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world bicycle day: लॉकडाउन में बढ़ा साइकिलिंग का चलन, फिट रहने के लिए साइकिल चला रहे लोग - दिल्ली में साइकिलिंग

world bicycle day: दिल्ली में कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन (Delhi lockdown) के दौरान साइकिलिंग का चलन बढ़ा है. लोग खुद को फिट रखने के साथ ही ऑफिस जाने के लिए भी साइकिल (cycling in delhi) का सहारा ले रहे हैं.

trend of cycling increased in delhi lockdown
लॉकडाउन में बढ़ा साइकिलिंग का चलन
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Published : Jun 3, 2021, 9:10 AM IST

नई दिल्ली: आज विश्व साइकिल दिवस (world bicycle day) है. साइकिलिंग न सिर्फ स्वस्थ रहने में सहायक है बल्कि इससे पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है. दिल्ली में कई लोग हैं, जो नियमित रूप से साइकिलिंग करते हैं, लेकिन कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान साइकिलिंग का चलन ज्यादा बढ़ा है. आम लोग अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने से लेकर खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग का सहारा ले रहे हैं.

लॉकडाउन में बढ़ा साइकिलिंग का चलन

साइकिलिंग एक फुल कार्डियो एक्सरसाइज

पूर्वी दिल्ली के सबसे बड़े टाइपिंग क्लब ईस्ट दिल्ली राइटर्स के सदस्य विकास शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन (Delhi lockdown) के दौरान साइकिलिंग का चलन बढ़ा है. कुछ लोग शौक के लिए साइकिल चला रहे हैं तो वहीं कुछ लोग खुद को फिट रखने के लिए साइकिल का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में सभी जिम बंद हैं. ऐसे में साइकिलिंग एक फुल कार्डियो एक्सरसाइज है. साइकिलिंग करने से शरीर में रक्त संचार की वृद्धि होती है, जिससे इंसान स्वस्थ्य रहता है.


प्रदूषण कम करने में देते हैं अपना योगदान

साइकिलिस्ट विकास शर्मा ने बताया कि उनके ग्रुप के बहुत से लोग साइकिल से अपने ऑफिस जाते हैं, जो कि वायु प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए और हफ्ते में कुछ दिन साइकल से ऑफिस जाने के लिए अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए. अभी के समय साइकिलिंग के लिए दिल्ली में कोई उपयुक्त जगह नहीं है क्योंकि हर तरफ से लॉकडाउन के कारण पाबंदियां हैं. पहले इंडिया गेट के आसपास हम साइकिलिंग (cycling in delhi) करते थे, लेकिन अभी के समय लगाए गए लॉकडाउन के कारण पुलिस हमें कई जगह साइकिलिंग नहीं करने दे रही. इसलिए हम अहले सुबह ही साइकिलिंग कर रहे हैं.


23 किलोमीटर की दूरी तय कर जाते हैं ऑफिस

ईस्ट दिल्ली राइडर्स साइकिल क्लब के दूसरे सदस्य प्रेम ने बताया कि वह पिछले 3 साल से साइकिलिंग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह शाहदरा में रहते हैं और उनका ऑफिस साकेत में है, जिसकी दूरी लगभग 23 किलोमीटर है. ऐसे में वह प्रतिदिन साइकिल से अपने ऑफिस जाते हैं. अभी के समय जब पूरे दिल्ली में लॉकडाउन लागू है और सभी लोग अपने घर से काम कर रहे हैं. ऐसे में वह खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग कर रहे हैं.


साइकिल की बढ़ी डिमांड

साइकिलिंग क्लब के प्रेम ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बाजार में साइकिल की डिमांड बढ़ी है. कुछ दिन पहले तक यह हालत थी कि अच्छे साइकिल के लिए 8 महीने की वेटिंग थी यानी अगर किसी को साइकिल खरीदना है तो उसे 8 महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा था. अभी के समय लोग खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग का सहारा ले रहे हैं. हमारे साइकलिंग क्लब में 15 साल से लेकर 60 साल के लोग शामिल हैं, जिनमें कुछ सरकारी अधिकारी भी हैं.

