नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण काल में उपचार के लिए मिल रही दवाइयों की ब्लैक मार्केटिंग धड़ल्ले से हो रही है. दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर ने सोमवार देर शाम आदेश जारी कर राजधानी के सभी केमिस्ट को चेतावनी दी है कि वे कोरोना के उपचार में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन रेमडेसिवीर का ब्लैक मार्केटिंग करने से परहेज करें. नहीं तो ड्रग व कॉस्मेटिक नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इन कंपनियों को मिली है दवाई बनाने की इजाजत
ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन दवा निर्माता कंपनियों हेट्रोलैब्स, सिपला, मिलान लैबोरेट्री को शर्तों के साथ कोरोना के उपचार में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन रेमडेसिवीर के निर्माण व मार्केटिंग की अनुमति दी है. लेकिन अभी सिर्फ दो कंपनियां हेट्रोलैब्स व सिपला ही इसका निर्माण कर रही है. इन लैब की ओर से तीन दवा रेमडेसिवीर, टोसिलिजुमैब, फेविपिराविर का निर्माण किया जा रहा है. तीनों कोरोना की दवा है.
ब्लैक मार्केटिंग पर नजर रखने के आदेश
जारी आदेश में कहा गया है कि इन तीनों दवा की कालाबाजारी पर तुरंत प्रभाव से अंकुश लगाना है. इसके लिए राजधानी के सभी ड्रग इंस्पेक्टर को चोरी छुपे हो रहे ब्लैक मार्केटिंग पर नजर रखने के आदेश दिए गए हैं.
डॉक्टर की पर्ची पर मिलेंगी दवाइयां
दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर एक के नासा ने अपने आदेश में कहा है कि ये दवाएं सिर्फ मेडिकल स्पेशलिस्ट के लिखे प्रिसक्रिप्शन के आधार पर बेची जा सकती हैं. इन तीन दबाव में रेमडेसिवीर को अभी सिर्फ अस्पतालों के आर्डर पर ही सप्लाई किया जा सकता है. ताकि जहां मरीज को जरूरत है वहां इसे बेचा जाए.
उन्होंने राजधानी के दवा दुकानदार संघ को चेताया है कि वे दुकानदारों को इन दवाओं के अनधिकृत बिक्री पर तुरंत रोक लगाए व ब्लैक मार्केटिंग को रोके. अन्यथा नियमों की अवहेलना पर इसकी बिक्री करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि दिल्ली में भी कोरोना के उपचार के लिए अब भी सटीक दवाई उपलब्ध नहीं है. लेकिन सरकार से जिन दवाइयों के इस्तेमाल की मंजूरी मिली है तमाम जगहों पर सैनिटाइजर की तरह दवा की ब्लैक मार्केटिंग की लगातार शिकायत प्राप्त हो रही थी. जिसके बाद सरकार ने यह आदेश जारी किए हैं.