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नौ साल से बिना आरोप तय हुए जेल में बंद है युवक, HC का आदेश 75 दिन के अंदर करें जमानत पर फैसला - Delhi High Court strict

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यूएपीए की धाराओं में गिरफ्तार व्यक्ति (Person arrested under UAPA sections) की जमानत पर निचली अदालत को 75 दिनों के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 9 साल पहले की गिरफ्तारी के बाद भी अब तक युवक पर आरोप पत्र दाखिल नहीं हुआ है.

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दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Oct 26, 2022, 3:45 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए की धाराओं में गिरफ्तार व्यक्ति (Person arrested under UAPA sections) की जमानत पर निचली अदालत को 75 दिनों के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा 9 साल पहले गिरफ्तार किए गए युवक की जमानत याचिका पर सुनवाई (Hearing on Bail Plea) कर रहा था.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 9 साल पहले की गिरफ्तारी के बाद भी अब तक युवक पर आरोप पत्र दाखिल नहीं हुआ है. इसके चलते वह बिना आरोप तय हुए 9 वर्षों से जेल में रहने को मजबूर है.

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने प्रतिबंधित संगठन सिमी का सदस्य होने के चलते गिरफ्तार किए गए मंजर इमाम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इमाम को जमानत याचिका पहले विशेष अदालत में दाखिल करने की स्वतंत्रता दी जाती है. साथ ही कोर्ट ने विशेष अदालत को जमानत याचिका पर 75 दिनों के अंदर फैसला करने का निर्देश भी दिया है.

ये भी पढ़ें : पीएफआई के14 सदस्यों ने गिरफ्तारी को लेकर मांगा मुआवजा, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

इमाम को एनआईए ने 2013 में गिरफ्तार किया था. उस पर आरोप था कि वह आतंकवादी संगठन एमआई का सदस्य है और देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए धन जुटा रहा है.

मंजर पर आरोप था कि वो नए युवाओं को बरगला कर देश विरोधी घटनाओं में लगाने के लिए भर्ती कर रहा है. साथ राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध जैसे अपराध की योजनाएं बनाने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप भी है.

ये भी पढ़ें : भारतीय नोट पर गांधी जी के साथ लक्ष्मी-गणेश की फोटो छापी जाए : अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए की धाराओं में गिरफ्तार व्यक्ति (Person arrested under UAPA sections) की जमानत पर निचली अदालत को 75 दिनों के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा 9 साल पहले गिरफ्तार किए गए युवक की जमानत याचिका पर सुनवाई (Hearing on Bail Plea) कर रहा था.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 9 साल पहले की गिरफ्तारी के बाद भी अब तक युवक पर आरोप पत्र दाखिल नहीं हुआ है. इसके चलते वह बिना आरोप तय हुए 9 वर्षों से जेल में रहने को मजबूर है.

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने प्रतिबंधित संगठन सिमी का सदस्य होने के चलते गिरफ्तार किए गए मंजर इमाम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इमाम को जमानत याचिका पहले विशेष अदालत में दाखिल करने की स्वतंत्रता दी जाती है. साथ ही कोर्ट ने विशेष अदालत को जमानत याचिका पर 75 दिनों के अंदर फैसला करने का निर्देश भी दिया है.

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इमाम को एनआईए ने 2013 में गिरफ्तार किया था. उस पर आरोप था कि वह आतंकवादी संगठन एमआई का सदस्य है और देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए धन जुटा रहा है.

मंजर पर आरोप था कि वो नए युवाओं को बरगला कर देश विरोधी घटनाओं में लगाने के लिए भर्ती कर रहा है. साथ राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध जैसे अपराध की योजनाएं बनाने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप भी है.

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