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Challenges of growing population: दिल्ली पर बढ़ा आबादी का दबाव तो चरमरा जाएगी शिक्षा व्यवस्था

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Published : Apr 27, 2023, 5:07 PM IST

Updated : Apr 27, 2023, 5:58 PM IST

भारत की बढ़ती आबादी का असर शिक्षा पर भी पड़ने लगा है. दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को देश की नंबर वन मॉडल का दावा करने वाली AAP सरकार में भी 45% टीचरों के पद खाली हैं. शिक्षकों का कहना है कि जनसंख्या में इजाफा होने पर देश में शिक्षा पर संकट गहरा सकता है.

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प्रतिक्रिया देते हुए गवर्मेंट स्कूल टीचर एसोसिएशन के जिला सचिव संत राम

नई दिल्ली: भारत ने आबादी के मामले में चीन को पछाड़ कर नंबर 1 बन गया है. इसका असर स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा पर भी पड़ने लगा है. राजधानी दिल्ली में ही शिक्षा का स्तर और सुविधाएं देखे तो पता चलता है कि लगातार शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है. ऐसे में अगर अभी इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो आगे भारी सकंट खड़ा हो सकता है.

वहीं, दिल्ली सरकार शिक्षा मॉडल का गुणगान करती है. दिल्ली सरकार का दावा है कि उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बदलाव किया है. खासतौर पर राज्य सरकार के वार्षिक बजट में शिक्षा के क्षेत्र को अधिक महत्व दिया गया. हालांकि, कई सरकारी स्कूल जो टेंट में चलते थे, वहां नई-नई बिल्डिंग बनाई गई हैं.

मौजूदा स्थिति देखे तो सरकारी स्कूलों में 45 फीसदी शिक्षकों की कमी है. जिससे आने वाले समय में छात्रों की शिक्षा पर असर पड़ेगा. अगर, दिल्ली इकोनॉमिक सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि साल 2022 और 23 में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कुल 1231 स्कूल हैं.

दिल्ली में कितने हैं सरकारी और निजी स्कूल: जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 1045 सरकारी स्कूल हैं. वहीं नगर निगम के कुल 1500 स्कूल हैं और दिल्ली में 1800 के करीब निजी स्कूलों की संख्या हैं. वहीं, सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के इन सभी स्कूलों में 45 लाख से ज्यादा छात्र पंजीकृत हैं. इनमें 18 लाख के करीब छात्र निजी स्कूलों में और बाकी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं.

8 साल में 1410 टीचर्स और प्रिंसिपल को भेजा गया विदेश: पिछले 8 साल में 1410 टीचर्स, प्रिंसिपल और टीचर एजुकेटर्स को दिल्ली सरकार ने फिनलैंड, सिंगापुर और कैंब्रिज भेजा है. 1247 प्राचार्यों ने आईआईएम अहमदाबाद और 61 प्राचार्यों ने आईआईएम लखनऊ में प्रशिक्षण प्राप्त किया है. दिल्ली के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्कूलों में अब फ्रेंच, जर्मन, जापानी और स्पेनिश भाषा की पढ़ाई कराई जा रही है. 2021 में 20 डॉ. अंबेडकर स्पेशलाइज्ड एजुकेशन स्कूल थे, जो लगभग दोगुना होकर 37 स्कूल हो जाएंगे. स्कूल ऑफ एप्लाइड लर्निंग के माध्यम से देश में पहली बार स्कूल और उद्योग मिलकर स्कूलों में ही बच्चों के लिए पेशेवर कौशल विकसित करने के लिए सहयोग कर रहे हैं.

2018 में केजरीवाल सरकार ने सभी शिक्षकों को बांटे टैबलेट: दिल्ली में 12वीं में 98 फीसदी छात्र पास हुए हैं. जेईई मेंस के लिए 493 और नीट के लिए 648 बच्चे क्वालीफाई हुए. एंटरप्रेन्योरियल माइंडसेट करिकुलम के पहले बैच के 56 छात्रों को बीबीए, बीटेक आदि कोर्सों में दिल्ली के शीर्ष 7 विश्वविद्यालयों में सीधे प्रवेश मिला है. 2018 में केजरीवाल सरकार ने सभी शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए.

2023-24 में सभी शिक्षकों, प्राचार्यों, उप-प्राचार्यों और डीडीई को फिर से नए टैबलेट प्रदान करेगा. दिल्ली सरकार के अधीन 350 स्कूलों में से प्रत्येक में 20 नए कंप्यूटर प्रदान किए जाएंगे.शहीद-ए-आज़म भगत सिंह आर्म्ड फोर्स प्रिपेरेटरी स्कूल का पहला बैच, जिसमें 160 छात्र हैं, उसे शुरू कर दिया गया है. दिल्ली के पहले मॉडल वर्चुअल स्कूल के पहले बैच में देशभर से 14 अलग-अलग राज्यों से छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.

