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श्री गौरी शंकर मंदिरः जलाभिषेक के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, जानें क्यों खास है यह मंदिर

पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध श्री गौरी शंकर मंदिर में आज सावन के पहले सोमवार पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. लोगों में पूजा-अर्चना के लिए गजब का उत्साह देखा जा रहा है. आइए जानते हैं क्यों खास है यह मंदिर.

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Published : Jul 10, 2023, 8:03 AM IST

श्री गौरी शंकर मंदिर में लगी भक्तों की कतार

नई दिल्लीः आज सावन का पहला सोमवार है. ऐसे में देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. बारिश के बीच भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं. मंदिरों में बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. वहीं, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध श्री गौरी शंकर मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. लोगों में जलाभिषेक के लिए गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

अगर इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां पर शिवलिंग भूरे रंग का है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के चारों ओर चांदी के सर्प का घेरा है. मंदिर में भोले बाबा के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश भर से यहां पर आते हैं. श्री गौरी शंकर मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय विराजित हैं. इन मूर्तियों को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. जानकारों की मानें तो पांडवों के द्वारा भी इस मंदिर में पूजा की जाती रही है. इस मंदिर में भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप भी देखने को मिलता है. मान्यता है कि 5 पीपल के पेड़ के मध्य विराजे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी करते हैं.

जलाभिषेक के लिए भक्त सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे.
जलाभिषेक के लिए भक्त सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे.

श्रद्धलुओं की मनोकामना होती है पूरीः इस मंदिर का इतिहास लगभग 800 साल पुराना है. यहां भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप का अलौकिक दर्शन होता है. मान्यता है कि इस मंदिर में मन्नत मांगने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. पांडवों के द्वारा यहां पर प्राचीन काल में पूजा की जाती रही है. श्री गौरी शंकर मंदिर में आस्था का अपार संगम आपको हर बार देखने को मिल जाएगी. यहां भक्तों की लंबी-लंबी कतारें भगवान भोले बाबा के दर्शन के लिए हर समय लगी रहती है. लेकिन सावन के महीने में विशेष तौर पर भगवान शिव शंकर की आरती और पूजा अर्चना का विशेष आयोजन इस मंदिर में किया जाता है. साथ ही भजन संध्या का आयोजन भी होता है. श्री गौरी शंकर मंदिर देश की आजादी के सुनहरे पलों का भी गवाह रहा है.

मंदिर के बाहर तक भक्तों की लंबी कतार देखी जा रही है.
मंदिर के बाहर तक भक्तों की लंबी कतार देखी जा रही है.

ये भी पढे़ंः Sawan 2023 : घर में लाएं ये 9 चीजें, होती है भगवान भोलेनाथ की खास कृपा

बता दें कि 1909 से मंदिर की देखभाल करने वाली प्रबंध समिति के अनुसार 1761 में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर ने समंदर के भवन का निर्माण कराया था. वह भगवान शिव के परम भक्त भी थे. इनके नाम का जिक्र आज भी श्री गौरी शंकर मंदिर की छत पर मौजूद पिरामिड के निचले हिस्से में देखने को मिल जाता है. दरअसल, प्राचीन काल में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर युद्ध में बुरी तरह से घायल हो गए थे. इसके बाद उनके जीवित बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. उस समय अप्पा गंगाधर घायल अवस्था में इसी गौरी शंकर मंदिर पहुंचे थे. जहां उन्होंने महादेव से प्रार्थना करते हुए अपने बचने की मनोकामना मांगी थी. इसके बाद अप्पा गंगाधर की जान बच गई और उन्होंने अपनी मन्नत के अनुसार भगवान शिव के श्री गौरी शंकर मंदिर को बनवाया था.

ये भी पढ़ेंः Sawan 2023 : जब बेलपत्र न मिले तो कैसे करें पूजा, क्या है बेलपत्र का विकल्प

श्री गौरी शंकर मंदिर में लगी भक्तों की कतार

नई दिल्लीः आज सावन का पहला सोमवार है. ऐसे में देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. बारिश के बीच भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं. मंदिरों में बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. वहीं, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध श्री गौरी शंकर मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. लोगों में जलाभिषेक के लिए गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

अगर इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां पर शिवलिंग भूरे रंग का है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के चारों ओर चांदी के सर्प का घेरा है. मंदिर में भोले बाबा के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश भर से यहां पर आते हैं. श्री गौरी शंकर मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय विराजित हैं. इन मूर्तियों को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. जानकारों की मानें तो पांडवों के द्वारा भी इस मंदिर में पूजा की जाती रही है. इस मंदिर में भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप भी देखने को मिलता है. मान्यता है कि 5 पीपल के पेड़ के मध्य विराजे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी करते हैं.

जलाभिषेक के लिए भक्त सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे.
जलाभिषेक के लिए भक्त सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे.

श्रद्धलुओं की मनोकामना होती है पूरीः इस मंदिर का इतिहास लगभग 800 साल पुराना है. यहां भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप का अलौकिक दर्शन होता है. मान्यता है कि इस मंदिर में मन्नत मांगने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. पांडवों के द्वारा यहां पर प्राचीन काल में पूजा की जाती रही है. श्री गौरी शंकर मंदिर में आस्था का अपार संगम आपको हर बार देखने को मिल जाएगी. यहां भक्तों की लंबी-लंबी कतारें भगवान भोले बाबा के दर्शन के लिए हर समय लगी रहती है. लेकिन सावन के महीने में विशेष तौर पर भगवान शिव शंकर की आरती और पूजा अर्चना का विशेष आयोजन इस मंदिर में किया जाता है. साथ ही भजन संध्या का आयोजन भी होता है. श्री गौरी शंकर मंदिर देश की आजादी के सुनहरे पलों का भी गवाह रहा है.

मंदिर के बाहर तक भक्तों की लंबी कतार देखी जा रही है.
मंदिर के बाहर तक भक्तों की लंबी कतार देखी जा रही है.

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बता दें कि 1909 से मंदिर की देखभाल करने वाली प्रबंध समिति के अनुसार 1761 में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर ने समंदर के भवन का निर्माण कराया था. वह भगवान शिव के परम भक्त भी थे. इनके नाम का जिक्र आज भी श्री गौरी शंकर मंदिर की छत पर मौजूद पिरामिड के निचले हिस्से में देखने को मिल जाता है. दरअसल, प्राचीन काल में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर युद्ध में बुरी तरह से घायल हो गए थे. इसके बाद उनके जीवित बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. उस समय अप्पा गंगाधर घायल अवस्था में इसी गौरी शंकर मंदिर पहुंचे थे. जहां उन्होंने महादेव से प्रार्थना करते हुए अपने बचने की मनोकामना मांगी थी. इसके बाद अप्पा गंगाधर की जान बच गई और उन्होंने अपनी मन्नत के अनुसार भगवान शिव के श्री गौरी शंकर मंदिर को बनवाया था.

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