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21 दिन से धरने पर बैठे गेस्ट टीचर्स, साथ देने आए स्कूली बच्चे

60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर गेस्ट टीचरों का प्रदर्शन दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर 21 दिनों से बदस्तूर जारी है. इन्हीं टीचरों का साथ देने पहुंचे स्कूली बच्चे.

गेस्ट टीचर्स का साथ देने आए स्कूली बच्चे
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Published : Mar 21, 2019, 8:32 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर गेस्ट टीचर काम कर रहे शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट पिछले महीने 28 फरवरी को खत्म हो गया. तब से गेस्ट टीचर 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षकों की इस जंग में अब उनका साथ देने छात्र भी सड़कों पर उतर आए हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर गेस्ट टीचरों का प्रदर्शन दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर 21 दिनों से बदस्तूर जारी है. वहीं अब गेस्ट टीचरों के प्रदर्शन को छात्रों का भी सर्मथन मिल रहा है.
गेस्ट टीचरों के समर्थन में पहुंचे छात्रों ने कहा कि हमें हमारे टीचर चाहिए. वहीं छात्रों ने 'बिना शिक्षकों के बच्चों का संसार अधूरा है' के नारे लगाए.

गेस्ट टीचर्स का साथ देने आए स्कूली बच्चे

21 दिन से धरने पर बैठे शिक्षक

एक तरफ सारा देश जहां होली के त्योहार की खुशी मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ गेस्ट टीचरों के दर्द को महसूस करते हुए छात्रों ने त्योहार का बहिष्कार कर दिया है. बता दें कि 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचर लगातार 21 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं और कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है.

छात्रों ने शिक्षकों का किया समर्थन

सरकार की नींद खुले ना खुले लेकिन छात्रों से अपने शिक्षकों की हालत देखी नहीं गई और वह भी उनका साथ देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए. छात्रों ने कहा कि अगर शिक्षक नहीं तो पढ़ाई नहीं, शिक्षक नहीं तो खुशी नहीं और खुशी नहीं तो त्योहार नहीं.

वहीं प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों ने बताया कि परीक्षा के दौरान शिक्षकों की अनुपस्थिति से उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उनका कहना था कि पढ़ाई में कई ऐसे डाउट थे जो वह टीचर से ही डिस्कस करके क्लियर कर सकते थे, लेकिन शिक्षकों की अनुपस्थिति में पढ़ाई करने में बहुत मुश्किल हो रही थी.

इम्तिहान में नहीं कर पाए अच्छा प्रदर्शन

साथ ही उनका कहना है कि इम्तिहान भी उतना अच्छा नहीं गया जितना जा सकता था. वहीं एक अन्य छात्र ने बताया कि सभी छात्रों ने ग्रुप बनाकर भी पढ़ने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके डाउट अंत तक डाउट ही बनकर रह गए क्योंकि उन्हें समझाने वाला कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं था.

वहीं एक अन्य छात्र ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हमारे शिक्षक इस तरह से सड़कों पर बैठे और सरकार के सामने कुछ उल्टा सीधा कहें. वह चाहते हैं कि शिक्षक वापस स्कूलों में आ जाएं जिससे उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके. नए सत्र में छात्रों की पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित ना हो इसलिए सभी छात्र सरकार से उनके शिक्षकों को वापस करने की मांग कर रहे हैं.

त्योहार छोड़कर शिक्षकों का साथ देने आए छात्र

छात्रों से यह पूछने पर कि त्योहारों में सबसे पहले बच्चे ही भाग लेते हैं और इस समय वह त्योहार की खुशी छोड़ कर प्रदर्शन स्थल पर क्यों हैं, बच्चों ने कहा कि उनकी शिक्षक जब सड़क पर बैठे हैं तो उन्हें कोई भी त्योहार की खुशी नहीं है. उनके शिक्षकों की गरिमा त्योहार से कहीं ज्यादा बढ़कर है इसीलिए वह होली का त्योहार छोड़कर अपने शिक्षकों का साथ देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर मौजूद हैं.

