नई दिल्ली: एशिया की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में बंद 18 से 21 साल के युवा कैदियों को दोबारा से अपराध के रास्ते पर जाने से रोकने और उनको समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए जेल प्रशासन विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ऐसे 40 कैदियों को सर्टिफिकेट प्रदान किया गया.
युवा कैदियों के लिए विशेष प्रयास
तिहाड़ की जेल नंबर 5 में बंद कैदियों को पिछले कुछ समय से टेक्सटाइल डिजाइनिंग का कोर्स करवाया जा रहा था. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इन कैदियों को सर्टिफिकेट दिया गया. तिहाड़ जेल के पीआरओ अरविंद कुमार से मिली जानकारी के अनुसार तिहाड़ में कुल 16 जेल हैं. इसमें रोहिणी और मंडोली भी शामिल है. इनमें से सेंट्रल जेल नंबर 5 में लगभग 996 कैदी बंद हैं. हालांकि जेल में कैदियों की क्षमता साढ़े सात सौ के करीब है.
1996 में की गई थी सेंट्रल जेल नंबर 5 की स्थापना, यहां रखे जाते हैं 18 से 21 वर्ष की उम्र के कैदी
इस जेल में वैसे अपराधियों को रखा जाता है जिनकी उम्र 18 से 21 वर्ष के बीच होती है. जेल में बंद कैदियों को दूसरे कैदियों से इसलिए अलग रखा जाता है क्योंकि इस उम्र में किसी न किसी गलती की वजह से वे अपराध के रास्ते पर चले आते हैं लेकिन आदतन अपराधी नहीं होते. उनकी इसी आदत को रोकने के लिए इस जेल की स्थापना 1996 में की गई थी.
तिहाड़ जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार तिहाड़ जेल के डीजी संजय बेनीवाल और जेल के महानिरीक्षक एचपीएससी सरन के कार्यकाल के दौरान जेल 5 में बंद युवा कैदियों के कौशल विकास के लिए पहल किया गया. और उनकी सजा पूरी करने के बाद बेहतर जीवन और रोजगारपरक बनाने के लिए उन्हें टेक्सटाइल डिजाइनिंग का कोर्स कराया गया. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित योजना जन शिक्षण संस्थान में इन कैदियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण लगभग 105 दिनों तक चला. इस दौरान कपड़े पर छपाई डिजाइनिंग का काम सिखाया गया. फिलहाल पहले चरण में 40 कैदियों को टैक्सटाइल डिजाइनिंग का प्रशिक्षण देकर इन्हें सर्टिफिकेट वितरण किया गया.
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