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सफदरजंग अस्पताल के बाद दिल्ली एम्स में भी स्किन बैंक शुरू, बढ़ेगी जले हुए मरीजों के इलाज की सुविधा

सफदरजंग अस्पताल की तरह दिल्ली एम्स में भी जले हुए मरीजों को नई जिंदगी दी जा सकेगी. गुरुवार को स्किन बैंक, बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक का उद्घाटन हो गया. इससे मरीजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का इलाज मिल सकेगा.

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Published : Jun 29, 2023, 7:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स में गुरुवार को स्किन बैंक, बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक का उद्घाटन निदेशक प्रो. एम श्रीनिवास ने किया. स्किन बैंक की मदद से अब जले हुए मरीजों का और अधिक सुविधाजनक तरीके से इलाज हो सकेगा और उन्हें नई जिंदगी मिल सकेगी. इस दौरान एक स्किन बैंक मैनुअल भी जारी किया गया.

एम्स और रोटरी क्लब ने इस क्षेत्र में स्किन डोनेशन (त्वचा दान) को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है. बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि सभी तकनीकी उत्कृष्टता और प्रशिक्षण के साथ यह बैंक गंभीर रूप से जले हुए मरीजों की जान बचाने के लिए बर्न सर्जनों के लिए एक हथियार के रूप में काम आएगा.

अंतरराष्ट्रीय मानक पर होगा कामः एम्स के निदेशक प्रोफेसर एम. श्रीनिवास ने कहा कि एम्स अंतरराष्ट्रीय मानकों की बर्न केयर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस सुविधा के साथ, एम्स विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बर्न सेंटरों की बराबरी करने का प्रयास करता है. बता दें, एम्स में बर्न्स प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी नाम से मौजूद विभाग में काफी समय से जले हुए मरीजों का इलाज होता है. इस विभाग ने पहले भी कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं. इनमें एक व्यक्ति के कटे हुए हाथ को फिर से बनाना भी शामिल है. लेकिन, स्किन बैंक नहीं होने के कारण इसकी उत्कृष्टता में थोड़ी कमी महसूस की जाती थी, जो अब स्किन बैंक शुरू होने के साथ दूर हो गई है.

यह भी पढ़ेंः Covid 19 as a Bioweapon : चीन ने कोविड-19 को 'जैव हथियार' के रूप में किया था तैयार, वुहान शोधकर्ता ने किया दावा

बता दें, बीते सप्ताह केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल में भी स्किन बैंक की शुरुआत हुई है. इससे अब अधिक जले हुए मरीजों के इलाज में दूसरे स्किन डोनेट करने वाले मरीजों की स्किन इस्तेमाल की जा सकेगी.

स्किन बैंक और स्किन डोनेशन के प्रमुख तथ्य

  1. 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति मृत्यु के छह घंटे के भीतर अपनी त्वचा दान कर सकता है. केवल एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और सी, एसटीडी, सामान्यीकृत संक्रमण और सेप्टीसीमिया, किसी भी प्रकार के त्वचा संक्रमण, घातकता से पीड़ित और त्वचा कैंसर के सबूत वाले लोग दान नहीं कर सकते हैं.
  2. मृत व्यक्ति की पीठ, जांघों और पैरों से त्वचा निकाली जाती है. उनकी त्वचा को काटते समय कोई रक्तस्राव नहीं होता है और रिश्तेदारों को सौंपने से पहले कटे हुए भागों को सम्मानपूर्वक कपड़े पहनाए जाते हैं और ढक दिया जाता है.
  3. रोटरी इंटरनेशनल के अशोक कंतूर और अनिल अग्रवाल ने प्रतिबद्धता जताई है कि वे इस क्षेत्र में त्वचा दान को बढ़ावा देने के लिए एम्स दिल्ली का सहयोग करेंगे.
  4. त्वचा बैंक मृत त्वचा को संसाधित करने के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है. इसमें वॉक-इन रेफ्रिजरेटर, डर्माटोम्स, इनक्यूबेटर, शेकर और लैमिनर फ्लो के साथ जैव सुरक्षा कैबिनेट भी मौजूद है.
  5. औसत रूप से मृत व्यक्तियों में से 3000 वर्ग सेमी तक त्वचा काटी जा सकती है तो 30 प्रतिशत जले हुए टीबीएसए (टोटल बॉडी सरफेस एरिया) के लिए लगभग 1000 से 1500 वर्ग सेमी ग्राफ्ट की आवश्यकता होगी.