21 दिन तक प्रदर्शन करने के बाद भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी में से कोई भी अतिथि शिक्षकों कि 60 साल की पॉलिसी के लिए कुछ भी करता दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में गेस्ट टीचर उम्मीद कर रहे हैं कि छात्रों की गुहार सरकार तक पहुंचे और उनके शिक्षकों को फिर से बहाल कर दिया जाए.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर गेस्ट टीचर काम कर रहे शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट पिछले महीने 28 फरवरी को खत्म हो गया. तब से गेस्ट टीचर 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षकों की इस जंग में अब उनका साथ देने छात्र भी सड़कों पर उतर आए हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर गेस्ट टीचरों का प्रदर्शन दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर 21 दिनों से बदस्तूर जारी है. वहीं अब गेस्ट टीचरों के प्रदर्शन को छात्रों का भी सर्मथन मिल रहा है.
गेस्ट टीचरों के समर्थन में पहुंचे छात्रों ने कहा कि हमें हमारे टीचर चाहिए. वहीं छात्रों ने 'बिना शिक्षकों के बच्चों का संसार अधूरा है' के नारे लगाए.

गेस्ट टीचर्स का साथ देने आए स्कूली बच्चे

21 दिन से धरने पर बैठे शिक्षक

एक तरफ सारा देश जहां होली के त्योहार की खुशी मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ गेस्ट टीचरों के दर्द को महसूस करते हुए छात्रों ने त्योहार का बहिष्कार कर दिया है. बता दें कि 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचर लगातार 21 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं और कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है.

छात्रों ने शिक्षकों का किया समर्थन

सरकार की नींद खुले ना खुले लेकिन छात्रों से अपने शिक्षकों की हालत देखी नहीं गई और वह भी उनका साथ देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए. छात्रों ने कहा कि अगर शिक्षक नहीं तो पढ़ाई नहीं, शिक्षक नहीं तो खुशी नहीं और खुशी नहीं तो त्योहार नहीं.

वहीं प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों ने बताया कि परीक्षा के दौरान शिक्षकों की अनुपस्थिति से उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उनका कहना था कि पढ़ाई में कई ऐसे डाउट थे जो वह टीचर से ही डिस्कस करके क्लियर कर सकते थे, लेकिन शिक्षकों की अनुपस्थिति में पढ़ाई करने में बहुत मुश्किल हो रही थी.

इम्तिहान में नहीं कर पाए अच्छा प्रदर्शन

साथ ही उनका कहना है कि इम्तिहान भी उतना अच्छा नहीं गया जितना जा सकता था. वहीं एक अन्य छात्र ने बताया कि सभी छात्रों ने ग्रुप बनाकर भी पढ़ने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके डाउट अंत तक डाउट ही बनकर रह गए क्योंकि उन्हें समझाने वाला कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं था.

वहीं एक अन्य छात्र ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हमारे शिक्षक इस तरह से सड़कों पर बैठे और सरकार के सामने कुछ उल्टा सीधा कहें. वह चाहते हैं कि शिक्षक वापस स्कूलों में आ जाएं जिससे उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके. नए सत्र में छात्रों की पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित ना हो इसलिए सभी छात्र सरकार से उनके शिक्षकों को वापस करने की मांग कर रहे हैं.

त्योहार छोड़कर शिक्षकों का साथ देने आए छात्र

छात्रों से यह पूछने पर कि त्योहारों में सबसे पहले बच्चे ही भाग लेते हैं और इस समय वह त्योहार की खुशी छोड़ कर प्रदर्शन स्थल पर क्यों हैं, बच्चों ने कहा कि उनकी शिक्षक जब सड़क पर बैठे हैं तो उन्हें कोई भी त्योहार की खुशी नहीं है. उनके शिक्षकों की गरिमा त्योहार से कहीं ज्यादा बढ़कर है इसीलिए वह होली का त्योहार छोड़कर अपने शिक्षकों का साथ देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर मौजूद हैं.

