नई दिल्ली : किराड़ी विधानसभा में गौरी शंकर एन्क्लेव के काली मंदिर में रामनवमी पर हवन के बाद कन्याओं को पूजा गया. यह मंदिर 35 साल पुराना है. कोरोना काल की वजह से यह मंदिर मार्च से बंद है. नवरात्रों में ही पूजा के लिए माता का मंदिर खोला गया था. हालांकि 30-40 से ज्यादा लोगों को इस मंदिर में उपस्थित रहने की इजाजत नहीं थी. इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए मंदिर में पूजा-अर्चना की गई.
कोरोना वायरस की वजह से मंदिर 6 महीने बंद रहा और नवमी पर मंदिर खोला गया. हालांकि कुछ लोगों को ही दर्शन करने की इजाजत मिली. मंदिर के पुजारी स्वामी रामानंद गिरी ने बताया कि यहां काली माता की मूर्ति 7.5 फुट ऊंची है. ऐसी मूर्ति बहुत कम देखने को मिलती है. दक्षिणेश्वर महाकाली की मूर्ति उग्र होती है. माता महाकाली के दर्शन करके लोग अपनी इच्छाओं को माता के सामने रखते हैं और माता उनकी मनोकामना पूरी करती है.
उन्होंने बताया कि अभी कोरोना काल की वजह से मंदिर में पूजा आराधना 5 लोग मिलकर करते हैं. किसी को भी मंदिर के अंदर आने की इजाजत नहीं है. सिर्फ रामनवमी पर ही लोगों को माता की आरती करने की इजाजत दी गई थी. सरकार के नियमों का उल्लंघन नहीं किया जा. सकता लोगों की सुरक्षा का ध्यान भी रखना जरूरी है.
आरके पुरम मे चार दिन हुआ रामलाली का मंचन
कोरोना काल में इस बार नवरात्रे की धूम कहीं भी देखने को नहीं मिली. सरकार की गाइडलाइन के साथ नवरात्रि का त्यौहार शुरू तो हुआ, लेकिन गाइडलाइन और देरी से इजाजत मिलने के कारण दिल्ली में कहीं-कहीं ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित हुई थी. ऐसे में रामलीला मंचन की बात करें तो दिल्ली में इस बार केवल आरके पुरम में ही रामलीला का मंचन हुआ वो भी मात्र चार दिनों के लिए. रावण वध की बात करें तो दिल्ली में कहीं कहीं ही रावण वध का आयोजन किया गया था वो भी बहुत सीमित तौर पर.
आरके पुरम में भी सरकार के आदेश के बाद 22 अक्टूबर से रामलीला का मंचन प्रारंभ हुआ. अंतिम दिन रामलीला के मंच पर कुंभकरण और मेघनाथ के वध के बाद रामलीला मैदान में राम और रावण के बिच युद्ध हुआ. इसके बाद रावण वध हुआ. मैदान में केवल रावण का छोटा सा पुतला लगा था. इस बार रावण दहन में पहले की तरह आतिशबाजी भी नहीं हुई. दर्शकों को भी सिमित संख्या में ही मैदान में जाने की इजाजत थी.