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किसान की बेटी ने निकाला UPSC, पिता बोले- सीना गर्व से चौड़ा हो गया - GOVERMENT JOB

नतिशा के माता पिता बताते हैं कि परिवार में किसी ने भी यह परीक्षा पास करना तो दूर, कभी इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी तक भी नहीं की थी. नतिशा ने अपनी लगन और मेहनत से ही तीसरी बार के अटेंप्ट में आईएस की परीक्षा उतीर्ण की है.

किसान की बेटी ने निकाला UPSC, पिता बोले- सीना गर्व से चौड़ा हो गया
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Published : Apr 6, 2019, 11:14 PM IST


नई दिल्ली: बाहरी दिल्ली के मोहम्मदपुर मंजरी गांव की एक किसान की बेटी ने यूपीएससी पास करके माता-पिता के साथ गांव वालों का सीना भी गर्व से चौड़ा कर दिया है. बेटी के घर लौटने पर गांववासियों ने आईएस बनी नतिशा का ढोल नगाड़ों और फूल मालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया.

'10-10 घंटे लगातार करती थी पढ़ाई'
दिल्ली देहात के गांव की लड़की नतिशा ने यूपीएससी के लिए दिन रात मेहनत की और 351वां रैंक हासिल कर आईएस अफसर बन गईं. नतिशा के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी के 10-10 घंटे लगातार पढ़ाई करने के चलते ही वो गांव की पहली आईएस बनी है.

'DU में भी द्वितीय स्थान कर चुकी हैं हासिल'
शुरुआत में नतिशा ने गांव से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए पीतमपुरा तक रोज सफर करके सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई पूरी की. जिसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पॉलिटिकल ऑनर्स में एडमिशन लिया. जहां यूनिवर्सिटी में द्वितीय स्थान हासिल किया था. यहां भी नतिशा रोज गांव से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए पहुंचती थी.

'नतिशा करेगी गांव के बच्चों का मार्गदर्शन'
नतिशा के पिता एक किसान हैं और माता जी गृहणी हैं. नतीशा का एक छोटा भाई है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है. नतिशा के माता पिता बताते हैं कि परिवार में किसी ने भी यह परीक्षा पास करना तो दूर, कभी इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी तक भी नहीं की थी.

किसान की बेटी ने निकाला UPSC, पिता बोले- सीना गर्व से चौड़ा हो गया

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि नतिशा एक मार्गदर्शन का काम करेगी. नतिशा के यूपीएससी उत्तीर्ण करने पर गांव और आसपास के बच्चे और बच्चियां भी अच्छे से पढ़ाई करेंगे, ताकि वो भी इसी तरह की परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर पाएं.


नई दिल्ली: बाहरी दिल्ली के मोहम्मदपुर मंजरी गांव की एक किसान की बेटी ने यूपीएससी पास करके माता-पिता के साथ गांव वालों का सीना भी गर्व से चौड़ा कर दिया है. बेटी के घर लौटने पर गांववासियों ने आईएस बनी नतिशा का ढोल नगाड़ों और फूल मालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया.

'10-10 घंटे लगातार करती थी पढ़ाई'
दिल्ली देहात के गांव की लड़की नतिशा ने यूपीएससी के लिए दिन रात मेहनत की और 351वां रैंक हासिल कर आईएस अफसर बन गईं. नतिशा के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी के 10-10 घंटे लगातार पढ़ाई करने के चलते ही वो गांव की पहली आईएस बनी है.

'DU में भी द्वितीय स्थान कर चुकी हैं हासिल'
शुरुआत में नतिशा ने गांव से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए पीतमपुरा तक रोज सफर करके सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई पूरी की. जिसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पॉलिटिकल ऑनर्स में एडमिशन लिया. जहां यूनिवर्सिटी में द्वितीय स्थान हासिल किया था. यहां भी नतिशा रोज गांव से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए पहुंचती थी.

'नतिशा करेगी गांव के बच्चों का मार्गदर्शन'
नतिशा के पिता एक किसान हैं और माता जी गृहणी हैं. नतीशा का एक छोटा भाई है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है. नतिशा के माता पिता बताते हैं कि परिवार में किसी ने भी यह परीक्षा पास करना तो दूर, कभी इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी तक भी नहीं की थी.

किसान की बेटी ने निकाला UPSC, पिता बोले- सीना गर्व से चौड़ा हो गया

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि नतिशा एक मार्गदर्शन का काम करेगी. नतिशा के यूपीएससी उत्तीर्ण करने पर गांव और आसपास के बच्चे और बच्चियां भी अच्छे से पढ़ाई करेंगे, ताकि वो भी इसी तरह की परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर पाएं.

Intro:दिल्ली के ग्रामीण इलाके की बेटी बनी आईएएस यूपीएससी इम्तिहान पास कर किसान की बेटी मनी आईएस पूरे गांव में जश्न का माहौल ढोल और फूल मालाओं से किया गांव में अपने बेटी का स्वागत घरवालों का कहना 10 - 10 घंटे की पढ़ाई के कारण मिली सफलता गांव की अब तक की पहली ऐसी बेटी जो की बनी आईएएस


Body:दिल्ली देहात के एक गांव की लड़की ने यूपीएससी कोको ली फाइट किया और 3 51 वह रैंक प्राप्त किया गांव की बेटी आईएस बनी तो गांव के लोगों ने भी ढोल बजाकर मिठाईयां बांटकर खुशी मनाई बाहरी दिल्ली के मोहम्मदपुर मंजरी गांव की बेटी नतिशा इसी गांव में रहती है गांव में रहकर ही अपनी पढ़ाई को पूरा किया शुरुआत में गांव से पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा पीतमपुरा में अपने सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई के लिए जाती थी इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पॉलिटिकल ऑनर्स में उन्होंने एडमिशन लिया उसमें भी यूनिवर्सिटी में सेकंड पोजीशन प्राप्त की थी तब भी यह बाहरी दिल्ली केसी गांव से कॉलेज के लिए अप डाउन कर दी थी खास बात यह है कि नतिशा के पिताजी किसान है और माताजी हाउसवाइफ है परिवार में किसी ने भी यह परीक्षा उत्तरण करना तो दूर की बात है इससे पहले इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी भी नहीं की थी जिससे इन्हें गाइडलाइन मिलती इन्होंने अपनी लगन से ही यह सब कोशिश की और तीसरी बार की कोशिश में होने आईएस की परीक्षा उतीर्ण की गांव के लोगों ने खुशियां मनाएं और गांव के बुजुर्गों का कहना है कि एक मार्गदर्शन का काम करेगी इस लड़की के यूपीएससी उत्तर करने पर गांव और आसपास के बच्चे और बच्चियां भी पढ़ाई की अच्छी तैयारी करेंगे ताकि वह भी इसी तरह की परीक्षाओं में उत्तीर्ण हूं


Conclusion:गांव की बेटी आईएएस बनी तो गांव के लोगों ने ढोल बजाकर मिठाई बांटकर खुशी मनाई गांव की लड़की के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इस शहरों में गाइडेंस और सब सुविधाएं उपलब्ध होती हैं और गांव में उपलब्ध नहीं होती और इसका अधिकतर समय तो गांव से कॉलेज तक जाने और आने में ही व्यर्थ हो जाता है नतीशा के एक छोटे भाई हैं जोकि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है अब जरूरत है कि इस तरह के बच्चे दूसरे बच्चों के लिए भी उदाहरण बने जिससे हर कोई इन से प्रेरणा लेकर अपने भविष्य को और देश को निखार सके
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