नई दिल्ली: राजधानी में शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) के वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी) द्वारा प्रौद्योगिकी शब्द संग्रह (अंग्रेजी-हिंदी-संस्कृत) के तकनीकी शब्दावली निर्माण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान सीएसटीटी के अध्यक्ष प्रो. गिरीश नाथ झा ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के तकनीकी शब्दावली के निर्माण से न केवल प्राशासनिक क्षेत्र में, बल्कि शिक्षण संस्थानों में भी शोध तथा पाठ्यक्रम सामग्री सुलभता में भी सहायता मिलेगी.
उन्होंने कहा कि इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए की सूचना प्रौद्योगिकी के तकनीकी शब्दों का निर्माण मानक संस्कृत को ही केंद्र में रखकर किया जाए. उन्होंने कहा कि संस्कृत आधारित भारतीय भाषाओं का शब्द निर्माण करना इसलिए भी आवश्यक होता है, क्योंकि असंख्य भाषा संस्कृत से बहुत ही निकट हैं. इससे उनके अनुवाद में भी अनुकुलता होगी. भारत सरकार ने भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी को लेकर जो एक बहुत ही सार्थक पहल की है.
वहीं, आचार्य कमला कांत मिश्र ने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के शब्द निर्माण में यह भरसक प्रयास किया गया है कि संस्कृत को केंद्र में रखा जाए. कार्यशाला में आचार्य कमला कान्त मिश्र, पूर्व निदेशक, राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान (सम्प्रति केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय), दिल्ली, डॉ एम.पी. मिश्रा, इग्नू, दिल्ली, डा ममता त्रिपाठी, गार्गी महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय तथा डा अजय कुमार मिश्रा, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली ने विशेषज्ञों के रुप में इस संगोष्ठी में भाग लिया.
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