नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक सोम प्रदोष व्रत सोमवार 3 अप्रैल को रखा है. सोमवार भगवान शिव का अति प्रिय दिन है. प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा का काफी महत्व है. कहते हैं कि प्रदोष काल में शिव की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिव की कृपा बरसती है. जिससे रुके हुए कार्य पूरे होते हैं. भगवान शिव को आशुतोष कहा गया है. आशुतोष का अर्थ है जल्दी प्रसन्न होने वाले. सोम प्रदोष का व्रत करने से धन-धान्य, संपन्नता और वाणी में तेज प्राप्त होता है. जातक के सभी कष्टों का नाश होता है.
० सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 अप्रैल, सोमवार सुबह 06:24 बजे से होगा और इसका समापन
4 अप्रैल मंगलवार सुबह 08:05 बजे होगा.
० शिव पूजा का शुभ मुहूर्त: 3 अप्रैल की शाम 06:40 बजे से आरंभ होकर रात 08:58 बजे तक रहेगा.
- पूजा के दौरान करें मंत्रों का जाप
- महा मृत्युंजय मंत्र- पूजा के दौरान इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
- शिव गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
- क्षमायाचना मंत्र- शिव की पूजा के बाद भक्त को क्षमायाचना मंत्र का जाप करना चाहिए.
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो।।
प्रदोष व्रत का महत्व:-
० रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत के करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.
० सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने को सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा के लिए, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम रहता है.
० भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने से भौम प्रदोष कहलाता है. इसका व्रत करने से कर्ज से मुक्ति होती है. भूमि भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.
० बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने को बुध प्रदोष कहा जाता है. यह व्रत करने से नौकरी ,व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.
० गुरु प्रदोषः बृहस्पतिवार को प्रदोष होने पर गुरु प्रदोष व्रत होता है. इसमें व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है. साथ ही धन-धान्य की वृद्धि होती है.
० शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को प्रदोष होने को शुक्र प्रदोष कहलाता है, इसे करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है. घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती हैं.
० शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने पर शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत करने से काम में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.
बता दें, प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति व मन की शांति मिलती है. इसके पीछे एक पौराणिक आख्यान है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया. रोग असाध्य था और उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उस दिन सोमवार व त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य व संपत्ति के लिए शुभ मानते हैं. आरोग्य की प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है.
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