नई दिल्ली: आज सुबह से दिल्ली में हो रही झमाझम बारिश ने एक बार फिर सरकारी दावों की पोल खोल दी है. बारिश से बने खुशनुमा मौसम के साथ दिल्ली वालों की नींद खुली तो उनका उत्साह देखते ही बन रहा था, लेकिन कुछ पल बाद ही दिल्ली के प्रमुख इलाकों में जलभराव और ट्रैफिक पुलिस द्वारा आवाजाही बंद होने के अलर्ट ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी. दो घंटों की बारिश ने दिल्ली के मिंटो ब्रिज को जलमग्न कर दिया. जिसके बारे कुछ दिन पहले ही दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन दावा कर रहे थे कि कनॉट प्लेस के समीप स्थित मिंटो ब्रिज इस बारिश में नहीं डूबेगा.
ये कोई पहली बार नहीं हुआ, हर मानसून में ज्यादा बारिश होने के बाद मिंटो ब्रिज का यही हाल होता है. साल 1950 में भी उस समय भी दिल्ली के तत्कालीन नगर आयुक्त PR नायक ने कहा था कि उन्होंने मिंटो ब्रिज के नीचे जलभराव को रोकने के लिए पंप सेट लगाए हैं. यह उपाय रेड्डी समिति द्वारा सुझाए गए बाढ़ विरोधी उपायों के हिस्से के रूप में किया गया था. 71 साल बाद नागरिक एजेंसियों को अभी तक रेलवे अंडरब्रिज की वार्षिक मानसून बाढ़ का हल नहीं मिल रहा है, जो दिल्ली के दिवंगत इतिहासकार के अनुसार आरवी स्मिथ ने 1933 में बनाया था.
यह अंडरब्रिज दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) मार्ग और स्वामी विवेकानंद मार्ग (पूर्व में मिंटो रोड) के मुख्य ट्रैफिक जंक्शन पर स्थित है और एक तरफ कनॉट प्लेस और दूसरी तरफ नई दिल्ली स्टेशन, पुरानी दिल्ली और दरियागंज की ओर जाता है.
बचपन से लगभग हर साल देखा, मानसून के दौरान मिंटो ब्रिज के नीचे पानी में डूबी डीटीसी बस की तस्वीरें. इंजीनियर, नगर नियोजक और नागरिक एजेंसी के अधिकारी इसे ठीक क्यों नहीं कर सकते हैं? केवल एक ही एजेंसी को, जिनके नाम को प्रमुखता से वहां प्रदर्शित किया जाना चाहिए, खुद ही इसे ठीक कर लें.
जुलाई 2018 में जब डीटीसी की दो बसें बाढ़ के पानी में डूब गई थीं और 10 लोगों को बचाया जाना था, दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी एजेंसियों को निर्देश दिए थे कि वे इस तरह के मामलों को रोकने के लिए समन्वय स्थापित करें और एक योजना तैयार करें. समस्या का एक ठोस समाधान निकालें. हालांकि, अभी तक इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं मिला है.