नई दिल्ली: हर साल 8 सितंबर का दिन विश्व भौतिक चिकित्सा दिवस (World Physical Therapy Day) के रूप में दुनियाभर में मनाया जाता है. 996 से हर वर्ष 8 सितम्बर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस (विश्व पीटी दिवस) मनाया जाता है. इस पेशे की स्थापना का सम्मान करने के लिए यह दिन 1951 में निर्धारित किया गया. यह दिन फिजियोथेरेपिस्टों के समर्पण और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली अमूल्य सेवाओं को सम्मान देता है.
फिजियोथेरेपी दिवस का महत्वः फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल अब कई अलग-अलग शारीरिक समस्याएं दूर करने के लिए किया जा रहा है. ये थेरेपी ऑस्टियो आर्थराइटिस, घुटने के दर्द, अल्जाइमर रोग, पीठ दर्द, पार्किंसंस रोग, मांसपेशियों में खिंचाव, बर्साइटिस, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, अस्थमा, फाइब्रोमायल्गिया, घाव, मसल्स की जकड़न, संतुलन विकार जैसे और भी कई स्थितियों में कारगर है. फिजियोथेरेपी सिर्फ दर्द से ही राहत नहीं दिलाती, बल्कि ये तनाव दूर करने में भी असरदार है. फिजियोथेरेपिस्ट किसी तरह की चोट और शारीरिक अक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्सः दिल्ली से सटे गाजियाबाद के वैशाली के डॉ. नमित वार्ष्णेय (फिजियोथेरेपिस्ट) ने बताया कि वह पिछले 18 साल से फिजियोथैरेपी कर रहे हैं. उन्होंने सैकड़ों मरीजों को फिजियोथेरेपी से ठीक किया. उनका कहना है कि बदलती जीवनशैली में अच्छे खानपान, नियमित व्यायाम के अभाव और छोटी-छोटी लापरवाहियों के कारण लोगों को जोड़ों व मांशपेशियों में दर्द आदि समस्या होती है. आज कल सबसे ज्यादा मरीज गर्दन, कमर, घुटने आदि में दर्द के आ रहे है. फिजियोथेरेपी के साथ उन्हें उस दर्द का कारण और निवारण भी बताया जाता है.
नामित ने ये भी बताया कि कई बार ऐसे केस आ जाते हैं, जिनपर काफी मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन जब उनके सकारात्मक परिणाम आने लगते हैं. तो दिल को खुशी मिलती है. करीब तीन साल पहले 10वीं में पढ़ने वाली छात्र की बीमारी के कारण अचानक याददाश्त चली गई और उसकी स्थिति कोमा जैसी हो गई तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद अब वह थोड़ा-थोड़ा बोलने लगी है और अपने पैरों पर खड़ी होने लगी है.
फिजियोथेरेपी से खड़ा हुआ बच्चाः इंदिरापुरम की डॉक्टर हिमांद्री कपिल (फिजियोथेरेपिस्ट) ने बताया कि जिन बच्चों में मानसिक या शारीरिक रूप से समस्या होती है. हम उन्हें फिजियोथेरेपी के जरिए ठीक करते हैं. जो काम दवा नहीं कर पाती है वह काम फिजियोथेरेपी कर जाती है. एक ऐसा ही केस उनके पास आया, जिसमें तीन साल का बच्चा बिल्कुल भी खड़ा नहीं हो पा रहा था. गर्दन भी नहीं हिलती थी. करीब नौ माह की मेहनत के बाद बच्चा अब अपने पैर पर खड़ा होने लगा. गर्दन भी फाफी हद तक ठीक हो गई. इस तरह के केस में दवा से ज्यादा फिजियोथेरेपी काम आती है.
फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह
- टीवी लेट कर बिल्कुल ना देखें, ज्यादा देर तक मोबाइल भी ना चलाएं, पेट के बाल ना सोएं.
- तकिया का प्रयोग ना करें यदि करें तो तकिया पतला और नरम होना चाहिए.
- ज्यादा देर तक लगातार कार न चलाएं, लंबे रुट पर बीच-बीच मे रुकें और बाहर निकलें.
- यदि कमर दर्द व गर्दन दर्द से पीड़ित है तो सामने की तरफ झुकने से बचें.
- बिस्तर से उठते वक्त करवट लेकर उठे, इससे कमर दर्द से बच सकेंगे.
- कैल्शियम व पोषक तत्वों से जुड़े हुए खान-पान का सेवन अवश्य करें.
- वजन को नियंत्रित करें, जिससे घुटने पर जोर न पड़े और दर्द से बच सकें.
- घुटने के दर्द से बचने के लिए क्राससिटिंग में बैठे, घुटने की मालिश न करें.
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