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विदेश भेजने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले दो जालसाज कोलकाता से गिरफ्तार

वीजा दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले एक गैंग का चाणक्यपुरी पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के दो लोगों को गिरफ्तार किया है.

two fraudsters arrested
2 जालसाज कोलकाता से गिरफ्तार
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Published : Aug 9, 2021, 11:30 AM IST

Updated : Aug 9, 2021, 12:06 PM IST

नई दिल्ली: रूस का वीजा दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले एक गैंग का चाणक्यपुरी पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के 2 लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से 73 भारतीय पासपोर्ट, 10 नेपाली पासपोर्ट, एक लैपटॉप, एक प्रिंटर, 15 फर्जी वीजा, दूतावास के तीन फर्जी स्टांप और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. यह लोग अब तक सैकड़ों लोगों से ठगी कर चुके हैं.

इस मामले में डीसीपी दीपक यादव का कहना है कि 13 जुलाई को चाणक्यपुरी थाने में ओमप्रकाश नामक के शख्स ने शिकायत दर्ज कराई थी. तहरीर में पीड़ित ने बताया कि वह एक इंजीनियर है. उसे इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर का 14 महीनों का अनुभव है. वह 20 अगस्त 2020 को रूस दूतावास में वीजा के बनवाने के लिए आया था, लेकिन उसे कोविड-19 के चलते ऑनलाइन आवेदन करने को कहा गया.

ये भी पढ़ें: पुलिस थानों में मानवाधिकारों को सबसे ज्यादा खतरा : सीजेआई रमना

डीसीपी के मुताबिक पीड़ित ओमप्रकाश ने तहरीर में शिकायत की है कि 20 अगस्त 2020 को रूस दूतावास के बाहर संजीव अरोड़ा नामक एक शख्स मिला. जिसने उसे बताया कि वह 25 हजार रुपये में उसे वीजा दिलवा देगा. पीड़ित उसकी बातों में आ गया और 25 हजार रुपये और अपना पासपोर्ट उसे दे दिए. संजीव अरोड़ा ने अपना मोबाइल नंबर उसे दिया. 5 जून 2021 को संजीव अरोड़ा ने उसे कॉल कर बताया कि 12 हजार रुपये चारू शर्मा के अकाउंट में ट्रांसफर करे. उसने यह रकम ट्रांसफर कर दी. इसके बाद संजीव अरोड़ा ने उसे 28 हजार रुपये फ्लाइट की टिकट बुक कराने के लिए ट्रांसफर करने को कहा. इसलिए उसने यह रकम भी ट्रांसफर कर दी. लेकिन 65 हजार रुपये देने के बाद भी जब उसे अपना पासपोर्ट और वीजा नहीं मिला तो वो फरीदाबाद स्थित संजीव अरोड़ा के दफ्तर में पहुंचा तो उसे संजीव अरोड़ा की कर्मचारी चारू शर्मा मिली. जिसने उसे रूस के वीजा का फोटोकॉपी दिया. उसे शक हुआ तो वो वीजा को लेकर दूतावास पहुंचा. उन्होंने उसे बताया कि यह फर्जी है. इसके बाद चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने इस बाबत मामला दर्ज कर लिया. इस मामले की जांच एसीपी प्रज्ञा आनंद की देखरेख में एसएचओ हरी किशन और अश्वनी कुमार ने शुरू की.

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टीम के सदस्यों ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली जिससे पता चला कि आरोपी कोलकाता में है. वहां से संजीव अरोड़ा को पकड़ लिया गया. उसने बताया कि फरीदाबाद में वह दफ्तर चलाता है जहां से लोगों को फर्जी वीजा दिया जाता है. उसने बताया कि इसका मास्टरमाइंड नंदकिशोर प्रसाद है जो फर्जी वीजा तैयार करता है. पुलिस टीम उसे दिल्ली लेकर आई और रिमांड पर लिया. पुलिस टीम ने उसके दफ्तर में छापा मारकर बड़ी मात्रा में फर्जी वीजा और लोगों के पासपोर्ट बरामद किए. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने नंद किशोर उर्फ रोहित उर्फ सुधीर को भी कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तार किया गया संजीव अरोड़ा 12वीं कक्षा तक पढ़ा है. वह पहले खारी बावली में प्रॉपर्टी डीलर का काम करता था. उसके खिलाफ पहले से एक दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं. दूसरा आरोपी नंदकिशोर कोलकाता का रहने वाला है. वह मोतीलाल नेहरू कॉलेज से पढ़ा हुआ है. वह पहले कूरियर सर्विस कंपनी में काम करता था. इसके अलावा वीजा एजेंट सुल्तान के पास वह काम करता था. सुल्तान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद उसने अपना कारोबार किया लेकिन इसमें उसे घाटा हुआ. इसके बाद उसने इस तरीके से ठगी का काम शुरू कर लिया.

