नई दिल्ली: प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में ये बात सामने आई है जिस दिल्ली में निर्भया मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया गया वहां आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. 2016-17 और 2017-18 की तुलना में दिल्ली पुलिस लगभग हर तरह के अपराध को कम करने में सफल हुई लेकिन रेप के मामले बढ़ गए हैं. वहीं फाउंडेशन द्वारा कराए गए सर्वे में दिल्ली के अधिकतर महिलाएं खुद को सुरक्षित नहीं मानती हैं.
आज भी दिल्ली में सुरक्षित नहीं है लड़कियां, 'रेप के मामलों में 3% की वृद्धि'
दिल्ली में साल 2017-18 के दौरान रेप के मामलों में 3 प्रतिशत वृद्धि हुई है. ज्यादातर घटनाएं महिलाओं के साथ हुई. दिल्ली के लोग भी मानते हैं कि दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है.
राजधानी में सुरक्षा कहां है ?
नई दिल्ली: प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में ये बात सामने आई है जिस दिल्ली में निर्भया मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया गया वहां आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. 2016-17 और 2017-18 की तुलना में दिल्ली पुलिस लगभग हर तरह के अपराध को कम करने में सफल हुई लेकिन रेप के मामले बढ़ गए हैं. वहीं फाउंडेशन द्वारा कराए गए सर्वे में दिल्ली के अधिकतर महिलाएं खुद को सुरक्षित नहीं मानती हैं.
Intro:नई दिल्ली:
साल 2017-18 के दौरान दिल्ली में रेप के मामलों में 3 प्रतिशत वृद्धि हुई है. कुल अपहरण की घटनाओं में अधिकतर घटनाएं महिलाओं के साथ हुई हैं. यही नहीं खुद दिल्ली के लोग मानते हैं कि दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. ऐसा क्यों! आइए जानते हैं...
Body:प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में ये बात सामने आई है जिस दिल्ली में निर्भया मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया गया वहां आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. 2016-17 और 2017-18 की तुलना में दिल्ली पुलिस लगभग हर तरह के अपराध को कम करने में सफल हुई लेकिन रेप के मामले बढ़ गए हैं. वहीं फाउंडेशन द्वारा कराए गए सर्वे में दिल्ली के अधिकतर महिलाएं खुद को सुरक्षित नहीं मानती हैं.
आंकड़े दर्शाते हैं कि साल 2017-18 में दिल्ली में 2207 रेप केस रिपोर्ट हुए जबकि इसके पिछले साल यहीं आंकड़ा 2153 छेड़छाड़ के मामले में हालांकि 10 फ़ीसदी की कमी आई है लेकिन अब भी यह आंकड़ा 3367 तक है. साल 2017 18 में किडनैपिंग के कुल 5757 मामलों में 3726 महिलाओं के खिलाफ हुए हैं. सवाल उठता है कि राजधानी दिल्ली में सुरक्षा कहाँ हैं!
आंकड़े इकठ्ठे करने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रजा फाउंडेशन के योगेश मिश्रा कहते हैं कि इस डेटा को इकट्ठा कर लोगों के सामने रखना लोगों के बीच डर पैदा करना नहीं बल्कि उनको जागरूक करना है. योगेश कहते हैं कि प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली के 28624 घरों में जाकर सर्वे किया और पाया 51 फ़ीसदी महिलाएं आज भी अपनी लोकेलिटी में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. यही नहीं 49 फीसदी पुरुष भी मानते हैं कि महिलाएं बच्चे और वरिष्ठ नागरिक इलाके में सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे राज्य में लोगों की ऐसी सोच के पीछे के कारणों को जानना जरूरी है.
Conclusion:
साल 2017-18 के दौरान दिल्ली में रेप के मामलों में 3 प्रतिशत वृद्धि हुई है. कुल अपहरण की घटनाओं में अधिकतर घटनाएं महिलाओं के साथ हुई हैं. यही नहीं खुद दिल्ली के लोग मानते हैं कि दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. ऐसा क्यों! आइए जानते हैं...
Body:प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में ये बात सामने आई है जिस दिल्ली में निर्भया मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया गया वहां आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. 2016-17 और 2017-18 की तुलना में दिल्ली पुलिस लगभग हर तरह के अपराध को कम करने में सफल हुई लेकिन रेप के मामले बढ़ गए हैं. वहीं फाउंडेशन द्वारा कराए गए सर्वे में दिल्ली के अधिकतर महिलाएं खुद को सुरक्षित नहीं मानती हैं.
आंकड़े दर्शाते हैं कि साल 2017-18 में दिल्ली में 2207 रेप केस रिपोर्ट हुए जबकि इसके पिछले साल यहीं आंकड़ा 2153 छेड़छाड़ के मामले में हालांकि 10 फ़ीसदी की कमी आई है लेकिन अब भी यह आंकड़ा 3367 तक है. साल 2017 18 में किडनैपिंग के कुल 5757 मामलों में 3726 महिलाओं के खिलाफ हुए हैं. सवाल उठता है कि राजधानी दिल्ली में सुरक्षा कहाँ हैं!
आंकड़े इकठ्ठे करने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रजा फाउंडेशन के योगेश मिश्रा कहते हैं कि इस डेटा को इकट्ठा कर लोगों के सामने रखना लोगों के बीच डर पैदा करना नहीं बल्कि उनको जागरूक करना है. योगेश कहते हैं कि प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली के 28624 घरों में जाकर सर्वे किया और पाया 51 फ़ीसदी महिलाएं आज भी अपनी लोकेलिटी में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. यही नहीं 49 फीसदी पुरुष भी मानते हैं कि महिलाएं बच्चे और वरिष्ठ नागरिक इलाके में सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे राज्य में लोगों की ऐसी सोच के पीछे के कारणों को जानना जरूरी है.
Conclusion: