नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में DUTA ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत करीब 4500 हजार शिक्षकों को स्थायी न किए जाने को लेकर प्रेस वार्ता की. एडहॉक टीचर जोकि कई सालों से दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग कॉलेजों में कार्यरत हैं. उन्हें अभी तक परमानेंट नहीं किया गया है बल्कि उन्हें कई प्रताड़नाए दी जा रही है. उन्हें किसी प्रकार का अवकाश, सैलेरी, प्रमोशन की सुविधाएं नहीं है.
डूटा के कई प्रोफेसर शामिल
इस प्रेस वार्ता में डूटा के वर्तमान प्रेसिडेंट राजीव रे, पूर्व प्रेसिडेंट नंदिता नारायण आदित्य नारायण और नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के इस साल हुए डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार और पूर्व मेम्बर डॉक्टर एके भागी समेत कई टीचर शामिल हुए.
'सरकार लेकर आए एक परमानेंट रेगुलेशन'
डूटा प्रेसिडेंट राजीव रे ने कहा कि यह मांग काफी समय से उठाई जा रही है कि DU में जो इतनी बड़ी संख्या में एडहॉक टीचर काम कर रहे हैं उन्हें परमानेंट किया जाए. लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय वाइस चांसलर ने नियुक्तियां रोकी हुई है. जिसको लेकर हम मांग कर रहे हैं कि एक परमानेंट रेगुलेशन लाया जाए और सरकार इसमें हस्तक्षेप करें.
'महिला टीचरों को नहीं मिल रही मेटरनिटी लीव'
पूर्व प्रेजिडेंट आदित्य नारायण का कहना था कि जो फीमेल एडहॉक ऑफ़ टीचर हैं उन्हें मैटर्निटी लीव तक नहीं मिल रही है. जिसके चलते वह गर्भावस्था में भी कॉलेज में पढ़ाने के लिए पहुंच रही हैं. यहां तक कि वह डिलीवरी के बाद भी तुरंत अपनी जॉब को ज्वाइन करने के लिए मजबूर है.
'दिल्ली विश्वविद्यालय कर रहा नियमों का उल्लंघन'
इस दौरान डूटा की पूर्व प्रेजिडेंट रह चुकी नंदिता नारायण भी प्रेस वार्ता में शामिल हुई जिन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय नियम के मुताबिक 10 फ़ीसदी तक एडहॉक टीचर रख सकती है. लेकिन वर्तमान में 50 फ़ीसदी तक एडॉक टीचर दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं. जिससे दिल्ली विश्व विद्यालयनियमों का उल्लंघन कर रहा है.