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Constable Than Singh School: गरीब बच्चों के लिए मसीहा बने थान सिंह, जानें क्या है इनकी कहानी

दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल थान सिंह पिछले सात साल से गरीब बच्चों के लिए पाठशाला चला रहे हैं. इसमें वैसे बच्चे पढ़ते हैं, जो कभी सड़कों पर कूड़ा बीनने का काम करते थे. आज ये बच्चे यहां से पढ़ाई करके बहुत अच्छा कर रहे हैं. इनकी पाठशाला में दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही कई छात्रा यहां पढ़ाती हैं. आइए जानते हैं कांस्टेबल थान सिंह की कहानी...

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Published : Apr 5, 2023, 8:39 PM IST

लाल किला ग्राउंड पार्किंग में बच्चों को पढ़ाते कांस्टेबल थान सिंह.

नई दिल्लीः कहते हैं, 'जहां चाह है, वहां राह है और इस कहावत को सही साबित कर दिखाया है दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल थान सिंह ने. दरअसल, अपने ड्यूटी का निर्वहन करते हुए भी वे दूसरों के लिए प्रेरणा देने का एक ऐसा काम कर रहे हैं, जो कि आने वाले समय में एक मिशाल बन सकेगा. उन्होंने गरीब मजदूर के बच्चों को अपनी पाठशाला के जरिए जो शिक्षा देने की, जो मशाल जलाई है. निश्चित रूप से इससे उन बच्चों का भविष्य न सिर्फ संवेरेगा बल्कि उज्ज्वल भी होगा

दिल्ली के लाल किला ग्राउंड पार्किंग में पुलिस हेड कांस्टेबल थान सिंह द्वारा 2015 से स्कूली बच्चों के लिए पाठशाला चलाई जा रही है. इसमें इलाके के आसपास के मजदूर वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. खास बात यह है कि यह बच्चे आसपास के दिहाड़ी मजदूर वर्ग के बच्चे हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. ऐसे समय में दिल्ली पुलिस के होनहार जवान मानसिंह एक मसीहा बनकर सामने आए और आज इनका भविष्य सवारने का कार्य कर रहे हैं.

पूरा माजरा यह है कि शुरुआती दौर में थान सिंह लाल किला में बतौर सिपाही तैनात थे. एक दिन ड्यूटी के दौरान उनकी नजर लाल किला के सुनहरी मस्जिद पार्किंग में कुछ छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ी जो कूड़ा कबाड़ा बीनने का कार्य कर रहे थे. इस घटना को देखकर वे अंदर से व्यथित हो गए और बच्चों से स्नेह भरा व्यवहार दिखाते हुए उनके माता-पिता से संपर्क किया. उन्होंने बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया. बमुश्किल बच्चों के मां-बाप थान सिंह पर भरोसा कर कर पाए और उन्हें शिक्षा के लिए उनके पास भेजने को राजी हुए.

प्रारंभ में थान सिंह ने 4 बच्चों को लेकर पढ़ाई का सिलसिला शुरू किया. धीरे-धीरे और बच्चों का आना उनकी पाठशाला में शुरू हो गया. आलम यह कि आज यह कारवां बढ़कर 80 तक हो हो गया है. आज यह बच्चे पढ़ाई के दम पर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं. अभी पिछले दिनों स्कूलों के रिजल्ट आए तो उसमें थान सिंह के पाठशाला के 7 बच्चों का रिजल्ट 75 परसेंट से ज्यादा आया. इसी से यह बात साबित होता है, अगर मौका मिले तो गरीब का बच्चा भी किसी से कम नहीं हो सकता है. थान सिंह के पाठशाला के बच्चों के रिजल्ट से अभिभावकों सहित तमाम जगह पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

