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गर्मियों में टैटू बनवाने की सोच रहे हैं तो पढ़ लें यह टिप्स, न होगा इन्फेक्शन और न बिगड़ेगा डिजाइन

अगर आप भी टैटू बनवाने की सोच रहे हैं, लेकिन गर्मियों के डर से बच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है. आपने कई लोगों से सुना होगा कि गर्मियों में टैटू बनवाना ठीक नहीं होता, क्योंकि इस मौसम में टैटू के निशान को हील होने में समय लगता है. साथ ही गर्मियों के कारण टैटू का डिजाइन भी खराब हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए, तो गर्मियों में भी आप खूबसूरत टैटू बनवा सकते हैं, जानिए कैसे?

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Published : Jun 9, 2023, 8:04 PM IST

टैटू आर्टिस्ट सुमित से ETV भारत की खास बातचीत

नई दिल्ली: यह कहना गलत नहीं होगा कि आजकल के दौर में युवा पीढ़ी में टैटू का क्रेज चरम पर है. युवा पीढ़ी भीड़ में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए शरीर के विभिन्न हिस्सों पर अनोखे प्रकार के टैटू बनवा रहे हैं. अगर इतिहास की बात की जाए तो प्राचीन समय में कुछ विशेष जनजाति ही टैटू बनवाते थे. इसके अलावा चीनी साहित्य में ऐतिहासिक नायकों और डाकुओं से भी टैटू को जोड़ा गया है. वहीं, आज के जमाने में टैटू एक फैशन सिंबल बन गया है, जिसे बहुत से लोग बनवा रहे है. अगर आप भी टैटू बनवाने की सोच रहे हैं तो निचे दिए गए टिप्स को ध्यान से फॉलो करें.

धूप में जाने से बचें: कनॉट प्लेस स्थित पालिका बाजार टैटू आर्टिस्ट का हब है. यहां 7 वर्षों से टैटू आर्टिस्ट के तौर पर काम करने वाले सुमित ने 'ETV भारत' को खास बातचीत में बताया कि गर्मियों में टैटू को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती हैं. टैटू बनवाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि खुद को और जहां टैटू बनवाया है, उसे धूप से बचाएं. ज्यादा समय तक धूप में रहने से घाव हो सकता है, जिसमें जलन बढ़ने की आशंका रहती है. इसके अलावा पसीना ज्यादा आने से भी घाव में इंफेक्शन होने का डर रहता है. इसके लिए टैटू बनवाने के बाद 5 से 7 दिन तक धूप में जाने से बचें.

गर्मियों में सही मात्रा में लगाएं ऑइंटमेंट: भीषण गर्मी में टैटू को प्रोटेक्ट रखने के लिए उनमें अच्छी कंपनी का सनस्क्रीन या ऑइंटमेंट लगाए. सुमित ने बताया कि गर्मियों में किसी भी ऑइंटमेंट को कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. ज्यादा ऑइंटमेंट टैटू को डैमेज कर सकता हैं. इसके अलावा गर्मियों में लोगों का रुझान वाटर पार्क और राफ्टिंग की ओर ज्यादा होता हैं. लेकिन अगर अपने हाल ही में टैटू बनवाया है, तो इन जगहों पर जाने से बचना चाहिए. सुमित ने बताया कि टैटू बनवाने के बाद करीब एक हफ्ते तक इन जगहों पर नहीं जाना चाहिए. टैटू बनवाने के बाद जिम जाने से भी बचाना चाहिए, क्योंकि टैटू बनवाने पर बॉडी में घाव होता हैं, जो ज्यादा स्ट्रेचिंग से डैमेज हो सकता है।

ज्यादा पसीने वाले जगह पर न बनवाएं टैटू: आजकल के टैटू प्रेमी अपने शरीर के विभिन्न पार्ट्स पर टैटू बनवाने का शौक रखते हैं, लेकिन अगर गर्मियों का मामला है तो इसमें भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती हैं. सुमित ने बताया कि बॉडी के जिस हिस्से में ज्यादा पसीना आता है, वहां टैटू बनवाने से बचाना चाहिए, क्योंकि इन बॉडी पार्ट्स पर ऑइंटमेंट का असर कम होता है. इससे टैटू जल्दी ठीक नहीं होता.

ऑइंटमेंट का सही चयन जरुरी: बाजार में टैटू के ऊपर लगाने वाले ऑइंटमेंट की भरमार हैं, लेकिन कौन-सा अच्छा है? इसे खोजना मुश्किल काम है.सुमित ने बताया कि टैटू प्रेमियों को टैटू के ऊपर उन्हीं ऑइंटमेंट को लगाना चाहिए, जो उनके टैटू आर्टिस्ट ने सुझाया हो.