पुराने समय में साइकिल ही थी सहारा

1947 में मिली आजादी के बाद अगले कई सालों तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही. खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी. गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे. आज के समय भी देश के कई इलाकों में दूध की सप्लाई साइकिल के जरिये ही होती है. कुछ साल पहले तक डाक विभाग का तो पूरा अमला ही साइकिल से चलता था. आज भी देश के दूरदराज के हिस्सों में पोस्टमैन साइकिल से ही चिट्ठियां बांटते हैं.

नई दिल्ली: आज विश्व साइकिल दिवस (world bicycle day) है. साइकिलिंग न सिर्फ स्वस्थ रहने में सहायक है बल्कि इससे पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है. दिल्ली में कई लोग हैं, जो नियमित रूप से साइकिलिंग करते हैं, लेकिन कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान साइकिलिंग का चलन ज्यादा बढ़ा है. आम लोग अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने से लेकर खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग का सहारा ले रहे हैं.

लॉकडाउन में बढ़ा साइकिलिंग का चलन

साइकिलिंग एक फुल कार्डियो एक्सरसाइज

पूर्वी दिल्ली के सबसे बड़े टाइपिंग क्लब ईस्ट दिल्ली राइटर्स के सदस्य विकास शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन (Delhi lockdown) के दौरान साइकिलिंग का चलन बढ़ा है. कुछ लोग शौक के लिए साइकिल चला रहे हैं तो वहीं कुछ लोग खुद को फिट रखने के लिए साइकिल का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में सभी जिम बंद हैं. ऐसे में साइकिलिंग एक फुल कार्डियो एक्सरसाइज है. साइकिलिंग करने से शरीर में रक्त संचार की वृद्धि होती है, जिससे इंसान स्वस्थ्य रहता है.


प्रदूषण कम करने में देते हैं अपना योगदान

साइकिलिस्ट विकास शर्मा ने बताया कि उनके ग्रुप के बहुत से लोग साइकिल से अपने ऑफिस जाते हैं, जो कि वायु प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए और हफ्ते में कुछ दिन साइकल से ऑफिस जाने के लिए अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए. अभी के समय साइकिलिंग के लिए दिल्ली में कोई उपयुक्त जगह नहीं है क्योंकि हर तरफ से लॉकडाउन के कारण पाबंदियां हैं. पहले इंडिया गेट के आसपास हम साइकिलिंग (cycling in delhi) करते थे, लेकिन अभी के समय लगाए गए लॉकडाउन के कारण पुलिस हमें कई जगह साइकिलिंग नहीं करने दे रही. इसलिए हम अहले सुबह ही साइकिलिंग कर रहे हैं.


23 किलोमीटर की दूरी तय कर जाते हैं ऑफिस

ईस्ट दिल्ली राइडर्स साइकिल क्लब के दूसरे सदस्य प्रेम ने बताया कि वह पिछले 3 साल से साइकिलिंग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह शाहदरा में रहते हैं और उनका ऑफिस साकेत में है, जिसकी दूरी लगभग 23 किलोमीटर है. ऐसे में वह प्रतिदिन साइकिल से अपने ऑफिस जाते हैं. अभी के समय जब पूरे दिल्ली में लॉकडाउन लागू है और सभी लोग अपने घर से काम कर रहे हैं. ऐसे में वह खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग कर रहे हैं.


साइकिल की बढ़ी डिमांड

साइकिलिंग क्लब के प्रेम ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बाजार में साइकिल की डिमांड बढ़ी है. कुछ दिन पहले तक यह हालत थी कि अच्छे साइकिल के लिए 8 महीने की वेटिंग थी यानी अगर किसी को साइकिल खरीदना है तो उसे 8 महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा था. अभी के समय लोग खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग का सहारा ले रहे हैं. हमारे साइकलिंग क्लब में 15 साल से लेकर 60 साल के लोग शामिल हैं, जिनमें कुछ सरकारी अधिकारी भी हैं.

पुराने समय में साइकिल ही थी सहारा

1947 में मिली आजादी के बाद अगले कई सालों तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही. खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी. गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे. आज के समय भी देश के कई इलाकों में दूध की सप्लाई साइकिल के जरिये ही होती है. कुछ साल पहले तक डाक विभाग का तो पूरा अमला ही साइकिल से चलता था. आज भी देश के दूरदराज के हिस्सों में पोस्टमैन साइकिल से ही चिट्ठियां बांटते हैं.

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