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सुषमा स्वराज को महिलाओं ने दी श्रद्धांजलि, कहा- आदर्श थीं दीदी

सुषमा स्वराज के निधन के बाद तमाम महिलाओं ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वो महिलाओं के लिए एक आर्दश थीं.

सुषमा स्वराज और महिलाएं etv bharat
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Published : Aug 9, 2019, 2:34 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पंचतत्व में विलीन हो गईं हैं. कई महिला कार्यकर्ताओं और आम महिलाओं ने और नेताओं ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की.

'महिला कार्यकर्ताओं के लिए मिसाल थीं सुषमा स्वराज'
महिलाओं ने कहा कि सुषमा स्वराज हमारे लिए मिसाल थीं और उन्होंने राजनीति में ऐसी धारणा को गलत साबित किया, जिसके मुताबिक कहा जाता था कि राजनीति महिलाओं के लिए नहीं है.

महिलाओं ने की तारीफ
तमाम महिला कार्यकर्ता और नेता सुषमा स्वराज को आदर्श मानती हैं. सुषमा स्वराज को अंतिम विदाई देने के लिए महिला कार्यकर्ता और नेता बीजेपी दफ्तर पहुंची. उन्होंने बताया की एक महिला जब घर में काम करती है तो, उसे लगता है कि वो घर में ही काम कर सकती है, लेकिन सुषमा स्वराज ने उन्हें एर घरेलू महिला से व्यवस्था और राजनीतिज्ञ बनने में मदद की.

'दीदी को देख रखा राजनीति में कदम'
पलवल से बीजेपी नेता दया रानी बताती हैं कि जब सुषमा स्वराज राजनीति करियर में शुरुआत के दौर में विधायक थीं तो हमने उनको देखकर राजनीति में कदम रखा था क्योंकि हम भी उसी गांव के थे जहां सुषमा स्वराज बचपन में रहा करती थी तो हमने उनके नक्शे कदमों पर जल्दी की ठानी सोचा कि जब सुषमा दीदी कर सकती हैं तो हम भी करेंगे.

नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पंचतत्व में विलीन हो गईं हैं. कई महिला कार्यकर्ताओं और आम महिलाओं ने और नेताओं ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की.

'महिला कार्यकर्ताओं के लिए मिसाल थीं सुषमा स्वराज'
महिलाओं ने कहा कि सुषमा स्वराज हमारे लिए मिसाल थीं और उन्होंने राजनीति में ऐसी धारणा को गलत साबित किया, जिसके मुताबिक कहा जाता था कि राजनीति महिलाओं के लिए नहीं है.

महिलाओं ने की तारीफ
तमाम महिला कार्यकर्ता और नेता सुषमा स्वराज को आदर्श मानती हैं. सुषमा स्वराज को अंतिम विदाई देने के लिए महिला कार्यकर्ता और नेता बीजेपी दफ्तर पहुंची. उन्होंने बताया की एक महिला जब घर में काम करती है तो, उसे लगता है कि वो घर में ही काम कर सकती है, लेकिन सुषमा स्वराज ने उन्हें एर घरेलू महिला से व्यवस्था और राजनीतिज्ञ बनने में मदद की.

'दीदी को देख रखा राजनीति में कदम'
पलवल से बीजेपी नेता दया रानी बताती हैं कि जब सुषमा स्वराज राजनीति करियर में शुरुआत के दौर में विधायक थीं तो हमने उनको देखकर राजनीति में कदम रखा था क्योंकि हम भी उसी गांव के थे जहां सुषमा स्वराज बचपन में रहा करती थी तो हमने उनके नक्शे कदमों पर जल्दी की ठानी सोचा कि जब सुषमा दीदी कर सकती हैं तो हम भी करेंगे.

Intro:पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पंचतत्व में विलीन हो गई लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में बीजेपी की वरिष्ठ नेता का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. जहां तमाम कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की सुषमा स्वराज महिला नेताओं के लिए एक मिसाल थी और उन्होंने राजनीति में ऐसी धारणा को गलत साबित किया. जिसके मुताबिक कहा जाता था कि राजनीति महिलाओं के लिए नहीं है


Body: राजनीति का पारिवारिक जीवन को बेहतर तरीके से संभाला

तमाम महिला कार्यकर्ता और नेता सुषमा स्वराज को आदर्श मानती हैं और उनके राजनीति के साथ साथ पारिवारिक जीवन के संतुलन की सराहना करती हैं, सुषमा स्वराज को अंतिम विदाई देने के लिए तमाम महिला कार्यकर्ता और नेता बीजेपी दफ्तर पहुंची जहां ईटीवी भारत को उन्होंने बताया की एक महिला जब घर में काम करती है तो उसे लगता है घर में ही काम कर सकते हैं लेकिन सुषमा स्वराज ने उन्हें 1 घरेलू महिला से व्यवस्था एक और राजनीतिज्ञ बनने में मदद की.

दीदी को देख रखा राजनीति में कदम
पलवल से बीजेपी नेता दारानी बताती हैं कि जब सुषमा स्वराज राजनीति करियर में शुरुआत के दौर में विधायक थी तब हमने उनको देखकर राजनीति में कदम रखा था क्योंकि हम भी उसी गांव के थे जहां सुषमा स्वराज बचपन में रहा करती थी तो हमने उनके नक्शे कदमों पर जल्दी की ठानी सोचा कि जब सुषमा दीदी कर सकती हैं तो हम भी करेंगे उन्होंने हमें प्रेरणा दी.

जिला अध्यक्ष ने साझा किया अपना अनुभव
वहीं जिला अध्यक्ष सविता शर्मा ने बताया कि जब कभी सुषमा स्वराज से उनकी भेंट होती थी तो सुषमा स्वराज उनसे कई मुद्दों पर चर्चा करती थी और बड़े प्यार से कई अनुभव साझा करती थी और हमें समझाती थी उनका कहना था कि सुषमा स्वराज जी राजनीति में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बाद और विदेश मंत्री के पद पर रहने के बाद भी पूरी सादगी में रहती थी और अपनी गृहस्थी में भी ध्यान देती थी जो एक महिला के लिए बहुत ही गर्व की बात है इससे हमें बहुत प्रेरणा मिलती है.


Conclusion:हफ्ते में एक दिन संभालती थी रसोई
सविता शर्मा बताती हैं कि सुषमा स्वराज जब भी उनसे मिलती थी तो वह बताती थी कि वह तमाम कार्यों के बाद भी हफ्ते में एक दिन अपनी रसोई संभालती थी और बकायदा अपने हाथों से खाना बनाकर अपने परिवार को खिलाती थी जो उनके लिए बेहद प्रेरणादायक है हर एक महिला को वह की प्रेरणा देती थी कि वह अपने घर के साथ राजनीति और देश को कैसे संभाले
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