इसे भी पढ़ें: यामीन है योगी का जबरा फैन! सीने पर गुदवाया CM की फोटो

भारत में टैटू का इतिहास: भारत में भी स्थायी टैटू जिन्हें गोदना कहा जाता था, उसका इतिहास बहुत पुराना है. दक्षिण भारत में स्थायी टैटू को पचकुतरथु कहा जाता था. इस तरह के टैटू 1980 के दशक से पहले तमिलनाडु में बहुत कॉमन थे. भारत में टैटू विभिन्न जनजातियों से संबंधित लोगों की निशानी हुआ करते थे. अलग-अलग जाति और जनजाति के लोग अपनी पहचान के लिए टैटू बनवाते थे. इन सबके अलावा शुरुआती दौर से ही भारत में मेहंदी की सहायता से अस्थायी टैटू बनवाए जाते थे, जो जाति-वर्गों में बंटे हिन्दू समाज द्वारा उपयोग किए जाते थे. आज के दौर में भी मेहंदी का चलन जोरों पर हैं.

क्या कहता है विदेशों में टैटू का इतिहास: एक रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, प्राचीन यूरोप का सबसे प्रचलित और प्रसिद्ध टैटू एल्प्स की प्रसिद्ध ओट्ज घाटी से मिले ओट्जी नाम के आइसमैन के शरीर पर मिला था, जिसका संबंध ईसा से भी 4 शताब्दी पहले से है. विभिन्न सर्वेक्षणों में यह प्रमाणित हुआ है कि ओट्जी के शरीर पर 61 टैटू हैं, जो कार्बन की सहायता से बनाए गए थे. जिनमें से कुछ दाईं और बाईं कलाई पर, कुछ कूल्हों और एड़ी तो कुछ रीढ़ की हड्डी पर थे. जहां-जहां ये टैटू थे, उनके आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इनका संबंध निश्चित रूप से बीमारियों के उपचार से रहा होगा. यूरोप में ईसाइयत का दौर शुरू हुआ, तब टैटू बनवाना अवैध घोषित कर दिया गया था.

वहीं जापान में 1603 से लेकर 1868 तक के प्राचीन जापान में मालवाहक, वेश्याएं और निम्न दर्जे पर काम करने वाले लोग ही टैटू बनवाते थे, ताकि उनकी सामाजिक पहचान बनी रहे. 1720 से 1870 तक अपराधियों के चेहरे पर भी टैटू बनाए जाते थे. जब भी अपराधी कोई अपराध करता था, तो उसकी कलाई पर एक रिंग बना दी जाती थी, जितने ज्यादा अपराध उतने ज्यादा छल्ले. इन देशों के अलावा चीन, तिब्बत, फिलिपींस, ताइवान आदि देखों के टैटू संबंधी अलग-अलग इतिहास है, जो उनकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को दर्शाते हैं.

इसे भी पढ़ें: शहीदों का चलता फिरता स्मारक है ये टैटू मैन, शरीर पर अब तक गुदवा चुके 631 टैटू और नाम

टैटू आर्टिस्ट सुमित से ETV भारत की खास बातचीत

नई दिल्ली: यह कहना गलत नहीं होगा कि आजकल के दौर में युवा पीढ़ी में टैटू का क्रेज चरम पर है. युवा पीढ़ी भीड़ में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए शरीर के विभिन्न हिस्सों पर अनोखे प्रकार के टैटू बनवा रहे हैं. अगर इतिहास की बात की जाए तो प्राचीन समय में कुछ विशेष जनजाति ही टैटू बनवाते थे. इसके अलावा चीनी साहित्य में ऐतिहासिक नायकों और डाकुओं से भी टैटू को जोड़ा गया है. वहीं, आज के जमाने में टैटू एक फैशन सिंबल बन गया है, जिसे बहुत से लोग बनवा रहे है. अगर आप भी टैटू बनवाने की सोच रहे हैं तो निचे दिए गए टिप्स को ध्यान से फॉलो करें.

धूप में जाने से बचें: कनॉट प्लेस स्थित पालिका बाजार टैटू आर्टिस्ट का हब है. यहां 7 वर्षों से टैटू आर्टिस्ट के तौर पर काम करने वाले सुमित ने 'ETV भारत' को खास बातचीत में बताया कि गर्मियों में टैटू को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती हैं. टैटू बनवाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि खुद को और जहां टैटू बनवाया है, उसे धूप से बचाएं. ज्यादा समय तक धूप में रहने से घाव हो सकता है, जिसमें जलन बढ़ने की आशंका रहती है. इसके अलावा पसीना ज्यादा आने से भी घाव में इंफेक्शन होने का डर रहता है. इसके लिए टैटू बनवाने के बाद 5 से 7 दिन तक धूप में जाने से बचें.

