नई दिल्ली: दिल्ली में समग्र शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाली टीचर्स ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर धरना प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी टीचर्स की मांग है कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाली टीचर्स के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. उन्हें मनमाने तरीके से दिल्ली सरकार कहीं भी स्थानांतरित कर देती है और उनकी काबिलियत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
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समग्र शिक्षा अभियान के तहत मुख्यमंत्री आवास पर धरना प्रदर्शन करने पहुंची शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली में लगभग 1300 समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) शिक्षक हैं. सभी साल 2011-2012 से एसएसए के तहत शिक्षा विभाग में काम कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने कई बार एसएसए शिक्षकों के साथ अन्याय किया है. इन सभी गतिविधियों का असर हर 3-4 महीने में छात्रों और उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है. क्योंकि जब छात्र और शिक्षक एक-दूसरे को समझने के स्तर पर पहुँच जाते हैं तो कोई दूसरा शिक्षक उनकी जगह ले लेता है. इससे पूरी प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित होती है और दिल्ली सरकारी स्कूल के छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित होगी .
शिक्षा अभियान में काम करने वाली शिक्षक का आरोप है कि उनके लिए सबसे बुरा निर्णय 13 जुलाई 2023 को लिया गया. जब दिल्ली में बाढ़ का संकट था इस दौरान 201 टीजीटी और 150 पीआरटी एसएसए शिक्षकों को गलत तरीके से एमसीडी में स्थानांतरित कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल शिक्षकों की उच्च योग्यता पर विचार करके निचली कक्षाओं को पढ़ाना सही नहीं है.
साथ ही यह आरटीई अधिनियम 2009 में निर्धारित सिद्धांतों का उल्लंघन है, जो बच्चों को सार्थक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है .इन शिक्षकों का कहना है कि सरकार महिला एसएसए टीचर्स की समस्या को देखत हुए काम के बेहतर माहौल मुहैया कराएं. सरकार एसएसएस शिक्षकों को अचानक दूर दराज क्षेत्रों में ट्रांसफर कर उन्हें घर बैठने के लिए मजबूर ना करें.