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दिल्ली वक्फ बोर्ड: केजरीवाल सरकार पर उठे सवाल, 'अमानतुल्लाह को वित्तीय शक्तियां सौंपना गैरकानूनी' - aap

विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, अवैध कार्यों जैसे अनधिकृत कामों के लिए सीबीआई की जांच के दायरे में है. अध्यक्ष को वित्तीय शक्तियां सौंपकर राज्य द्वारा नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दरकिनार करना गलत है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड: केजरीवाल सरकार पर उठे सवाल, 'अमानतुल्लाह को वित्तीय शक्तियां सौंपना गैरकानूनी'
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Published : Apr 18, 2019, 8:53 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत की ओर से दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सौंपी गई वित्तीय शक्तियों पर विपक्ष ने एतराज जताया है. नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि यह शक्तियां अनधिकृत तौर से वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को दी गई हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, अवैध कार्यों जैसे अनधिकृत कामों के लिए सीबीआई की जांच के दायरे में है. अध्यक्ष को वित्तीय शक्तियां सौंपकर राज्य द्वारा नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दरकिनार करना गलत है.

'वक्फ बोर्ड अधिनियम का उल्लंघन'
विपक्ष का आरोप है कि दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली बोर्ड की वित्तीय शक्तियां वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 और वक्फ बोर्ड नियम 1997 के खिलाफ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के हाथों में सौंप दी हैं, ऐसा करके राजस्व मंत्री ने बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को वित्तीय मामलों में उनके अधिकृत अधिकारों से दरकिनार कर दिया है.

'पैसों के लेन-देन पर पड़ेगा प्रभाव'
नेता विपक्ष का कहना है कि राजस्व मंत्री ने जिस नए नियम को स्वीकृति दी है उसके अंतर्गत अब बोर्ड के अध्यक्ष एक सदस्य और मुख्य कार्यकारी अधिकारी में से कोई भी दो अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हो सकते हैं. इसका प्रभाव यह होगा कि बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य बिना मुख्य कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर के बैंक से पैसा निकाल सकते हैं और हर तरह का लेन देन कर सकते हैं.

Vijendra Gupta allegations on AAP Kailash Gehlot and Amanatullah Khan
दिल्ली वक्फ बोर्ड: केजरीवाल सरकार पर उठे सवाल, 'अमानतुल्लाह को वित्तीय शक्तियां सौंपना गैरकानूनी'

'मंत्री की स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी'
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मंत्री की स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी है. नियमों के अनुसार दिल्ली वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य द्वारा नियुक्त किया जा सकता है और उसकी स्वीकृति के बिना कोई भी वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, गैरकानूनी कार्यों और अनैतिक कार्य संचालन के लिए सीबीआई जांच के दायरे में हैं. ऐसे में उन्हें वित्तीय शक्ति देना सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है.

उप राज्यपाल से कार्रवाई करने की मांग
दिल्ली वक्फ बोर्ड की सभी शक्तियां उप राज्यपाल में निहित है. नेता विपक्ष ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से आग्रह किया है कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री की इस अवैध कार्रवाई को संज्ञान में लें और इसे रोकने के लिए कार्रवाई करें.

'गैर कानूनी और अनधिकृत स्वीकृति'
विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार का 3 जून 2015 का आदेश कहता है कि दिल्ली वक्फ अधिनियम 1995 के अंतर्गत मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि बोर्ड का काम नियम और कायदे के अनुसार हो. इसमें यह आदेश दिए गए कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी बैंक अकाउंट के परिचालन में अनिवार्य रूप से हस्ताक्षर कर्ता होंगे, लेकिन दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री की संशोधित स्वीकृति में उनके हस्ताक्षर की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है जो पूरी तरह से गैर कानूनी और अनधिकृत है.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत की ओर से दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सौंपी गई वित्तीय शक्तियों पर विपक्ष ने एतराज जताया है. नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि यह शक्तियां अनधिकृत तौर से वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को दी गई हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, अवैध कार्यों जैसे अनधिकृत कामों के लिए सीबीआई की जांच के दायरे में है. अध्यक्ष को वित्तीय शक्तियां सौंपकर राज्य द्वारा नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दरकिनार करना गलत है.

'वक्फ बोर्ड अधिनियम का उल्लंघन'
विपक्ष का आरोप है कि दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली बोर्ड की वित्तीय शक्तियां वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 और वक्फ बोर्ड नियम 1997 के खिलाफ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के हाथों में सौंप दी हैं, ऐसा करके राजस्व मंत्री ने बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को वित्तीय मामलों में उनके अधिकृत अधिकारों से दरकिनार कर दिया है.

