नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में धड़ाधड़ हो रही महिलाओं की हत्या से लोग हलकान हैं. सबसे दुखद पहलू यह है कि यह हत्या वही लोग कर रहे हैं जिन पर महिलाएं पूरी तरह से भरोसा कर रही है. इस सप्ताह बृहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार को 3 दिन लगातार हुई हत्याओं में भी उनके प्रेमी और घरवाले ही शामिल हैं. इससे पहले श्रद्धा वाकर की हत्या की बात हो या शाहबाद डेयरी में 16 साल की किशोरी की हत्या, इन मामलों में भी उनके प्रेमी ही शामिल रहे हैं. विमेन स्टडी स्कॉलर का मानना है कि भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है.
महिलाओं की स्थिति में होना चाहिए सुधार: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से स्त्री अध्ययन में पीएचडी कर रही प्रिया गोस्वामी ने बताया कि भारत में लोगों की महिलाओं के प्रति अच्छी सोच नहीं होने के कारण उनके साथ बड़े अपराध हो जाते हैं. प्रिया ने बताया कि यहां पर पुरुषों को महिलाओं की न सुनना पसंद नहीं है. महिलाओं के न करने पर उनका ईगो हर्ट हो जाता है. इसके बाद वे महिलाओं के खिलाफ कोई भी अपराध करने के लिए तैयार हो जाते हैं. इस मामले में कहीं न कहीं घर परिवार के लोग भी जिम्मेदार होते हैं. क्योंकि वह लोग लड़कियों को शुरू से यही बताकर रखते हैं कि उन्हें पुरुषों की बात माननी है.
आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत: प्रिया गोस्वामी ने कहा कि लड़कियों को शुरू से आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास नहीं किया जाता है जिस कारण वह कमजोर ही बनी रहती है. प्रिया ने बताया कि माता-पिता को लड़कियों को सबसे पहले आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वह अपने निर्णय खुद ले सकें. इसके अलावा लड़कियों को यह भी एहसास कराना चाहिए कि परिवार की इज्जत सिर्फ उनके हाथ में नहीं है.
लड़कियों के कैरेक्टर पर उठने लगते हैं सवाल: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से महिला अध्ययन में पीएचडी कर चुकी डॉ. गीता ने बताया कि जब कोई लड़की किसी लड़के से दोस्ती करती है तो वह कभी यह नहीं सोचती की वह कैसा है. भविष्य में उसके लिए अच्छा रहेगा या बुरा? किसी भी व्यक्ति की अच्छाई और बुराई समय के साथ ही पता चलती है. लिव इन रिलेशन में रहने के दौरान या लव मैरिज कर लेने के बाद लड़की को उसकी कमियां पता भी चलती है तो उन्हें बताने में बहुत देर कर देती है. प्रेम प्रसंग के मामलों में समस्या और भी जटिल हो जाती है. जब कोई लड़की अपने संबंध के बारे में अपने घर, परिवार या रिश्तेदारों को बताना चाहती है तो उसके मन में सबसे बड़ा डर यही रहता है कि लोग उसके कैरेक्टर के बारे में क्या सोचेंगे. इसी दबाव में आकर वह अपनी बात अपने घरवालों या रिश्तेदारों से कह नहीं पाती है.
डॉ. गीता ने बताया कि ऐसे मामलों को लेकर पुलिस के पास जाने पर भी एक अलग तरह की चुनौती का सामना करना पड़ता है. थाने में घंटों इंतजार कराया जाता है और तरह-तरह के सवाल किए जाते हैं. प्रेम संबंध में लड़कियों को अपने पार्टनर की कमियां या उसके अत्याचार की जानकारी होने के बावजूद वह कुछ कर नहीं पाती है. ऐसे में सबसे जरूरी कदम यही होता है कि घर परिवार के लोग आगे आकर उसकी मदद करें. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के जरिए भी ऐसी घटनाएं रोकी जा सकती है. आजकल हर कोई अच्छे नंबर के लिए पढ़ाई करता है, इसलिए वह मानवीय रिश्तों और भावनाओं को समझने में विफल रहती है.