग की करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने वाले घरेलू सहायक को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी पीड़ित के घर में नौकर था. आरोपी की पहचान रोहित चौधरी के रूप में हुई है. डीसीपी ईओडब्ल्यू सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि बिंदु शर्मा ने एफआईआर दर्ज करवाई थी कि उनके अंकल कृष्ण गोपाल दुआ की 2017 में साजिश के तहत हत्या कर दी गई थी. रोहित चौधरी ने इसके बाद उनकी संपत्ति हड़पने की साजिश की और इसमें उसके साथ सुनील चौधरी और प्रिंस चौधरी भी शामिल थे.

बिंदु शर्मा ने बताया कि 2017 में अंकल ने प्रिंस चौधरी को घरेलू सहायक के रूप में काम पर रखा था. उन्हें एक ड्राइवर की जरूरत थी. प्रिंस ने रोहित से मिलवाया और कहा कि वह ड्राइवर का काम कर सकता है. उसने बताया कि रोहित चौधरी उसका भाई है. कृष्ण गोपाल दुआ बहुत बीमार थे और वह चल फिर नहीं पाते थे इसलिए उन्होंने रोहित को काम पर रख लिया. अंकल की मौत के बाद प्रिंस चौधरी ने एक जीपीए प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह प्रॉपर्टी उसने कृष्ण गोपाल दुआ से खरीदी थी. उसने बताया कि उसने इसकी रजिस्ट्री हौज खास सब रजिस्टार ऑफिस में करवाई थी. इसमें प्रॉपर्टी की कीमत एक करोड़ 10 लाख रुपए बताई गई थी.

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बैंक में फर्जी तरीके से खुलवाया अकाउंटः पीड़िता ने बताया कि फर्जीवाड़ा करने के लिए तीन आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक में एक जॉइंट अकाउंट खुलवाया था. पीड़िता की शिकायत के बाद ग्रेटर कैलाश थाना पुलिस हत्या के मामले की जांच कर रही है. वहीं, ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि आरोपियों ने पीड़ित बुजुर्ग की प्रॉपर्टी का फर्जी जीपीए बनवाया और बुजुर्ग की फर्जी वसीयत बनवाई.

आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक मोदीनगर में बुजुर्ग के फर्जी हस्ताक्षर करके एक जॉइंट बैंक अकाउंट खुलवाया. इसके बाद उन्होंने प्रॉपर्टी को अपने पिता रविन्द्र कुमार और एक परिचित सुनील चौधरी के नाम पर ट्रांसफर कर लिया, लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की और दस्तावेजों का मिलान किया तो यह सब फर्जी पाया गया. ईओडब्ल्यू यह भी जांच कर रही है कि सब रजिस्ट्रार ऑफिस से कोई अधिकारी और कर्मचारी तो इस मामले में शामिल नहीं है.

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