नई दिल्ली: रूस का वीजा दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले एक गैंग का चाणक्यपुरी पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के 2 लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से 73 भारतीय पासपोर्ट, 10 नेपाली पासपोर्ट, एक लैपटॉप, एक प्रिंटर, 15 फर्जी वीजा, दूतावास के तीन फर्जी स्टांप और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. यह लोग अब तक सैकड़ों लोगों से ठगी कर चुके हैं.

इस मामले में डीसीपी दीपक यादव का कहना है कि 13 जुलाई को चाणक्यपुरी थाने में ओमप्रकाश नामक के शख्स ने शिकायत दर्ज कराई थी. तहरीर में पीड़ित ने बताया कि वह एक इंजीनियर है. उसे इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर का 14 महीनों का अनुभव है. वह 20 अगस्त 2020 को रूस दूतावास में वीजा के बनवाने के लिए आया था, लेकिन उसे कोविड-19 के चलते ऑनलाइन आवेदन करने को कहा गया.

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डीसीपी के मुताबिक पीड़ित ओमप्रकाश ने तहरीर में शिकायत की है कि 20 अगस्त 2020 को रूस दूतावास के बाहर संजीव अरोड़ा नामक एक शख्स मिला. जिसने उसे बताया कि वह 25 हजार रुपये में उसे वीजा दिलवा देगा. पीड़ित उसकी बातों में आ गया और 25 हजार रुपये और अपना पासपोर्ट उसे दे दिए. संजीव अरोड़ा ने अपना मोबाइल नंबर उसे दिया. 5 जून 2021 को संजीव अरोड़ा ने उसे कॉल कर बताया कि 12 हजार रुपये चारू शर्मा के अकाउंट में ट्रांसफर करे. उसने यह रकम ट्रांसफर कर दी. इसके बाद संजीव अरोड़ा ने उसे 28 हजार रुपये फ्लाइट की टिकट बुक कराने के लिए ट्रांसफर करने को कहा. इसलिए उसने यह रकम भी ट्रांसफर कर दी. लेकिन 65 हजार रुपये देने के बाद भी जब उसे अपना पासपोर्ट और वीजा नहीं मिला तो वो फरीदाबाद स्थित संजीव अरोड़ा के दफ्तर में पहुंचा तो उसे संजीव अरोड़ा की कर्मचारी चारू शर्मा मिली. जिसने उसे रूस के वीजा का फोटोकॉपी दिया. उसे शक हुआ तो वो वीजा को लेकर दूतावास पहुंचा. उन्होंने उसे बताया कि यह फर्जी है. इसके बाद चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने इस बाबत मामला दर्ज कर लिया. इस मामले की जांच एसीपी प्रज्ञा आनंद की देखरेख में एसएचओ हरी किशन और अश्वनी कुमार ने शुरू की.

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टीम के सदस्यों ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली जिससे पता चला कि आरोपी कोलकाता में है. वहां से संजीव अरोड़ा को पकड़ लिया गया. उसने बताया कि फरीदाबाद में वह दफ्तर चलाता है जहां से लोगों को फर्जी वीजा दिया जाता है. उसने बताया कि इसका मास्टरमाइंड नंदकिशोर प्रसाद है जो फर्जी वीजा तैयार करता है. पुलिस टीम उसे दिल्ली लेकर आई और रिमांड पर लिया. पुलिस टीम ने उसके दफ्तर में छापा मारकर बड़ी मात्रा में फर्जी वीजा और लोगों के पासपोर्ट बरामद किए. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने नंद किशोर उर्फ रोहित उर्फ सुधीर को भी कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तार किया गया संजीव अरोड़ा 12वीं कक्षा तक पढ़ा है. वह पहले खारी बावली में प्रॉपर्टी डीलर का काम करता था. उसके खिलाफ पहले से एक दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं. दूसरा आरोपी नंदकिशोर कोलकाता का रहने वाला है. वह मोतीलाल नेहरू कॉलेज से पढ़ा हुआ है. वह पहले कूरियर सर्विस कंपनी में काम करता था. इसके अलावा वीजा एजेंट सुल्तान के पास वह काम करता था. सुल्तान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद उसने अपना कारोबार किया लेकिन इसमें उसे घाटा हुआ. इसके बाद उसने इस तरीके से ठगी का काम शुरू कर लिया.

Last Updated : Aug 9, 2021, 12:06 PM IST
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