यह भी पढ़ेंः Diet Soda Sweetener : डाइट कोला के शौकीन हैं तो हो जाएं सावधान

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स में गुरुवार को स्किन बैंक, बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक का उद्घाटन निदेशक प्रो. एम श्रीनिवास ने किया. स्किन बैंक की मदद से अब जले हुए मरीजों का और अधिक सुविधाजनक तरीके से इलाज हो सकेगा और उन्हें नई जिंदगी मिल सकेगी. इस दौरान एक स्किन बैंक मैनुअल भी जारी किया गया.

एम्स और रोटरी क्लब ने इस क्षेत्र में स्किन डोनेशन (त्वचा दान) को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है. बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि सभी तकनीकी उत्कृष्टता और प्रशिक्षण के साथ यह बैंक गंभीर रूप से जले हुए मरीजों की जान बचाने के लिए बर्न सर्जनों के लिए एक हथियार के रूप में काम आएगा.

अंतरराष्ट्रीय मानक पर होगा कामः एम्स के निदेशक प्रोफेसर एम. श्रीनिवास ने कहा कि एम्स अंतरराष्ट्रीय मानकों की बर्न केयर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस सुविधा के साथ, एम्स विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बर्न सेंटरों की बराबरी करने का प्रयास करता है. बता दें, एम्स में बर्न्स प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी नाम से मौजूद विभाग में काफी समय से जले हुए मरीजों का इलाज होता है. इस विभाग ने पहले भी कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं. इनमें एक व्यक्ति के कटे हुए हाथ को फिर से बनाना भी शामिल है. लेकिन, स्किन बैंक नहीं होने के कारण इसकी उत्कृष्टता में थोड़ी कमी महसूस की जाती थी, जो अब स्किन बैंक शुरू होने के साथ दूर हो गई है.

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बता दें, बीते सप्ताह केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल में भी स्किन बैंक की शुरुआत हुई है. इससे अब अधिक जले हुए मरीजों के इलाज में दूसरे स्किन डोनेट करने वाले मरीजों की स्किन इस्तेमाल की जा सकेगी.

स्किन बैंक और स्किन डोनेशन के प्रमुख तथ्य

  1. 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति मृत्यु के छह घंटे के भीतर अपनी त्वचा दान कर सकता है. केवल एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और सी, एसटीडी, सामान्यीकृत संक्रमण और सेप्टीसीमिया, किसी भी प्रकार के त्वचा संक्रमण, घातकता से पीड़ित और त्वचा कैंसर के सबूत वाले लोग दान नहीं कर सकते हैं.
  2. मृत व्यक्ति की पीठ, जांघों और पैरों से त्वचा निकाली जाती है. उनकी त्वचा को काटते समय कोई रक्तस्राव नहीं होता है और रिश्तेदारों को सौंपने से पहले कटे हुए भागों को सम्मानपूर्वक कपड़े पहनाए जाते हैं और ढक दिया जाता है.
  3. रोटरी इंटरनेशनल के अशोक कंतूर और अनिल अग्रवाल ने प्रतिबद्धता जताई है कि वे इस क्षेत्र में त्वचा दान को बढ़ावा देने के लिए एम्स दिल्ली का सहयोग करेंगे.
  4. त्वचा बैंक मृत त्वचा को संसाधित करने के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है. इसमें वॉक-इन रेफ्रिजरेटर, डर्माटोम्स, इनक्यूबेटर, शेकर और लैमिनर फ्लो के साथ जैव सुरक्षा कैबिनेट भी मौजूद है.
  5. औसत रूप से मृत व्यक्तियों में से 3000 वर्ग सेमी तक त्वचा काटी जा सकती है तो 30 प्रतिशत जले हुए टीबीएसए (टोटल बॉडी सरफेस एरिया) के लिए लगभग 1000 से 1500 वर्ग सेमी ग्राफ्ट की आवश्यकता होगी.

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