थान सिंह की पाठशाला में कैसे होती है पढ़ाई?
हेड कांस्टेबल थान सिंह ने बताया कि मेरे लिए दिल्ली पुलिस की नौकरी भी बेहद खास है, लेकिन बच्चों का भविष्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है. इसी को ध्यान में रखते हुए माता सुंदरी कॉलेज की आधा दर्जन वॉलिंटियर जोकि ग्रेजुएशन से ओपन की पढ़ाई कर रही हैं. छात्राएं स्वेच्छा से इन बच्चों को पढ़ाने में लगी हुई हैं. उन्हें यह कार्य करते हुए बहुत ही आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है. एक टीचर विदुषी ने बताया कि वह माता सुंदरी कॉलेज में हिस्ट्री हॉनर की सेकंड ईयर की छात्रा है, तो वहीं दूसरी प्रभा झा जोकि मैथ्स हॉनर में सेकंड ईयर की छात्रा है. वो भी यहां पर आकर बच्चों को पढ़ाती हैं. टीचरों ने बातचीत में बताया की यह पुण्य का काम कैसी किस्मत वाले को है मिलता है.

सुविधाओं की बात की जाए तो थान सिंह ने बताया कि तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावा पुलिस अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा भी मदद पाठशाला को दी जाती है. एक तरफ जहां पुलिस के प्रति लोगों का नजरिया हमेशा ही नकारात्मक होता है. ऐसे में थान सिंह जैसे पुलिस ऑफिसर लोगों में विश्वास पैदा करने की पहल करने में जुटे हुए हैं. उनकी इस पहल से न सिर्फ इन नौनिहाल बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा बल्कि वे एक अच्छे और नेक इंसान भी बन सकेंगे. जिंदगी के जिस मोड़ पर भी वे रहेंगे. अपनी सफलता का श्रेय निश्चित रूप से हेड कांस्टेबल थान सिंह को देंगे.

थान सिंह का जीवन परिचय
हेड कांस्टेबल थान सिंह मूल रूप से राजस्थान के एक साधारण परिवार से हैं. लेकिन थान सिंह की बचपन और पढ़ाई दिल्ली में ही सम्पन्न हुई. अपने जीवन के बारे में रोशनी डालते हुए उन्होंने बताया कि वह बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका जीवन शुरुआती दौर में बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है. इसलिए वे नहीं चाहते कि कोई बच्चा बिना पढ़ाई के गलत राह पर में जा सके. उन्होंने इस कार्य का श्रेय दिल्ली पुलिस के अधिकारियों, डीडीपी सहित लालकिला पार्किंग ग्राउंड मैं स्थित भगवान की मूर्ति को अपना संभल बताया. इनकी वजह से ही मुझे शक्ति मिलती है.

पाठशाला में नार्थ जिले के डीसीपी का योगदान
दिल्ली पुलिस के डीसीपी सागर सिंह कलसी भी बेहद ही मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. उनसे जिले का कोई भी व्यक्ति जब चाहे मिलकर अपनी समस्या बता सकता है. वे उसका नियम सम्मत समाधान भी कर देते हैं. इसी कड़ी में उन्हें भी जब थान सिंह की पाठशाला के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने खुद पहल करते हुए बच्चों का एडमिशन स्कूलों में करवा दिया. जहां बच्चों को उनकी मान्यता वाली शिक्षा मिलने लगी है. वे आज पढ़ने में अव्वल साबित हो रहे हैं.

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किस्सा खाकी में भी थान सिंह की कहानी
दिल्ली पुलिस की पहल पर 'किस्सा खाकी का' एक ऐसा इनिसिएटिव है जिसमें दिल्ली पुलिस के उस जवान के बढ़िया कामों की तारीफ और बखान किया जाता है, जो समाज के हितों में सकारात्मक योगदान देते हैं. इसी कड़ी में हेड कांस्टेबल थान सिंह का भी एक एपिसोड उनके पाठशाला पर विस्तृत रूप बताया गया था. यह अपने ड्यूटी के साथ ही उन्होंने समाज के सबसे गरीब तबके के बच्चों का भविष्य संवारने का काम बखूबी कर रहे हैं. इस तरह दिल्ली पुलिस के इस होनहार जवान की आज की तारीख में हर तरफ प्रशंसा हो रही है. जो बीड़ा दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल थान सिंह ने उठाया है, अगर इसी प्रकार के कार्य समाज के अन्य क्षेत्रों के लोग भी करें तो समाज के वंचित शोषित वर्ग काफी लाभान्वित होंगे.

