नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना की हालत बहुत ही बदहाल हो गई है, जहां पानी भी काला दिखाई देने लगा है. यहां पर श्रद्धालु आस्था के चलते त्यौहार पर जरूर आते हैं. लेकिन वह भी यहां से गंदगी होने की वजह से केवल खानापूर्ति कर वापस चले जाते हैं. यमुना की सफाई के नाम पर हर साल मोटा बजट खर्च किया जाता है. उसके बावजूद भी यमुना की हालत बहुत ही बदहाल नजर आ रही है.
लोगों की आस्था के साथ हो रहा है खिलवाड़
यह नजारा है वजीराबाद स्थित यमुना रामघाट का है, जहां पर यमुना का पानी बिल्कुल काला, बदबूदार और गंदा नजर आ रहा है. यमुना के इस प्राचीन घाट पर लोजी आस्था के चलते आते है और यहां पर गंदी बदबू आती है. राम घाट पर लोगों की आस्था होने के चलते स्थानीय दुकानदारों को खुद ही यहां पर सफाई करनी पड़ती है, ताकि किसी तरह इनकी आजीविका चलती रहे.
लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से एक बार भी यमुना की सफाई नहीं हुई है, बीच में एक बार मशीन आई थी उससे ज्यादा कूड़ा तो लोग खुद ही हटा लेते हैं. सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की गई, उसके बाद कभी भी यहां पर ना तो सफाई हुई और ना ही मशीन दिखाई दी.
यमुना के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है, घरों से निकलने वाली गंदगी को भी लोग यमुना में डालते हैं साथ ही यहां पर और जलीय पौधों की भरमार है. जिनमें गंदगी फंसकर पानी को खराब कर रही है.
नहीं होती यमुना की सफाई
जब किसी नेता का दौरा होता है तो उनके आने से पहले ही यहां पर सफाई कर दी जाती है, लेकिन फिर सालों तक उसके बाद कोई भी यहां पर नजर नहीं आता. कभी कबार कोई अधिकारी आते हैं, तो दूर से ही फोटो खींच कर ले जाते हैं और यमुना की सफाई के नाम पर लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
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इलाके के लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि यमुना सभी की है और लोगों के साथ-साथ सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. जिसके नाम पर हर साल मोटा बजट खर्च किया जाता हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि हर बार यमुना के नाम पर खर्च होने वाले बजट का असर तो यहां पर दिखाई नहीं देता ओर सरकार यमुना की सफाई किस तरह से करती है. यहां पर लोग मजबूरी में अपनी आजीविका चलाने को मजबूर हैं, केवल वही लोग अपने रोजगार को चलाने के लिए यमुना की सफाई कर रहे हैं.