नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019 - 20 की शुरुआत हो गई है. वहीं इसी के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय में चुनावी सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं.
दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ चुनाव (डूटा) के चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद से ही डीयू में चुनाव का माहौल बनना शुरू हो गया है.
एनडीटीएफ और डीटीएफ के उम्मीदवार घोषित
वहीं इस बार चुनावी मैदान में नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने अध्यक्ष पद पर प्रोफेसर ए.के भागी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) ने एक बार फिर से मौजूदा अध्यक्ष राजीव रे पर भरोसा जताया है.
बता दें कि इस बार पाठ्यक्रम संशोधन, एडहॉक, प्रोमोशन और पाठ्यक्रम संसोधन चुनावी मुद्दा रहने वाला है.
डूटा चुनाव के मामले पर ईटीवी भारत ने एनडीटीएफ के उम्मीदवार ए.के. भागी से खास बातचीत की. ए के भागी ने कहा कि एनडीटीएफ का चुनावी मुद्दा प्रमोशन, सिलेबस का राजनीतिकरण, एडहॉक को खत्म कर परमानेंट नियुक्ति के जल्द आदेश जारी कराना प्रमुख मुद्दे हैं.
8 सालों से लेफ्ट संगठन का कब्जा
साथ ही कहा कि डूटा में पिछले 8 सालों से लेफ्ट संगठन का कब्जा है. लेकिन उन्होंने 8 सालों में शिक्षकों के मुद्दों को तरजीह न देकर अपने फायदे निकाले हैं. यह लोग अगर प्रदर्शन भी करते हैं तो वह भी केवल नाम के लिए और उस प्रदर्शन से शिक्षकों की समस्या का कोई निदान नहीं होता है.
भागी ने कहा कि मौजूदा शिक्षक संघ के पास एडहॉक को लेकर कोई एजेंडा नहीं है. वह नहीं चाहते हैं कि विश्वविद्यालय से एडहॉक सिस्टम खत्म हो. एनडीटीएफ के उम्मीदवार ए.के. भागी ने कहा कि अगर इस बार डूटा एनडीटीएफ जीतकर आते हैं, तो विश्वविद्यालय से एडहॉक सिस्टम को खत्म कर परमानेंट नियुक्ति पर काम करेंगे.
इसके अलावा उन्होंने पाठ्यक्रम संशोधन को लेकर डूटा के रवैया पर भी सवाल उठाया और कहा कि एनडीटीएफ छात्रों को चुनावी मुद्दे पढ़ने के सख्त विरोध में है. वह इस तरीके के सिलेबस को कभी भी पास नहीं होने देंगे.
साथ ही कहा कि पाठ्यक्रम का जिस तरीके से राजनीतिकरण किया जा रहा है. वह छात्रों के हित में नहीं है. बल्कि इस तरह से समाज में एक गलत संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है जोकि एनडीटीएफ कभी नहीं होने देगा.
वहीं मौजूदा अध्यक्ष और डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की ओर से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार राजीव रे पर निशाना साधते हुए, उन्होंने कहा कि जिस तरह से 8 साल तक लेफ्ट संगठन का शिक्षक संघ में कब्जा है और इस दौरान शिक्षकों के हित में कोई कार्य नहीं हुआ है.
'प्रशासन से ही सांठगांठ'
उसी तरह मौजूदा अध्यक्ष के कार्यकाल में भी शिक्षकों के हित का कोई कार्य नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि राजीव के कार्यकाल में रोस्टर, प्रमोशन, एडहॉक की सबसे बड़ी समस्या रही लेकिन वह इन मुद्दों पर प्रशासन से लड़ने के बजाय प्रशासन से ही सांठगांठ करते नजर आए.
भागी ने कहा कि मौजूदा डूटा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के जिन 28 कॉलेजों के फण्ड दिल्ली सरकार ने रोक दिए थे उस पर भी शिक्षकों का पक्ष सही तरीके से नहीं रख पाया था. जिसके चलते शिक्षकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ था कि जब किसी सरकार ने गवर्निंग बॉडी ना होने के चलते फंड जारी करने से इनकार कर दिया था.
29 अगस्त को डाले जाएंगे वोट
बता दें कि डीयू में अध्यक्ष और 15 अन्य सदस्यों के चयन के लिए 29 अगस्त को वोट डाले जाएंगे. इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ चुनाव में मतदान प्रक्रिया में करीब दस हजार शिक्षक भाग ले सकते हैं.
वहीं मतदान में हिस्सा लेने के लिए शिक्षक 11 अगस्त शाम 5 बजे तक पंजीकरण करा सकते हैं. इसके अलावा शिक्षक संघ का चुनाव सुचारू रूप से कराने के लिए पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर उज्जवल सिंह को चुनाव अधिकारी बनाया गया है.