नई दिल्ली: मुंडका आगजनी मामले में पुलिस द्वारा अभी तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से दो उस दफ्तर के मालिक हैं जहां आग लगी. वहीं आरोपी मनीष लाकड़ा इस बिल्डिंग का मालिक है. इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है. अधिवक्ता रवि द्राल की माने तो इस घटना के लिए जिम्मेदार पाए जाने पर दोषी को 10 साल तक की सजा अदालत सुना सकती है.
जानकारी के अनुसार बीते शनिवार को मुंडका स्थित एक बिल्डिंग में आग लगने से 27 लोगों की मौत हुई थी. घटना के समय यहां दूसरी मंजिल पर एक बैठक चल रही थी जिसमें सौ से ज्यादा लोग मौजूद थे. इस बिल्डिंग को न तो फायर की तरफ से कोई एनओसी मिली थी और न ही निगम से किसी प्रकार का क्लियरेंस. पुलिस को प्राथमिक जांच के दौरान पता चला कि बिल्डिंग मालिक घटना के समय वहां मौजूद था. लेकिन आग लगने पर वह पीछे से भाग गया था. इस घटना को लेकर मुंडका थाने में आईपीसी की धारा 308/304/120बी/34 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है. वहीं तीन आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.
अधिवक्ता रवि द्राल ने बताया कि इस मामले में आगजनी को लेकर पुलिस ने उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. इस मामले में जांच के दौरान सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर अन्य धाराओं को भी जोड़ा जा सकता है. पुलिस के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में गैर इरादतन हत्या की धारा 304 को जोड़ा गया है. इस मामले में अगर गैर इरादतन हत्या के तहत आरोपियों का दोष साबित हो जाता है तो उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है. वहीं अगर वह आईपीसी की धारा 308 (जान को खतरे में डालना) के तहत दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें 7 साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा पुलिस ने इन पर साजिश की धारा भी लगाई है.
अधिवक्ता रवि द्राल ने बताया कि इस मामले में पुलिस के लिए अपराध को साबित करना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. इस मामले में पुलिस को अदालत के समक्ष पूरी साजिश का खुलासा करना होगा. यह बताना होगा कि किस प्रकार की लापरवाही इस अग्निकांड में हुई है. किस आरोपी की इसमें क्या भूमिका है. इसमें यह बात सामने आई है कि बिल्डिंग के ऊपरी हिस्से में मालिक ने कुंडी लगा दी थी. इस बात के साक्ष्य जुटाना एवं उसे अदालत में साबित करना आसान नहीं होगा. उन्होंने बताया कि इस मामले में निश्चित ही दोषियों को सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं लापरवाही के चलते न हो.
अधिवक्ता रवि द्राल ने बताया कि इस मामले में बिल्डिंग की खामियों को लेकर निगम की भूमिका को लेकर भी जांच होनी चाहिए. यह पता लगाना होगा कि इस बिल्डिंग के खिलाफ क्या निगम ने कोई एक्शन लिया था. निगम के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. उन्होंने बताया कि इस मामले में पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलेगा. इसके लिए श्रम आयुक्त यह देखेंगे कि मरने वाले की उम्र, वेतन, परिवार के सदस्यों की संख्या क्या थी. इसके आधार पर मरने वालों का मुआवजा तय किया जाएगा.
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