नई दिल्लीः दिल्ली बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच हर रोज जुबानी जंग बढ़ती जा रही है. जहां एक तरफ दिल्ली में आम आदमी पार्टी बीजेपी और उपराज्यपाल पर निशाना साध रही है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी हर रोज आम आदमी पार्टी पर कई खुलासे कर रही है. इसी क्रम में शनिवार को दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है.
उन्होंने कहा कि आज एक स्कूल की आधारशिला रखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्कूल देने का दावा महज भद्दा मजाक है. दिल्ली में कोई शिक्षा क्रांति नहीं है, बल्कि हमने दिल्ली में शासन में भ्रष्टाचार का चरम काल देखा है. हर साल सरकारी स्कूलों से ड्रॉप आउट छात्रों की संख्या बढ़ रही है और सरकारी स्कूलों में विफलता दर में भारी वृद्धि हुई है. यह सब दिल्ली के एक कम पढ़े-लिखे पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा लागू की गई नो डिटेंशन पॉलिसी का नतीजा है. इस नो डिटेंशन पॉलिसी के कारण कक्षा एक से 8वीं के छात्रों ने पढ़ाई पर बहुत कम ध्यान दिया क्योंकि उन्हें पता था कि उन्हें पदोन्नत किया जाएगा. इसके परिणामस्वरूप कमजोर शैक्षिक नींव वाले छात्र नौवीं कक्षा में पहुंच गए, जहां वे परीक्षा में असफल रहे.
पिछले 8 साल से बिना शिक्षक-प्राचार्य के चल रहे स्कूलः दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि नौटंकी में यकीन रखने वाले अरविंद केजरीवाल जैसा मुख्यमंत्री ही यह दावा कर सकता है कि मैं जिस स्कूल की नींव रख रहा हूं, वह नतीजों में कोलंबिया यूनिवर्सिटी जैसा होगा. केजरीवाल को पता होना चाहिए कि एक स्कूल अपने अच्छे भवन से नहीं बल्कि अपने शिक्षण स्टाफ और अच्छे परिणाम से सफल होता है. पिछले 8 वर्षों के सरकारी स्कूलों के प्रदर्शन के अनुभव को देखते हुए, जिसमें शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की पूरी ताकत के बिना स्कूल चल रहे हैं, नए स्कूलों से भी ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है.
शिक्षा को इवेंट मैनेजमेंट न बनाए केजरीवालः सचदेवा ने कहा कि नए स्कूल में विदेशी भाषा पढ़ाने के सीएम के दावे में कुछ भी नया नहीं है. सभी निजी स्कूल और यहां तक कि कई सरकारी स्कूल दशकों से दिल्ली में विदेशी भाषाओं को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ा रहे हैं, इसलिए इसमें जश्न का कोई कारण नहीं है. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे शिक्षा के मुद्दों को इवेंट मैनेजमेंट के तौर पर देखना बंद करें और दिल्ली सरकार के स्कूलों के गिरते स्तर को सुधारने के लिए गंभीर हों.