गर्मियों में सही मात्रा में लगाएं ऑइंटमेंट: भीषण गर्मी में टैटू को प्रोटेक्ट रखने के लिए उनमें अच्छी कंपनी का सनस्क्रीन या ऑइंटमेंट लगाए. सुमित ने बताया कि गर्मियों में किसी भी ऑइंटमेंट को कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. ज्यादा ऑइंटमेंट टैटू को डैमेज कर सकता हैं. इसके अलावा गर्मियों में लोगों का रुझान वाटर पार्क और राफ्टिंग की ओर ज्यादा होता हैं. लेकिन अगर अपने हाल ही में टैटू बनवाया है, तो इन जगहों पर जाने से बचना चाहिए. सुमित ने बताया कि टैटू बनवाने के बाद करीब एक हफ्ते तक इन जगहों पर नहीं जाना चाहिए. टैटू बनवाने के बाद जिम जाने से भी बचाना चाहिए, क्योंकि टैटू बनवाने पर बॉडी में घाव होता हैं, जो ज्यादा स्ट्रेचिंग से डैमेज हो सकता है।

ज्यादा पसीने वाले जगह पर न बनवाएं टैटू: आजकल के टैटू प्रेमी अपने शरीर के विभिन्न पार्ट्स पर टैटू बनवाने का शौक रखते हैं, लेकिन अगर गर्मियों का मामला है तो इसमें भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती हैं. सुमित ने बताया कि बॉडी के जिस हिस्से में ज्यादा पसीना आता है, वहां टैटू बनवाने से बचाना चाहिए, क्योंकि इन बॉडी पार्ट्स पर ऑइंटमेंट का असर कम होता है. इससे टैटू जल्दी ठीक नहीं होता.

ऑइंटमेंट का सही चयन जरुरी: बाजार में टैटू के ऊपर लगाने वाले ऑइंटमेंट की भरमार हैं, लेकिन कौन-सा अच्छा है? इसे खोजना मुश्किल काम है.सुमित ने बताया कि टैटू प्रेमियों को टैटू के ऊपर उन्हीं ऑइंटमेंट को लगाना चाहिए, जो उनके टैटू आर्टिस्ट ने सुझाया हो.

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भारत में टैटू का इतिहास: भारत में भी स्थायी टैटू जिन्हें गोदना कहा जाता था, उसका इतिहास बहुत पुराना है. दक्षिण भारत में स्थायी टैटू को पचकुतरथु कहा जाता था. इस तरह के टैटू 1980 के दशक से पहले तमिलनाडु में बहुत कॉमन थे. भारत में टैटू विभिन्न जनजातियों से संबंधित लोगों की निशानी हुआ करते थे. अलग-अलग जाति और जनजाति के लोग अपनी पहचान के लिए टैटू बनवाते थे. इन सबके अलावा शुरुआती दौर से ही भारत में मेहंदी की सहायता से अस्थायी टैटू बनवाए जाते थे, जो जाति-वर्गों में बंटे हिन्दू समाज द्वारा उपयोग किए जाते थे. आज के दौर में भी मेहंदी का चलन जोरों पर हैं.

क्या कहता है विदेशों में टैटू का इतिहास: एक रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, प्राचीन यूरोप का सबसे प्रचलित और प्रसिद्ध टैटू एल्प्स की प्रसिद्ध ओट्ज घाटी से मिले ओट्जी नाम के आइसमैन के शरीर पर मिला था, जिसका संबंध ईसा से भी 4 शताब्दी पहले से है. विभिन्न सर्वेक्षणों में यह प्रमाणित हुआ है कि ओट्जी के शरीर पर 61 टैटू हैं, जो कार्बन की सहायता से बनाए गए थे. जिनमें से कुछ दाईं और बाईं कलाई पर, कुछ कूल्हों और एड़ी तो कुछ रीढ़ की हड्डी पर थे. जहां-जहां ये टैटू थे, उनके आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इनका संबंध निश्चित रूप से बीमारियों के उपचार से रहा होगा. यूरोप में ईसाइयत का दौर शुरू हुआ, तब टैटू बनवाना अवैध घोषित कर दिया गया था.

वहीं जापान में 1603 से लेकर 1868 तक के प्राचीन जापान में मालवाहक, वेश्याएं और निम्न दर्जे पर काम करने वाले लोग ही टैटू बनवाते थे, ताकि उनकी सामाजिक पहचान बनी रहे. 1720 से 1870 तक अपराधियों के चेहरे पर भी टैटू बनाए जाते थे. जब भी अपराधी कोई अपराध करता था, तो उसकी कलाई पर एक रिंग बना दी जाती थी, जितने ज्यादा अपराध उतने ज्यादा छल्ले. इन देशों के अलावा चीन, तिब्बत, फिलिपींस, ताइवान आदि देखों के टैटू संबंधी अलग-अलग इतिहास है, जो उनकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को दर्शाते हैं.

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