नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में 25 फरवरी से शुरू हुए विश्व पुस्तक मेले का रविवार को समापन हो गया. वीकेंड पर दो दिन में करीब 4 लाख से ज्यादा पुस्तक प्रेमी मेले में पहुंचे. इस दौरान सुबह से लेकर देर शाम तक लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. रविवार को अंतिम दिन पुस्तक प्रेमियों ने 50 फीसदी की छूट पर अपनी मनपसंद किताबें खरीदी.
इस दौरान पुस्तक प्रेमियों ने जगह-जगह फोटो और वीडियो लेकर अपनी यात्रा को यादगार बनाया. हालांकि, स्कूलों में वार्षिक परीक्षाओं के चलते इस बार मेले में छात्रों की संख्या कम देखने को मिली. जिन्हें मेले के टिकट नहीं मिले, वे निराश हुए. रविवार को प्रकाशकों ने पुस्तकों पर 40 से 50 फीसदी तक की छूट दी. कई पुस्तक विक्रेताओं ने स्कीम के साथ पुस्तकें बेचीं यानी तीन पुस्तकों के साथ दो पुस्तकें मुफ्त में दीं.
इन पुस्तकों का हुआ विमोचनः मेले के अंतिम दिन प्रभात प्रकाशन के स्टॉल पर मनजीत नेगी द्वारा लिखित पुस्तक महायोद्धा की महागाथा' का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार ने इस मौके पर कहा कि विश्व पुस्तक मेले में पाठकों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और स्टॉल से करीब 12 हजार किताबों की बिक्री हुई. मेले में 'द इंटीग्रल ह्युमनिज्म ऑफ पंडित दीनदयाल उपाध्याय ' पुस्तक का विमोचन किया गया. इसका संपादन पंडित दीनदयाल उपाध्याय, विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो राजेश सिंह और प्रकाशन किताब वाले प्रकाशन समूह ने किया है. इस अवसर पर प्रो राजेश सिंह ने कहा कि इस पुस्तक का बीजारोपण पंडितजी की जन्म जयंती के अवसर पर गोरखपुर में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से हुआ. उसमें देश - विदेश से करीब 170 विद्वानों ने अपने आलेख प्रस्तुत किये थे.
राज कमल प्रकाशन से महेश कटारे की 'भवभूतिकथा', ममता सिंह की 'किरकिरी'. यशवंत व्यास की 'कवि की मनोहर कहानियां', जयदेव तनेजा की 'मोहन राकेश : अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान', पंकज राग की 'कैफे सिने संगीत' आदि पुस्तकों का लोकार्पण हुआ. प्रभात प्रकाशन के स्टॉल पर लेखिका सुमन बाजपेयी की किताब 'हमारी तुम्हारी लव स्टोरीज' का विमोचन किया गया. इसके अलावा श्वेता परमार 'निक्की' की किताब 'खनक का इश्क' का भी लोकार्पण किया गया. राजकमल प्रकाशन से माधव हाड़ा की 'वैदेही ओखद जाणे : मीरा और पश्चिमी ज्ञान मीमांसा', कृष्ण कल्पित की 'जाली किताब' और अशोक कुमार पांडेय द्वारा लिखित राहुल सांकृत्यायन की जीवनी 'राहुल सांकृत्यायन : अनात्म बेचैनी का यायावर' का लोकार्पण हुआ. इसके अलावा कई साहित्यकारों, पत्रकारों और लेखकों की किताबों का विमोचन किया गया.
क्या कहते हैं आयोजकः एनबीटी ने बताया कि नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 के 9 दिनों में लगभग 10 लाख पुस्तक प्रेमियों ने साबित किया कि किताबों की लोकप्रियता अभी भी कायम है. नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की 50 साल की यात्रा का उत्सव मनाने के लिए 9 दिनों के दौरान 400 से अधिक सत्रों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों में एक हजार से अधिक वक्ता और पैनलिस्ट्स शामिल हुए, जिनमें बदलते आयामों, निरंतर प्रासंगिकता और पुस्तकों के भविष्य पर प्रकाश डाला गया.
