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REPUBLIC DAY 2023: कर्त्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी दिल्ली की झांकी

इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में दिल्ली की झांकी नहीं देखने को मिलेगी. रक्षा मंत्रालय की चयन समिति ने दिल्ली की झांकी को रिजेक्ट कर दिया है.

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Published : Jan 20, 2023, 3:54 PM IST

नई दिल्ली: राजपथ से कर्त्तव्य पथ में तब्दील हुई सड़क पर गणतंत्र दिवस समारोह मनाने की तैयारी जोर-शोर से हो रही है, लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की झांकी नहीं दिखेगी. दिल्ली सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय की चयन समिति ने खारिज कर दिया है. पिछले साल भी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली को मौका नहीं मिल पाया था.

दिल्ली सरकार के संस्कृति विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, साहित्य कला परिषद की ओर से पिछले साल अक्टूबर में ही गणतंत्र दिवस समारोह के लिए झांकी का प्रस्ताव भेज दिया गया था. दिल्ली सरकार ने महिला सशक्तीकरण की थीम पर झांकी तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. पहले और दूसरे राउंड तक दिल्ली की झांकी रेस में बनी हुई थी, लेकिन फाइनल राउंड में समिति ने रिजेक्ट कर दिया.

2021 में आखिरी बार निकली थी दिल्ली की झांकीः इसके चलते अब इस साल भी 26 जनवरी के दिन कर्त्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस के मुख्य राष्ट्रीय समारोह में दिल्ली की झांकी नजर नहीं आएंगी. गणतंत्र दिवस समारोह में 2021 में राजपथ पर दिल्ली की झांकी दिखी थी. उस वर्ष चांदनी चौक यानी शाहजहांनाबाद में किए गए रीडिवेलपमेंट की थीम पर आधारित झांकी निकाली गई थी. मगर अब लगातार दूसरे साल दिल्ली की झांकी गणतंत्र दिवस समारोह में नहीं दिखाई देगी.

23 और 26 जनवरी को हो सकता है रूट डायवर्जनः 26 जनवरी की परेड इस साल फिर से अपने पहले वाले भव्य अंदाज में निकलेगी. गत वर्ष और उससे पहले वर्ष 2021 में कोविड प्रोटोकॉल के चलते परेड का रूट छोटा किया गया था, लेकिन इस साल परेड फिर से अपने पहले वाले भव्य अंदाज में निकलेगी. इस वजह से ट्रैफिक डायवर्जन भी ज्यादा बड़े हिस्से में किया जाएगा. इसके चलते 23 जनवरी को परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल वाले दिन और उसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन लोगों को दिक्कत हो सकती है. ट्रैफिक पुलिस जल्दी एडवाइजरी जारी करेगी.

1953 से गणतंत्र दिवस पर झांकी निकालने की शुरू हुई थी परंपराः वर्ष 1953 में पहली बार 26 जनवरी पर सांस्कृतिक लोक नृत्य की झांकी देखने को मिली थी. इनमें अलग-अलग राज्यों के आदिवासी नृत्य शामिल थे. इसके पीछे यही कारण था कि हमारे देश में इतनी विभिन्न विविधताएं होने के बावजूद हम देश के हर रंग और उत्सव में अपनी भागीदारी निहित करते हैं.


इसे भी पढ़े: तीसरे दिन भी कुश्ती खिलाड़ियों का धरना जारी, पुनिया ने कहा- किसी राजनेता को नहीं होने दिया जाएगा शामिल

नई दिल्ली: राजपथ से कर्त्तव्य पथ में तब्दील हुई सड़क पर गणतंत्र दिवस समारोह मनाने की तैयारी जोर-शोर से हो रही है, लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की झांकी नहीं दिखेगी. दिल्ली सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय की चयन समिति ने खारिज कर दिया है. पिछले साल भी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली को मौका नहीं मिल पाया था.

दिल्ली सरकार के संस्कृति विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, साहित्य कला परिषद की ओर से पिछले साल अक्टूबर में ही गणतंत्र दिवस समारोह के लिए झांकी का प्रस्ताव भेज दिया गया था. दिल्ली सरकार ने महिला सशक्तीकरण की थीम पर झांकी तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. पहले और दूसरे राउंड तक दिल्ली की झांकी रेस में बनी हुई थी, लेकिन फाइनल राउंड में समिति ने रिजेक्ट कर दिया.

2021 में आखिरी बार निकली थी दिल्ली की झांकीः इसके चलते अब इस साल भी 26 जनवरी के दिन कर्त्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस के मुख्य राष्ट्रीय समारोह में दिल्ली की झांकी नजर नहीं आएंगी. गणतंत्र दिवस समारोह में 2021 में राजपथ पर दिल्ली की झांकी दिखी थी. उस वर्ष चांदनी चौक यानी शाहजहांनाबाद में किए गए रीडिवेलपमेंट की थीम पर आधारित झांकी निकाली गई थी. मगर अब लगातार दूसरे साल दिल्ली की झांकी गणतंत्र दिवस समारोह में नहीं दिखाई देगी.

23 और 26 जनवरी को हो सकता है रूट डायवर्जनः 26 जनवरी की परेड इस साल फिर से अपने पहले वाले भव्य अंदाज में निकलेगी. गत वर्ष और उससे पहले वर्ष 2021 में कोविड प्रोटोकॉल के चलते परेड का रूट छोटा किया गया था, लेकिन इस साल परेड फिर से अपने पहले वाले भव्य अंदाज में निकलेगी. इस वजह से ट्रैफिक डायवर्जन भी ज्यादा बड़े हिस्से में किया जाएगा. इसके चलते 23 जनवरी को परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल वाले दिन और उसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन लोगों को दिक्कत हो सकती है. ट्रैफिक पुलिस जल्दी एडवाइजरी जारी करेगी.

1953 से गणतंत्र दिवस पर झांकी निकालने की शुरू हुई थी परंपराः वर्ष 1953 में पहली बार 26 जनवरी पर सांस्कृतिक लोक नृत्य की झांकी देखने को मिली थी. इनमें अलग-अलग राज्यों के आदिवासी नृत्य शामिल थे. इसके पीछे यही कारण था कि हमारे देश में इतनी विभिन्न विविधताएं होने के बावजूद हम देश के हर रंग और उत्सव में अपनी भागीदारी निहित करते हैं.


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