बिल्डिंग के अभाव में 2 पालियों में चलते हैं स्कूल: ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के महासचिव शोएब राणा ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है.इसका प्रतिकूल प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ता है.शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है, क्योंकि स्कूलों और कक्षाओं में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिससे शिक्षकों की पहुंच हर एक छात्र तक कम होती जा रही है.

दिल्ली में जनसंख्या ज्यादा है और क्षेत्रफल कम है. जिससे स्कूलों की संख्या कम है. स्कूलों की बिल्डिंग के अभाव के चलते दिल्ली में लगभग 900 से ज्यादा स्कूल 2 पालियों में चलते हैं. दिल्ली देश की राजधानी होते हुए भी बीते 1 दशक से शिक्षकों की कमी से जूझ रही है और बढ़ती जनसंख्या के चलते कक्षाओं का आकार लगातार बढ़ रहा है. जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है.

भविष्य में शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती: उन्होंने कहा कि परीक्षा परिणाम में क्वालिटी से ज्यादा क्वांटिटी देने का दबाव शिक्षक पर बढ़ता जा रहा है. शिक्षक शिक्षा देने के अलावा और भी कई कार्य कर रहे हैं. जिससे शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. जिसका भविष्य में प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलेगा. बढ़ती जनसंख्या और शिक्षकों की कमी और अपर्याप्त स्कूलों के चलते संसाधनों के अभाव में भविष्य में शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती रहेगी, क्योंकि लोगों के पास डिग्रियां तो होंगी, लेकिन क्वालिटी नहीं होगी. जिससे राज्यों या देश के सामने डिग्री वाले लोगों की बेरोजगार भीड़ खड़ी होगी. स्कूलों की संख्या बढ़ाने, शिक्षकों की भर्ती और शिक्षक अनुपात ठीक प्रकार से लागू करने की ज़रूरत है. बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए नए स्कूल खोलने की भी जरूरत है.

क्या कहते हैं शिक्षक: गवर्मेंट स्कूल टीचर एसोसिएशन के जिला सचिव संत राम ने बताया कि यह गर्व करने वाली बात है कि जनसंख्या के मामले में हम आगे हैं और गर्व इसलिए है, क्योंकि विश्व के ज्यादा संख्या में युवा हमारे हिंदुस्तान में बसते हैं. अच्छा शिक्षक अच्छा विद्यार्थी पैदा करता है, जो आगे चलकर जिम्मेदार नागरिक बनते हैं. उन्होंने कहा कि देश में नई एजुकेशन पॉलिसी लागू हो चुकी है. उसमें स्टूडेंट, टीचर रेश्यो और नए-नए कोर्स की बात की गई है.

ये भी पढ़ें: karnataka Election 2023 : कांग्रेस की शिकायत पर अमित शाह के खिलाफ FIR दर्ज, लगाए ये आरोप

प्रतिक्रिया देते हुए गवर्मेंट स्कूल टीचर एसोसिएशन के जिला सचिव संत राम

नई दिल्ली: भारत ने आबादी के मामले में चीन को पछाड़ कर नंबर 1 बन गया है. इसका असर स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा पर भी पड़ने लगा है. राजधानी दिल्ली में ही शिक्षा का स्तर और सुविधाएं देखे तो पता चलता है कि लगातार शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है. ऐसे में अगर अभी इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो आगे भारी सकंट खड़ा हो सकता है.

वहीं, दिल्ली सरकार शिक्षा मॉडल का गुणगान करती है. दिल्ली सरकार का दावा है कि उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बदलाव किया है. खासतौर पर राज्य सरकार के वार्षिक बजट में शिक्षा के क्षेत्र को अधिक महत्व दिया गया. हालांकि, कई सरकारी स्कूल जो टेंट में चलते थे, वहां नई-नई बिल्डिंग बनाई गई हैं.

मौजूदा स्थिति देखे तो सरकारी स्कूलों में 45 फीसदी शिक्षकों की कमी है. जिससे आने वाले समय में छात्रों की शिक्षा पर असर पड़ेगा. अगर, दिल्ली इकोनॉमिक सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि साल 2022 और 23 में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कुल 1231 स्कूल हैं.

दिल्ली में कितने हैं सरकारी और निजी स्कूल: जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 1045 सरकारी स्कूल हैं. वहीं नगर निगम के कुल 1500 स्कूल हैं और दिल्ली में 1800 के करीब निजी स्कूलों की संख्या हैं. वहीं, सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के इन सभी स्कूलों में 45 लाख से ज्यादा छात्र पंजीकृत हैं. इनमें 18 लाख के करीब छात्र निजी स्कूलों में और बाकी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं.