श्रम और रोजगार के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा "द राइज ऑफ़ बीजेपी": सतविंदर सिंह मदौलवी द्वारा "शहीद कांशी राम मरौली"; गुरदेव सिंह सिंधु द्वारा "शहीद उधम सिंह": रिचा भट्ट बडोला द्वारा "ए स्लीक लाइफ ए मेमॉयर ऑफ ऑयलमैन सतीश चंदर" और "कारगिल हीरोज टेन एक्सक्लूसिव इंस्पायरिंग स्टोरीज" के साथ साथ कई अन्य पुस्तकों पर चर्चा व विमोचन किया गया.
साथ ही, मेले का बाल मंडप हर रोज़ की तरह बच्चों के उत्साह और हँसी से भरा रहा. दिन की शुरुआत मैपोलॉजी पर एक आकर्षक सत्र के साथ हुई, जहां बच्चों ने खेल के माध्यम से भारतीय भूगोल के बारे में सीखा. साथ ही सारा रोज़, सिया गुप्ता, आयुष पंडित जैसे बाल लेखकों के साथ एक आकर्षक पैनल चर्चा भी हुई, जहां लेखकों ने अपनी लेखन यात्रा शुरू करने के पीछे की प्रेरणा पर चर्चा की.
ऑथर्स कॉर्नर के आज के सत्रों में विभिन्न युवा लेखकों और प्रसिद्ध वक्ताओं ने समकालीन प्रासंगिकता के विषयों और भारत को पाठकों और नेताओं का देश बनाने के तरीकों के बारे में बात की. नाट्यशाला में लोक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ मेले का समापन सरगम समूह द्वारा मोहक सूफी प्रस्तुति- जौहर अली असेंबली और ऊर्जावान गिद्दा प्रदर्शन के साथ हुआ.
मेले के 9 दिनों के दौरान, देश के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए और प्रेरक बातचीत की एक श्रृंखला के साथ आज़ादी का अमृत महोत्सव में भाग लेने के लिए आगंतुक भारी संख्या में थीम मंडप में आए. यहां वे देश के अज्ञात नायकों की कहानियों से परिचित हुए. जी-20 मंडप भी बेहद लोकप्रिय रहा, लोगों ने जी-20 सदस्य देशों की पुस्तकों का अवलोकन किया और भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में जाना. एनईपी मंडप ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने और आगे बढ़ाने के लिए कई सत्रों की मेजबानी की, विशेष रूप से डिजिटल शिक्षण विधियों पर ध्यान केंद्रित किया.
अंतर्राष्ट्रीय गतिवधि मंच पर भारतीय दृष्टिकोण के साथ वैश्विक दृष्टिकोण का एक गतिशील अभिसरण था. और युवा कॉर्नर ने युवा भारतीय आवाजों को उनकी विविधता में सामने लाया. मेले के दौरान आयोजित शिक्षा कॉन्क्लेव के दौरान, शिक्षा, पंचायती राज, संस्कृति और प्रारंभिक बाल विकास क्षेत्रों के नीति निर्माता और हितधारक उपयुक्त डिजिटल सामग्री के साथ बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी और सामुदायिक पुस्तकालय परियोजना के कार्यान्वयन पर विचार मंथन के लिए एक साथ आए.
150 से अधिक भाषाओं में प्रदर्शित पुस्तकों के अलावा मेले के इस संस्करण में एनी एनॉक्स, सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव, सर्गेई लावरोव, आनंद नीलकांतन, कबीर बेदी, सूसी मॉर्गनस्टर्न, ओलिविया रुइज, ऑस्कर पुजोल, अश्विन सांघी, कुमार विश्वास, साइमन लैमोरेट, मैथ्यू बट्रेंड और जया मेहता जैसी प्रमुख हस्तियों की वार्ता और सेमिनार देखे गए.
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