नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पेश किया. देशभर में महिला आरक्षण बिल को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही है. एक तरफ महिलाएं इस बिल को लेकर खुश हैं. वहीं, दूसरी ओर राजनीतिक दल इस बिल में जो शर्ते शामिल है, उस पर सवाल उठा रहे हैं.
हालांकि, तीन दशक के लंबे इंतजार के बाद महिला आरक्षण बिल संसद में पेश किया गया है, अब माना जा रहा है कि बिल भी पास होगा. उसके बाद बिल कानून का रूप ले लेगा. ऐसे में लोकसभा से लेकर तमाम राज्यों के विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ने से वहां की तस्वीर बदल जाएगी. इस बिल में 33 फीसदी सीटों पर महिलाओं को टिकट देने और चुनने का प्रावधान की बात कही गई है.
दिल्ली विधानसभा में अभी सिर्फ 8 महिला विधायक: दिल्ली विधानसभा की तस्वीर भी महिला आरक्षण बिल के कानून बन जाने के बाद बदली नजर आएगी. वर्तमान में विधानसभा में सिर्फ आठ महिला विधायक हैं. महिला आरक्षण बिल के पास होने के बाद अगले चुनाव में महिला विधायकों की संख्या कम से कम 23 हो जाएंगी. 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 9 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था. इनमें से आठ महिलाएं विधायक चुनी गई. कांग्रेस ने सबसे अधिक 10 महिलाओं को टिकट दिया था. वहीं, बीजेपी ने सबसे कम पांच महिलाओं को चुनाव लड़ने का अवसर दिया था.
कांग्रेस और बीजेपी की एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाई. जबकि, 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में 62 सीटों पर आम आदमी पार्टी विजय हुई और आठ महिला विधायक बनीं. केजरीवाल सरकार के कैबिनेट में शामिल आतिशी भी उन महिलाओं में शामिल हैं जो अभी मुख्यमंत्री के बाद सबसे पावरफुल मंत्री हैं. मंगोलपुरी से पार्टी की विधायक राखी बिड़लान विधानसभा की उपाध्यक्ष है. इसके अलावा अन्य महिला विधायकों को अलग-अलग कमेटी में जिम्मेदारी दी गई है.
महिला आरक्षण बिल पर AAP ने जताया एतराज: बिल पर आम आदमी पार्टी ने एतराज जताया है. AAP सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि संसद में पेश बिल में जिन शर्तों का हवाला दिया गया है, इससे 2024 के आम चुनाव में कोई महिला आरक्षण नहीं होगा. AAP ने मांग की है कि महिला आरक्षण बिल बिना किसी देरी के पास हो और इसे लागू किया जाए.
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