नई दिल्ली: अपने आवास पर प्रेस वार्ता के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में जो स्कूल रियायती जमीनों पर बने हैं, उन्हें फीस बढ़ाने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि कल दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीज़न बेंच के फैसले के बाद इसे लेकर अभिभावकों और स्कूलों के बीच कंफ्यूजन है.
स्कूलों के पास करोड़ों का सरप्लस
उन्होंने कहा कि स्कूल ये दलील दे रहे हैं कि उन्हें शिक्षकों का वेतन देना है, इसलिए फीस बढ़ाना जरूरी है, लेकिन हमने पाया है कि इन स्कूलों के पास भारी सरप्लस है. मनीष सिसोदिया ने उदाहरण देते हुए कहा कि वसंत कुंज के एक स्कूल के पास 40 करोड सरप्लस है.
ऐसे ही एक स्कूल के पास 10 करोड़ और एक के पास 7 करोड़ का सरप्लस है. सरप्लस का ये आंकड़ा सभी शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन दे देने के बाद बनता है.
325 स्कूल डीडीए की जमीन पर
मनीष सिसोदिया ने कहा कि 17 अक्टूबर 2017 को ही हम स्कूलों में सातवें वेतन आयोग के अनुसार शिक्षकों को वेतन देने का आदेश दे चुके हैं. मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली के 325 स्कूल डीडीए की जमीन पर हैं.
चल रही 83 स्कूलों की जांच
265 स्कूलों ने फीस बढ़ाने की मांग की थी, 60 स्कूलों ने अप्लाई नहीं किया, इनमें से 32 स्कूलों ने अपनी मांग हटा ली. हमने 233 स्कूलों की जांच की, डेढ़ सौ स्कूलों की जांच में पता चला कि उनके पास सरप्लस पैसा है और वो उसी से टीचर्स की सैलरी बढ़ा सकते हैं, बाकी 83 स्कूलों की जांच चल रही है.
शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने पर कोई रोक नहीं
सिसोदिया ने कहा कि शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन इसके लिए स्कूलों को अपने फंड से पैसा देना होगा और वो छात्रों पर अतिरिक्त दबाव नहीं बना सकते हैं. सिसोदिया ने ये भी कहा कि ये अजीब है कि बच्चों की फीस बढ़ाने के लिए उन्हीं बच्चों से वसूली गई फीस से बड़े-बड़े वकील हायर किए जा रहे हैं.
'शिक्षा का व्यवसाय नहीं बनने देंगे'
सिसोदिया का कहना है कि प्राइवेट स्कूल सिस्टम भी दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हम उनकी स्वायत्ता पर कोई सवाल नहीं उठा सकते. ना ही उसमें दखल दे सकते हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों को मुनाफा वाला व्यवसाय नहीं बनने देंगे और स्कूलों को कानून सम्मत तरीके से ही चलना होगा.