ये भी पढ़ेंः Hanuman Janmotsav 2023: बजरंगबली के प्रसन्न होने से दूर होंगे कष्ट, जानें व्रत का महत्व-पूजा और विधि-मुहूर्त

लाल किला ग्राउंड पार्किंग में बच्चों को पढ़ाते कांस्टेबल थान सिंह.

नई दिल्लीः कहते हैं, 'जहां चाह है, वहां राह है और इस कहावत को सही साबित कर दिखाया है दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल थान सिंह ने. दरअसल, अपने ड्यूटी का निर्वहन करते हुए भी वे दूसरों के लिए प्रेरणा देने का एक ऐसा काम कर रहे हैं, जो कि आने वाले समय में एक मिशाल बन सकेगा. उन्होंने गरीब मजदूर के बच्चों को अपनी पाठशाला के जरिए जो शिक्षा देने की, जो मशाल जलाई है. निश्चित रूप से इससे उन बच्चों का भविष्य न सिर्फ संवेरेगा बल्कि उज्ज्वल भी होगा

दिल्ली के लाल किला ग्राउंड पार्किंग में पुलिस हेड कांस्टेबल थान सिंह द्वारा 2015 से स्कूली बच्चों के लिए पाठशाला चलाई जा रही है. इसमें इलाके के आसपास के मजदूर वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. खास बात यह है कि यह बच्चे आसपास के दिहाड़ी मजदूर वर्ग के बच्चे हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. ऐसे समय में दिल्ली पुलिस के होनहार जवान मानसिंह एक मसीहा बनकर सामने आए और आज इनका भविष्य सवारने का कार्य कर रहे हैं.

पूरा माजरा यह है कि शुरुआती दौर में थान सिंह लाल किला में बतौर सिपाही तैनात थे. एक दिन ड्यूटी के दौरान उनकी नजर लाल किला के सुनहरी मस्जिद पार्किंग में कुछ छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ी जो कूड़ा कबाड़ा बीनने का कार्य कर रहे थे. इस घटना को देखकर वे अंदर से व्यथित हो गए और बच्चों से स्नेह भरा व्यवहार दिखाते हुए उनके माता-पिता से संपर्क किया. उन्होंने बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया. बमुश्किल बच्चों के मां-बाप थान सिंह पर भरोसा कर कर पाए और उन्हें शिक्षा के लिए उनके पास भेजने को राजी हुए.

प्रारंभ में थान सिंह ने 4 बच्चों को लेकर पढ़ाई का सिलसिला शुरू किया. धीरे-धीरे और बच्चों का आना उनकी पाठशाला में शुरू हो गया. आलम यह कि आज यह कारवां बढ़कर 80 तक हो हो गया है. आज यह बच्चे पढ़ाई के दम पर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं. अभी पिछले दिनों स्कूलों के रिजल्ट आए तो उसमें थान सिंह के पाठशाला के 7 बच्चों का रिजल्ट 75 परसेंट से ज्यादा आया. इसी से यह बात साबित होता है, अगर मौका मिले तो गरीब का बच्चा भी किसी से कम नहीं हो सकता है. थान सिंह के पाठशाला के बच्चों के रिजल्ट से अभिभावकों सहित तमाम जगह पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