8 साल में 1410 टीचर्स और प्रिंसिपल को भेजा गया विदेश: पिछले 8 साल में 1410 टीचर्स, प्रिंसिपल और टीचर एजुकेटर्स को दिल्ली सरकार ने फिनलैंड, सिंगापुर और कैंब्रिज भेजा है. 1247 प्राचार्यों ने आईआईएम अहमदाबाद और 61 प्राचार्यों ने आईआईएम लखनऊ में प्रशिक्षण प्राप्त किया है. दिल्ली के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्कूलों में अब फ्रेंच, जर्मन, जापानी और स्पेनिश भाषा की पढ़ाई कराई जा रही है. 2021 में 20 डॉ. अंबेडकर स्पेशलाइज्ड एजुकेशन स्कूल थे, जो लगभग दोगुना होकर 37 स्कूल हो जाएंगे. स्कूल ऑफ एप्लाइड लर्निंग के माध्यम से देश में पहली बार स्कूल और उद्योग मिलकर स्कूलों में ही बच्चों के लिए पेशेवर कौशल विकसित करने के लिए सहयोग कर रहे हैं.

2018 में केजरीवाल सरकार ने सभी शिक्षकों को बांटे टैबलेट: दिल्ली में 12वीं में 98 फीसदी छात्र पास हुए हैं. जेईई मेंस के लिए 493 और नीट के लिए 648 बच्चे क्वालीफाई हुए. एंटरप्रेन्योरियल माइंडसेट करिकुलम के पहले बैच के 56 छात्रों को बीबीए, बीटेक आदि कोर्सों में दिल्ली के शीर्ष 7 विश्वविद्यालयों में सीधे प्रवेश मिला है. 2018 में केजरीवाल सरकार ने सभी शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए.

2023-24 में सभी शिक्षकों, प्राचार्यों, उप-प्राचार्यों और डीडीई को फिर से नए टैबलेट प्रदान करेगा. दिल्ली सरकार के अधीन 350 स्कूलों में से प्रत्येक में 20 नए कंप्यूटर प्रदान किए जाएंगे.शहीद-ए-आज़म भगत सिंह आर्म्ड फोर्स प्रिपेरेटरी स्कूल का पहला बैच, जिसमें 160 छात्र हैं, उसे शुरू कर दिया गया है. दिल्ली के पहले मॉडल वर्चुअल स्कूल के पहले बैच में देशभर से 14 अलग-अलग राज्यों से छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.

बिल्डिंग के अभाव में 2 पालियों में चलते हैं स्कूल: ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के महासचिव शोएब राणा ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है.इसका प्रतिकूल प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ता है.शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है, क्योंकि स्कूलों और कक्षाओं में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिससे शिक्षकों की पहुंच हर एक छात्र तक कम होती जा रही है.

दिल्ली में जनसंख्या ज्यादा है और क्षेत्रफल कम है. जिससे स्कूलों की संख्या कम है. स्कूलों की बिल्डिंग के अभाव के चलते दिल्ली में लगभग 900 से ज्यादा स्कूल 2 पालियों में चलते हैं. दिल्ली देश की राजधानी होते हुए भी बीते 1 दशक से शिक्षकों की कमी से जूझ रही है और बढ़ती जनसंख्या के चलते कक्षाओं का आकार लगातार बढ़ रहा है. जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है.

भविष्य में शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती: उन्होंने कहा कि परीक्षा परिणाम में क्वालिटी से ज्यादा क्वांटिटी देने का दबाव शिक्षक पर बढ़ता जा रहा है. शिक्षक शिक्षा देने के अलावा और भी कई कार्य कर रहे हैं. जिससे शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. जिसका भविष्य में प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलेगा. बढ़ती जनसंख्या और शिक्षकों की कमी और अपर्याप्त स्कूलों के चलते संसाधनों के अभाव में भविष्य में शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती रहेगी, क्योंकि लोगों के पास डिग्रियां तो होंगी, लेकिन क्वालिटी नहीं होगी. जिससे राज्यों या देश के सामने डिग्री वाले लोगों की बेरोजगार भीड़ खड़ी होगी. स्कूलों की संख्या बढ़ाने, शिक्षकों की भर्ती और शिक्षक अनुपात ठीक प्रकार से लागू करने की ज़रूरत है. बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए नए स्कूल खोलने की भी जरूरत है.

क्या कहते हैं शिक्षक: गवर्मेंट स्कूल टीचर एसोसिएशन के जिला सचिव संत राम ने बताया कि यह गर्व करने वाली बात है कि जनसंख्या के मामले में हम आगे हैं और गर्व इसलिए है, क्योंकि विश्व के ज्यादा संख्या में युवा हमारे हिंदुस्तान में बसते हैं. अच्छा शिक्षक अच्छा विद्यार्थी पैदा करता है, जो आगे चलकर जिम्मेदार नागरिक बनते हैं. उन्होंने कहा कि देश में नई एजुकेशन पॉलिसी लागू हो चुकी है. उसमें स्टूडेंट, टीचर रेश्यो और नए-नए कोर्स की बात की गई है.

ये भी पढ़ें: karnataka Election 2023 : कांग्रेस की शिकायत पर अमित शाह के खिलाफ FIR दर्ज, लगाए ये आरोप

Last Updated : Apr 27, 2023, 5:58 PM IST
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