21 दिन तक प्रदर्शन करने के बाद भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी में से कोई भी अतिथि शिक्षकों कि 60 साल की पॉलिसी के लिए कुछ भी करता दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में गेस्ट टीचर उम्मीद कर रहे हैं कि छात्रों की गुहार सरकार तक पहुंचे और उनके शिक्षकों को फिर से बहाल कर दिया जाए.

Intro:नई दिल्ली / बीजेपी प्रदेश कार्यालय


दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर गेस्ट टीचर काम कर रहे शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट गत माह 28 फरवरी को खत्म हो गया. तब से गेस्ट टीचर 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. 60 की पॉलिसी की मांग को लेकर गेस्ट टीचरों का प्रदर्शन दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर 21 दिनों से बदस्तूर जारी है. वहीं अब गेस्ट टीचरों के प्रदर्शन को छात्रों का भी सर्मथन मिल रहा है. गेस्ट टीचरों के समर्थन में पहुंचे छात्रों ने कहा कि हमें हमारे टीचर चाहिए. वहीं छात्रों ने 'बिना शिक्षकों के बच्चों का संसार अधूरा है' के नारे लगाए.




Body:एक तरफ सारा देश जहां होली के त्योहार की खुशी मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ गेस्ट टीचरों के दर्द को महसूस करते हुए छात्रों ने त्योहार का बहिष्कार कर दिया है. बता दें कि 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचर लगातार 21 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं और कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है. सरकार की नींद खुले ना खुले लेकिन छात्रों से अपने शिक्षकों की हालत देखी नहीं गई और वह भी उनका साथ देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए. केवल पहुंचे ही नहीं बल्कि अपने शिक्षकों के समर्थन में सरकार से गुहार भी लगाई कि वह उनके शिक्षकों को वापस कर दे. छात्रों ने कहा कि अगर शिक्षक नहीं तो पढ़ाई नहीं, शिक्षक नहीं तो खुशी नहीं और खुशी नहीं तो त्योहार नहीं.

वहीं प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्रों ने बताया कि परीक्षा के दौरान शिक्षकों की अनुपस्थिति से उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उनका कहना था कि पढ़ाई में कई ऐसे डाउट थे जो वह टीचर से ही डिस्कस करके क्लियर कर सकते थे लेकिन शिक्षकों की अनुपस्थिति में पढ़ाई करने में बहुत मुश्किल हो रही थी. साथ ही उनका कहना है कि इम्तिहान भी उतना अच्छा नहीं गया जितना जा सकता था. वहीं एक अन्य छात्र ने बताया कि सभी छात्रों ने ग्रुप बना कर भी पढ़ने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके डाउट अंत तक डाउट ही बनकर रह गए क्योंकि उन्हें समझाने वाला कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं था.

वहीं एक अन्य छात्र ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हमारे शिक्षक इस तरह से सड़कों पर बैठे और सरकार के सामने कुछ उल्टा सीधा कहें. वह चाहते हैं कि शिक्षक वापस स्कूलों में आ जाएं जिससे उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके. नए सत्र में छात्रों की पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित ना हो इसलिए सभी छात्र सरकार से उनके शिक्षकों को वापस करने की मांग कर रहे हैं.

छात्रों से यह पूछने पर कि त्योहारों में सबसे पहले बच्चे ही भाग लेते हैं और इस समय वह त्योहार की खुशी छोड़ कर प्रदर्शन स्थल पर क्यों हैं, बच्चों ने कहा कि उनकी शिक्षक जब सड़क पर बैठे हैं तो उन्हें कोई भी त्योहार की खुशी नहीं है. उनके शिक्षकों की गरिमा त्योहार से कहीं ज्यादा बढ़कर है इसीलिए वह होली का त्योहार छोड़कर अपने शिक्षकों का साथ देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर मौजूद हैं.






Conclusion:21 दिन तक प्रदर्शन करने के बाद भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी में से कोई भी अतिथि शिक्षकों कि 60 साल की पॉलिसी के लिए कुछ भी करता दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में गेस्ट टीचर उम्मीद कर रहे हैं कि छात्रों की गुहार सरकार तक पहुंचे और उनके शिक्षकों को फिर से बहाल कर दिया जाए.
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