थान सिंह की पाठशाला में कैसे होती है पढ़ाई?
हेड कांस्टेबल थान सिंह ने बताया कि मेरे लिए दिल्ली पुलिस की नौकरी भी बेहद खास है, लेकिन बच्चों का भविष्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है. इसी को ध्यान में रखते हुए माता सुंदरी कॉलेज की आधा दर्जन वॉलिंटियर जोकि ग्रेजुएशन से ओपन की पढ़ाई कर रही हैं. छात्राएं स्वेच्छा से इन बच्चों को पढ़ाने में लगी हुई हैं. उन्हें यह कार्य करते हुए बहुत ही आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है. एक टीचर विदुषी ने बताया कि वह माता सुंदरी कॉलेज में हिस्ट्री हॉनर की सेकंड ईयर की छात्रा है, तो वहीं दूसरी प्रभा झा जोकि मैथ्स हॉनर में सेकंड ईयर की छात्रा है. वो भी यहां पर आकर बच्चों को पढ़ाती हैं. टीचरों ने बातचीत में बताया की यह पुण्य का काम कैसी किस्मत वाले को है मिलता है.

सुविधाओं की बात की जाए तो थान सिंह ने बताया कि तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावा पुलिस अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा भी मदद पाठशाला को दी जाती है. एक तरफ जहां पुलिस के प्रति लोगों का नजरिया हमेशा ही नकारात्मक होता है. ऐसे में थान सिंह जैसे पुलिस ऑफिसर लोगों में विश्वास पैदा करने की पहल करने में जुटे हुए हैं. उनकी इस पहल से न सिर्फ इन नौनिहाल बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा बल्कि वे एक अच्छे और नेक इंसान भी बन सकेंगे. जिंदगी के जिस मोड़ पर भी वे रहेंगे. अपनी सफलता का श्रेय निश्चित रूप से हेड कांस्टेबल थान सिंह को देंगे.

थान सिंह का जीवन परिचय
हेड कांस्टेबल थान सिंह मूल रूप से राजस्थान के एक साधारण परिवार से हैं. लेकिन थान सिंह की बचपन और पढ़ाई दिल्ली में ही सम्पन्न हुई. अपने जीवन के बारे में रोशनी डालते हुए उन्होंने बताया कि वह बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका जीवन शुरुआती दौर में बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है. इसलिए वे नहीं चाहते कि कोई बच्चा बिना पढ़ाई के गलत राह पर में जा सके. उन्होंने इस कार्य का श्रेय दिल्ली पुलिस के अधिकारियों, डीडीपी सहित लालकिला पार्किंग ग्राउंड मैं स्थित भगवान की मूर्ति को अपना संभल बताया. इनकी वजह से ही मुझे शक्ति मिलती है.

पाठशाला में नार्थ जिले के डीसीपी का योगदान
दिल्ली पुलिस के डीसीपी सागर सिंह कलसी भी बेहद ही मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. उनसे जिले का कोई भी व्यक्ति जब चाहे मिलकर अपनी समस्या बता सकता है. वे उसका नियम सम्मत समाधान भी कर देते हैं. इसी कड़ी में उन्हें भी जब थान सिंह की पाठशाला के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने खुद पहल करते हुए बच्चों का एडमिशन स्कूलों में करवा दिया. जहां बच्चों को उनकी मान्यता वाली शिक्षा मिलने लगी है. वे आज पढ़ने में अव्वल साबित हो रहे हैं.

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दिल्ली पुलिस की पहल पर 'किस्सा खाकी का' एक ऐसा इनिसिएटिव है जिसमें दिल्ली पुलिस के उस जवान के बढ़िया कामों की तारीफ और बखान किया जाता है, जो समाज के हितों में सकारात्मक योगदान देते हैं. इसी कड़ी में हेड कांस्टेबल थान सिंह का भी एक एपिसोड उनके पाठशाला पर विस्तृत रूप बताया गया था. यह अपने ड्यूटी के साथ ही उन्होंने समाज के सबसे गरीब तबके के बच्चों का भविष्य संवारने का काम बखूबी कर रहे हैं. इस तरह दिल्ली पुलिस के इस होनहार जवान की आज की तारीख में हर तरफ प्रशंसा हो रही है. जो बीड़ा दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल थान सिंह ने उठाया है, अगर इसी प्रकार के कार्य समाज के अन्य क्षेत्रों के लोग भी करें तो समाज के वंचित शोषित वर्ग काफी लाभान्वित होंगे.

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