ETV Bharat / state

पराली का वैज्ञानिक तरीके से होगा निस्तारण, CM केजरीवाल ने किया PUSA इंस्टीट्यूट का निरीक्षण

पूसा एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित पराली का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण की नई तकनीकी का लाइव डेमो देखने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इंस्टीट्यूट पहुंचे. जिसके बाद सीएम केजरीवाल ने कहा कि इस तकनीक से दिल्ली के लोकों को काफी फायदा होगा.

author img

By

Published : Sep 24, 2020, 4:49 PM IST

CM Arvind Kejriwal visited Pusa agriculture Institute to inspect scientific bio decomposer technique
CM केजरीवाल ने पूसा डीकंपोजर तकनीकी का किया निरीक्षण

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को पराली का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण की तकनीकी के बारे में जानकारी लेने के लिए पूसा एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट पहुंचे. इस मौके पर इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर सहित तमाम अधिकारी मौजूद थे.

CM केजरीवाल ने पूसा डीकंपोजर तकनीकी का किया निरीक्षण
ठंड के समय बढ़ती है प्रदूषण की समस्या

पूसा एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित नई तकनीकी की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ठंड के मौसम में दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत धान की पराली तथा फसल के अवशेष हैं. जो मजबूरी में पंजाब और हरियाणा के किसान जलाते हैं. लेकिन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं जिन्होंने पराली का निस्तारण करने के लिए प्रभावी तकनीक विकसित की है.



पूसा डीकंपोजर तकनीकी का किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूसा डीकंपोजर तकनीक का निरीक्षण किया जिसमें फसल वाली खेतों में इस दवा का छिड़काव किया जाता है. 8 से 10 दिनों में फसल के डंठल के विघटन को तय करने और जलाने की आवश्यकता को रोकने के लिए खेतों में छिड़काव किया जाता है.


20 रुपय प्रति एकड़ है लागत

अपने निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वैज्ञानिकों ने कम लागत में इस तकनीकी को विकसित किया है. इस कैप्सूल की लागत केवल 20 रुपय प्रति एकड़ है और प्रभावी रूप से प्रति एकड़ 4 से 5 टन कच्चे भूसे का निस्तारण किया जा सकता है. एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा पिछले कई सालों से पंजाब और हरियाणा के कृषि क्षेत्रों में शोध किए जा रहे थे, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को पराली का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण की तकनीकी के बारे में जानकारी लेने के लिए पूसा एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट पहुंचे. इस मौके पर इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर सहित तमाम अधिकारी मौजूद थे.

CM केजरीवाल ने पूसा डीकंपोजर तकनीकी का किया निरीक्षण
ठंड के समय बढ़ती है प्रदूषण की समस्या

पूसा एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित नई तकनीकी की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ठंड के मौसम में दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत धान की पराली तथा फसल के अवशेष हैं. जो मजबूरी में पंजाब और हरियाणा के किसान जलाते हैं. लेकिन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं जिन्होंने पराली का निस्तारण करने के लिए प्रभावी तकनीक विकसित की है.



पूसा डीकंपोजर तकनीकी का किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूसा डीकंपोजर तकनीक का निरीक्षण किया जिसमें फसल वाली खेतों में इस दवा का छिड़काव किया जाता है. 8 से 10 दिनों में फसल के डंठल के विघटन को तय करने और जलाने की आवश्यकता को रोकने के लिए खेतों में छिड़काव किया जाता है.


20 रुपय प्रति एकड़ है लागत

अपने निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वैज्ञानिकों ने कम लागत में इस तकनीकी को विकसित किया है. इस कैप्सूल की लागत केवल 20 रुपय प्रति एकड़ है और प्रभावी रूप से प्रति एकड़ 4 से 5 टन कच्चे भूसे का निस्तारण किया जा सकता है. एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा पिछले कई सालों से पंजाब और हरियाणा के कृषि क्षेत्रों में शोध किए जा रहे थे, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.