नई दिल्ली: सुभाष चंद्र बोस के नाम से यूं तो कई जगहें और चीजें जोड़ी जाती हैं, लेकिन देश की राजधानी में एक जगह ऐसी भी है, जहां से नेताजी का जुड़ाव बेहद ख़ास है. एक ऐसी जगह जहां पर नेताजी ने अपने सार्वजनिक जीवन का अंतिम भाषण दिया था. ये जगह है उत्तर पश्चिमी दिल्ली का आज़ाद हिंद ग्राम.
बाहरी दिल्ली का गांव दिलाता है नेताजी की याद
उत्तर पश्चिमी दिल्ली के टीकरी गांव के पास की ये जगह नेताजी के दिल्ली से जुड़े होने की गवाही देती है. दिल्ली पर्यटन ने नेताजी की याद में इस पूरे कॉम्प्लैक्स को विकसित किया है. इसे आज़ाद हिंद ग्राम का नाम दिया गया है. इस स्थल को साहिब सिंह वर्मा ने विकसित किया था जबकि इसके मौजूदा रूप का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित में सन 2000 में किया था. म्यूजियम और स्मारक के अलावा यहां विशाला प्लाजा, एम्पीथियेटर, पर्यटक सूचना केन्द्र, सुविनियर और गार्डन शॉप, फूड-कियोस्क, एक रेस्तरां, सार्वजनिक शौचालय और पेयजल आदि की सुविधाएं हैं.
क्या हैं कहानियां
इस स्थल से जुड़े लोग बताते हैं कि उनके दादा-परदादाओं ने यहां स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का आख़िरी भाषण सुना था. यहां एक धर्मशाला थी, जहां पर सुभाष चंद्र बोस ने विश्राम किया था और वहीं प्याऊ का पानी पिया था. बात 1940-41 की बताई जाती है. कहा जाता है कि नेताजी ने इसी भाषण के बाद धनबाद की यात्रा की थी और बाद में फिरंगियों को चकमा देकर ग़ायब हो गए थे.
आते हैं हज़ारों लोग
आधिकारिक लोग बताते हैं कि करुणा महामारी और लॉकडाउन से पहले यहां पर हज़ारों लोग सुभाष चंद्र बोस के स्मारक और म्यूज़ियम को देखने आते थे. म्यूज़ियम में उनके जीवन से जुड़ी वो तमाम स्मृतियां हैं, जो नई पीढ़ी में जोश भरने के लिए काफ़ी हैं. नेताजी के सुप्रसिद्ध नारों की यहाँ एक पूरी श्रृंखला है.
मनाया जाता है जन्मदिन
हर साल 23 जनवरी को यहाँ पर डिग्री गांव और आस-पास के अन्य गांवों के लोग मिल जुलकर नेताजी का जन्मदिन मनाते हैं. यहां बॉस की एक बड़ी प्रतिमा है, जिस पर माल्यार्पण होता है. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस बार कोरोना महामारी के चलते अब तक ऐसा कुछ नहीं किया गया है हालांकि उम्मीद है कि इस बार भी यहां पर सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन मनाया जाएगा.