'पैसों के लेन-देन पर पड़ेगा प्रभाव'
नेता विपक्ष का कहना है कि राजस्व मंत्री ने जिस नए नियम को स्वीकृति दी है उसके अंतर्गत अब बोर्ड के अध्यक्ष एक सदस्य और मुख्य कार्यकारी अधिकारी में से कोई भी दो अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हो सकते हैं. इसका प्रभाव यह होगा कि बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य बिना मुख्य कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर के बैंक से पैसा निकाल सकते हैं और हर तरह का लेन देन कर सकते हैं.

Vijendra Gupta allegations on AAP Kailash Gehlot and Amanatullah Khan
दिल्ली वक्फ बोर्ड: केजरीवाल सरकार पर उठे सवाल, 'अमानतुल्लाह को वित्तीय शक्तियां सौंपना गैरकानूनी'

'मंत्री की स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी'
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मंत्री की स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी है. नियमों के अनुसार दिल्ली वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य द्वारा नियुक्त किया जा सकता है और उसकी स्वीकृति के बिना कोई भी वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, गैरकानूनी कार्यों और अनैतिक कार्य संचालन के लिए सीबीआई जांच के दायरे में हैं. ऐसे में उन्हें वित्तीय शक्ति देना सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है.

उप राज्यपाल से कार्रवाई करने की मांग
दिल्ली वक्फ बोर्ड की सभी शक्तियां उप राज्यपाल में निहित है. नेता विपक्ष ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से आग्रह किया है कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री की इस अवैध कार्रवाई को संज्ञान में लें और इसे रोकने के लिए कार्रवाई करें.

'गैर कानूनी और अनधिकृत स्वीकृति'
विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार का 3 जून 2015 का आदेश कहता है कि दिल्ली वक्फ अधिनियम 1995 के अंतर्गत मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि बोर्ड का काम नियम और कायदे के अनुसार हो. इसमें यह आदेश दिए गए कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी बैंक अकाउंट के परिचालन में अनिवार्य रूप से हस्ताक्षर कर्ता होंगे, लेकिन दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री की संशोधित स्वीकृति में उनके हस्ताक्षर की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है जो पूरी तरह से गैर कानूनी और अनधिकृत है.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सौंपी गई वित्तीय शक्तियों पर विपक्ष ने एतराज जताया है. नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि यह शक्तियां अनधिकृत रूप से वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को दी गई है. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, अवैध कार्यों तथा अनधिकृत कामों के लिए सीबीआई की जांच के दायरे में है. अध्यक्ष को वित्तीय शक्तियां सौंपकर राज्य द्वारा नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दरकिनार करना गलत है.


Body:दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली बोर्ड की वित्तीय शक्तियां वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 तथा वक्फ बोर्ड नियम 1997 के विरुद्ध वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के हाथों में वित्तीय शक्तियां समाहित कर दी है.

विपक्ष का आरोप है कि राजस्व मंत्री ने बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को वित्तीय मामलों में उनके अधिकृत अधिकारों से दरकिनार कर दिया है. नेता विपक्ष का कहना है कि राजस्व मंत्री ने जिस नए नियम को स्वीकृति दी है उसके अंतर्गत अब बोर्ड के अध्यक्ष एक सदस्य तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी में से कोई भी दो अधिकृत हस्ताक्षर कर्ता हो सकते हैं. इसका प्रभाव यह होगा कि बोर्ड के अध्यक्ष तथा सदस्य बिना मुख्य कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर के बैंक से पैसा निकाल सकते हैं और हर प्रकार का लेन देन कर सकते हैं.

मंत्री की स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी

उन्होंने कहा कि मंत्री की स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी है. नियमों के अनुसार दिल्ली वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य द्वारा नियुक्त किया जा सकता है और उसकी स्वीकृति के बिना कोई भी वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, गैरकानूनी कार्यों तथा अनैतिक कार्य संचालन के लिए सीबीआई द्वारा जांच के दायरे में है. ऐसे में उन्हें वित्तीय शक्ति देना सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है.

उपराज्यपाल से कार्रवाई करने की मांग

दिल्ली वक्फ बोर्ड की सभी शक्तियां उप राज्यपाल में निहित है. नेता विपक्ष ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से आग्रह किया है कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री की इस अवैध कार्रवाई को संज्ञान में लें और इसे रोकने के लिए कार्यवाही करें.

दिल्ली सरकार का 3 जून 2015 का आदेश कहता है कि दिल्ली वक्फ अधिनियम 1995 के अंतर्गत मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि वह बोर्ड का काम नियम और कायदे के अनुसार हो. इसमें यह आदेश दिए गए की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बैंक अकाउंट के परिचालन में अनिवार्य रूप से हस्ताक्षर कर्ता होंगे. लेकिन दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री की संशोधित स्वीकृति में उनके हस्ताक्षर की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है यह पूरी तरह से गैर कानूनी और अनधिकृत है.

समाप्त, आशुतोष झा


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