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DU: 59 साल में PHD, डिग्री पाने की खुशी तो मां-बाप के न होने का गम

डीयू के ऑरोबिंदो कॉलेज में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने 59 साल की उम्र में दिल्ली विश्वविद्यालय से PHD डिग्री हासिल की है. उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है, लेकिन मां-बाप के न होने का गम उनकी आंखों में झलक आया.

teacher PHD in DU at 59 years
डॉ. हंसराज सुमन
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Published : Feb 28, 2021, 5:40 AM IST

Updated : Feb 28, 2021, 12:05 PM IST

नई दिल्ली: 'कामयाबी का जुनून होना चाहिए फिर मुश्किलों की क्या औकात' यह लाइन सटीक बैठती है डॉ. हंसराज सुमन पर, जिन्होंने जीवन के तमाम संघर्षों को पार करते हुए 59 साल की उम्र में दिल्ली विश्वविद्यालय से PHD डिग्री हासिल की. डॉ. सुमन ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता - पिता को दिया है. बता दें कि वर्तमान में वह डीयू के ऑरोबिंदो कॉलेज में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर हैं.

59 साल में PHD
माता-पिता का सपना हुआ पूरा

वहीं ईटीवी भारत ने 59 वर्ष में पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. हंसराज सुमन से बात की और जानने की कोशिश की कि उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचने के बाद भी डिग्री हासिल करने का जज़्बा उनमें कैसे बना रहा. इस पर उन्होंने इसका श्रेय अपने माता पिता को दिया. उन्होंने बताया कि यह उनके माता - पिता का ही सपना था कि वह डीयू से पढ़ाई कर डिग्री हासिल करें जो आज पूरा हुआ है.


मां-बाप के न होने का गम

डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उन्हें भरोसा नहीं था कि इस बार उन्हें फिजिकल डिग्री मिलेगी. लेकिन 97वें दीक्षांत समारोह के आयोजन से उन्हें बहुत खुशी हुई. उन्होंने बताया कि यह उनके माता पिता का सपना था, जिसे अब जाकर पूरा कर पाया हूं. लेकिन जिन मां बाप का ये सपना था, अफसोस उनमें से आज कोई मौजूद नहीं है.

नई दिल्ली: 'कामयाबी का जुनून होना चाहिए फिर मुश्किलों की क्या औकात' यह लाइन सटीक बैठती है डॉ. हंसराज सुमन पर, जिन्होंने जीवन के तमाम संघर्षों को पार करते हुए 59 साल की उम्र में दिल्ली विश्वविद्यालय से PHD डिग्री हासिल की. डॉ. सुमन ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता - पिता को दिया है. बता दें कि वर्तमान में वह डीयू के ऑरोबिंदो कॉलेज में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर हैं.

59 साल में PHD
माता-पिता का सपना हुआ पूरा

वहीं ईटीवी भारत ने 59 वर्ष में पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. हंसराज सुमन से बात की और जानने की कोशिश की कि उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचने के बाद भी डिग्री हासिल करने का जज़्बा उनमें कैसे बना रहा. इस पर उन्होंने इसका श्रेय अपने माता पिता को दिया. उन्होंने बताया कि यह उनके माता - पिता का ही सपना था कि वह डीयू से पढ़ाई कर डिग्री हासिल करें जो आज पूरा हुआ है.


मां-बाप के न होने का गम

डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उन्हें भरोसा नहीं था कि इस बार उन्हें फिजिकल डिग्री मिलेगी. लेकिन 97वें दीक्षांत समारोह के आयोजन से उन्हें बहुत खुशी हुई. उन्होंने बताया कि यह उनके माता पिता का सपना था, जिसे अब जाकर पूरा कर पाया हूं. लेकिन जिन मां बाप का ये सपना था, अफसोस उनमें से आज कोई मौजूद नहीं है.

Last Updated : Feb 28, 2021, 12:05 PM IST
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