नई दिल्ली: 5 सितंबर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. कोरोना महामारी के चलते फिलहाल स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद हैं. ऐसे में इस साल शिक्षक दिवस पर होने वाले कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. हर साल शिक्षक दिवस पर स्कूलों में अलग तरह की रौनक देखने को मिलती है. कोरोना के चलते इस बार शिक्षक दिवस भी फीका है.
हर साल शिक्षक दिवस पर छात्र एक शिक्षक की भूमिका निभाते हुए छोटी क्लास के छात्रों को पढ़ाते हैं. साथ ही शिक्षकों के प्रति सम्मान और आदर व्यक्त करते हैं.
हर साल होती थी रौनक
स्कूलों में शिक्षक दिवस के लिए खास तैयारियां की जाती थी. 10वीं या 12वीं के छात्र शिक्षक दिवस के दिन एक शिक्षक की भूमिका निभाते थे. स्कूलों में शिक्षकों को सम्मानित किया जाता था. छात्र अपने शिक्षकों के प्रति आदर व्यक्त करते थे, लेकिन इस बार ऑनलाइन माध्यम से ही छात्र अपने शिक्षकों को बधाई देंगे.
'शिक्षक दिवस का रहता है इंतजार'
11वीं क्लास में पढ़ने वाली अंजलि ने कहा कि शिक्षक दिवस के लिए अपने शिक्षक को हम अपने हाथों से कार्ड बनाकर देते थे. उपहार या फूल देकर उन्हें सम्मानित किया जाता था. इस बार स्कूल बंद होने के चलते हम अपने शिक्षकों से नहीं मिल पाएंगे और ना ही उन्हें मिलकर बधाई दे पाएंगे.
वहीं 12वीं क्लास की छात्रा सोनम ने कहा कि इस साल शिक्षक दिवस का उन्हें खास इंतजार था. वो 1 दिन के लिए शिक्षक की भूमिका निभाना चाहती थी और नया अनुभव लेना चाहती थी, लेकिन कोरोना के चलते ये नहीं हो पाया.
इसलिए मनाया जाता है शिक्षक दिवस
भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को हर साल शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था.
डॉ. राधाकृष्णन को भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद्, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक के तौर पर जाना जाता है. उन्हें भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था. इस दिन समाज में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को याद करते हुए उन्हें सम्मान दिया जाता है.